टेक्निकल हेल्पर भर्ती के पदों की संख्या 6 हजार करवाने, जूनियर अकाउंटेंट की भर्ती परीक्षा को सीईटी से बाहर रखते हुए सितम्बर में ही आयोजित करवाने, पंचायत राज जेईएन भर्ती की विज्ञप्ति निकलवाने और प्रतियोगी परीक्षाों में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को कोटा निर्धारित करने या खत्म करने की मांग को लेकर 13 जून से शहीद स्मारक पर बेरोजगारों के महापड़ाव की शुरूआत हुई थी.
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Jaipur: अपनी 4 सूत्री मांगों को लेकर बेरोजगारों का धरना जारी है. तीसरे दिन भी शहीद स्मारक पर धरना बेरजगारों का धरना जारी है. राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के बैनर तले धरने बेरोजगारों का धरना जारी है. बता दें कि मांगों को लेकर दो दौर की वार्ता विफल हो चुकी है. ऐसे में बेरोजगारों की ओर से आंदोलन को और उग्र करने की चेतावनी भी दी जा चुकी है.
बता दें कि बीते दिन अधिकारियों से हुई वार्ता विफल होने के बाद बेरोजगारों ने आक्रोश दिखाते हुए पीसीसी की ओर कूच करने की कोशिश की. हालांकि इस दौरान राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ अध्यक्ष उपेन यादव सहित करीब दर्जनभर बेरोजगार सड़क पर पहुंच चुके थे तो वहीं बड़ी संख्या में मौजूद बेरोजगारों को भारी पुलिस जाब्ते ने शहीद स्मारक के अंदर ही रोका. इस दौरान करीब 30 मिनट तक शहीद स्मारक पर जमकर हंगामा देखने को मिला. आखिरकार इतने बड़े हंगामे के बाद पीसीसी के वार्ता का तो बुलाया आया,,लेकिन वार्ता विफल रहने के बाद बेरोजगारों ने अपने आंदोलन को जारी रखते हुए दिल्ली कूच तक की चेतावनी दे डाली.
टेक्निकल हेल्पर भर्ती के पदों की संख्या 6 हजार करवाने, जूनियर अकाउंटेंट की भर्ती परीक्षा को सीईटी से बाहर रखते हुए सितम्बर में ही आयोजित करवाने, पंचायत राज जेईएन भर्ती की विज्ञप्ति निकलवाने और प्रतियोगी परीक्षाों में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को कोटा निर्धारित करने या खत्म करने की मांग को लेकर 13 जून से शहीद स्मारक पर बेरोजगारों के महापड़ाव की शुरूआत हुई थी. उपेन यादव के नेतृत्व में बेरोजगारों के प्रतिनिधिमंडल की अधिकारियों से वार्ता विफल होने के बाद बेरोजगारों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी थी.
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पुलिस और बेरोजगारों के बीच में जमकर झड़प भी हुई. बेरोजगारों को रोकने के लिए पुलिस को हल्के बल प्रयोग का भी सहारा लेना पड़ा, जिसके चलते कुछ बेरोजगारों को चोटे भी आई. महासंघ अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा कि "पीसीसी में जो वार्ता हुई वो सिर्फ दिखावा थी. मंत्रियों को बेरोजगारों के ज्ञापन भी ज्यादा दिखे. उन्होंने ना तो ढंग से बात की और ना ही कोई वार्ता की.
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