Rajasthan Politics: बीजेपी के प्रदेश प्रभारी डॉ राधामोहन दास अग्रवाल ने राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला है! उन्होंने राहुल गांधी के बयान की निंदा की और उन्हें मूर्ख बताया. डॉ अग्रवाल ने कहा कि राहुल गांधी ने आरएसएस के सरसंघचालक डॉ भागवत पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगाने के लिए जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया है.
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Rajasthan Politics: बीजेपी के प्रदेश प्रभारी डॉ राधामोहन दास अग्रवाल ने राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर राहुल गांधी के बयान की निंदा की और उन्हें मूर्ख बताया. डॉ अग्रवाल ने कहा कि कोई मूर्ख ही जानबूझकर किसी बात को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत कर सकता है और निहायत घटिया मानसिकता के साथ आरएसएस के सरसंघचालक डॉ भागवत पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगा सकता है. उन्होंने इस बयान की घोर निंदा की और अपने पोस्ट में भागवत और राहुल दोनों के भाषण की क्लिप भी साझा की. ¹
राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने मोहन भागवत के 'सच्ची स्वतंत्रता' वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत के लाखों लोगों ने अपनी शहादत देकर अंग्रेजों को खदेड़ा था, और उस 15 अगस्त 1947 की आजादी को अगर हम आजादी दिवस नहीं मानेंगे तो कब मानेंगे? उन्होंने यह भी कहा कि देश की आजादी में सबका योगदान था, और ऐसे में अलग-अलग धर्म-जाति की बात करना सही नहीं है.
कांग्रेस नेता ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों का देश की आजादी में कोई योगदान नहीं था. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के पास स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किए गए बलिदानों का एक समृद्ध इतिहास है. उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में कोई बलिदान नहीं दिया, जिन्होंने जेल नहीं जानी और जिन्होंने अपने परिवार को नहीं खोया, वे इस देश की आजादी को समझ नहीं सकते. उन्होंने यह भी कहा कि देश को आजादी भारत के लोगों ने दिलाई थी, जिसमें महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने 13 जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में एक महत्वपूर्ण बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन देश की सच्ची स्वतंत्रता प्रतिष्ठित हुई. उनके अनुसार, 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों से राजनीतिक स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के 'स्व' से निकलती हुई एक विशिष्ट दृष्टि के अनुसार लिखित संविधान बनाया गया, लेकिन यह संविधान उस वक्त इस दृष्टि भाव के अनुसार नहीं चला. उन्होंने यह भी कहा कि भगवान राम, कृष्ण और शिव के प्रस्तुत आदर्श और जीवन मूल्य 'भारत के स्व' में शामिल हैं और यह केवल उन्हीं लोगों के देवता नहीं हैं जो उनकी पूजा करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आक्रांताओं ने देश के मंदिरों के विध्वंस इसलिए किए थे कि भारत का स्व मर जाए.