राजस्थान हाईकोर्ट को नए जज मिले है. कुलदीप माथुर ( Kuldeep mathur ) और शुभा मेहता ( Shubha mehta ) राजस्थान हाईकोर्ट के नए जज बने है. इनकी नियुक्ति के साथ Rajasthan high court को पहली बार जज दंपत्ति मिले है. क्योंकि शुभा मेहता के पति जस्टिस महेंद्र गोयल ( Justice mahendra goyal ) पहले से राजस्थान हाईकोर्ट में जज है.
Trending Photos
नई दिल्ली/जयपुर/जोधपुर - राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजस्थान हाईकोर्ट में दो नए जजों के रूप में एडवोकेट कुलदीप माथुर और डीजे शुभा मेहता की नियुक्ति को मंजूरी दे दी हैं. इन दो नए जजों की नियुक्ति के साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट में ये पहली बार है जब पति और पत्नी दोनो ही हाईकोर्ट के जज बने है. डीजे शुभा मेहता के पति जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल भी हाईकोर्ट में जज हैं. लॉ में गोल्ड मेडलिस्ट जस्टिस गोयल राजस्थान हाईकोर्ट में 6 नवंबर 2019 को जज नियुक्त किये गये थे.
केन्द्र सरकार द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट के लिए एडवोकेट कुलदीप माथुर और डीजे शुभा मेहता के नाम को मंजूरी दिये जाने के बाद राष्ट्रपति भवन की ओर से नियुक्ति वारण्ट जारी हो गए है. इन दो नए जजो की नियुक्ति के साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट में अब कार्यरत जजो की संख्या 27 हो गयी है. जबकि राजस्थान हाईकोर्ट में जजो के कुल 50 पद स्वीकृत हैं. ऐसे में अब भी राजस्थान हाईकोर्ट में जजो के 23 पद रिक्त होंगे.
राष्ट्रपति भवन की ओर से जिन दो जजो की नियुक्ति आज कि गयी है. उनके लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने मई 2020 में सिफारिश की थी. तत्कालिन चीफ जस्टिस इन्द्रजीत महंति की अध्यक्षता में राजस्थान हाईकोर्ट में जजो की नियुक्ति के लिए 30 और 31 मई 2020 को हुई कॉलेजियम की बैठक में अधिवक्ता कोटे से 12 और जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोटे से 8 नाम की सिफारिश कि गयी थी.
राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा भेजी गयी सिफारिश में अधिवक्ता कोटे से गणेश मीणा, एस पी शर्मा, राजीव सुराणा, सुधेश बंसल, अनुप धण्ड, समीर जैन, मनोज भण्डारी, विनीत जैन, रेखा बोराणा, मनीष शर्मा, सुनील जोशी, राजेश पंवार और कुलदीप माथुर के नाम शामिल थे. वही डीजे कोटे से नृसिंगदास व्यास, उमाशंकर व्यास, संगीता शर्मा, शुभा मेहता, विनोद भारवानी, मदनगोपाल व्यास, देवेन्द्र प्रकाश शर्मा और निर्मलसिंह मेड़तवाल के नाम शामिल थे.
राजस्थान हाईकोर्ट के मई 2020 की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 1 सितंबर 2021 को पहली बैठक कर एडवोकेट सुधेश बंसल, एडवोकेट अनुप धण्ड और एडवोकेट गणेश मीणा के नाम की सिफारिश केन्द्र को भेज दी. केन्द्र सरकार ने अक्टूबर 2021 को इस सिफारिश में से एडवोकेट सुधेश बंसल और अनुप धण्ड के नाम को मंजूरी दे दी, लेकिन एडवोकेट गणेश मीणा का नाम पेडिंग रखा गया, जो अब तक लंबित हैं.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 6 अक्टूबर 2021 को दूसरी बैठक में एडवोकेट कुलदीप माथुर, मनीष शर्मा, रेखा बोराणा और समीर जैन के नाम की सिफारिश केन्द्र सरकार को भेज दी. केन्द्र सरकार की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति ने 28 अक्टूबर 2021 को एडवोकेट रेखा बोराणा और समीर जैन को जज नियुक्त कर दिया. लेकिन मनीष शर्मा और कुलदीप माथुर के नाम को लंबित रखा. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजी गयी सिफारिश के करीब 8 माह बाद अब कुलदीप माथुर के नाम को भी मंजूरी दे दी गयी है. लेकिन अभी भी मनीष शर्मा का नाम पेडिंग है.
1 सितंबर 2021 को ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा भेजे गये जिला एवं सत्र न्यायाधिशों के 8 नाम में से डीजे उमाशंकर व्यास, डीजे विनोद भारवानी और डीजे मदनगोपाल व्यास के नाम की सिफारिश केन्द्र को भेज दी. केन्द्र सरकार ने डीजे कोर्ट के इन 3 नाम में से डीजे विनोद भारवानी और मदनगोपाल व्यास के नाम को मंजूरी दी, लेकिन डीजे उमाशंकर व्यास के नाम को पेडिंग रखा. बाद में केन्द्र सरकार ने डीजे उमाशंकर व्यास के नाम को भी मंजूरी देते हुए हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया. राष्ट्रपति ने डीजे व्यास को 25 अक्टूबर 2021 को राजस्थान हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा भेजे डिस्ट्रीक्ट जजों के नाम पर एक बार फिर से 8 अक्टूबर 2021 को बैठक की. जिसके बाद कॉलेजियम ने केवल डीजे शुभा मेहता के नाम की सिफारिश करते हुए केन्द्र सरकार को भेज दिया. डीजे शुभा मेहता की नियुक्ति के साथ ही हाईकोर्ट द्वारा मई 2020 में भेजे गये 8 में से 4 डीजे हाईकोर्ट में जज नियुक्त हो चुके है. वही पेडिंग 4 नाम में से डीजे नृसिंगदास व्यास और डीजे निर्मलसिंह मेड़तवाल डीजे पद से सेवानिवृत हो चुके है. डीजे मेड़तवाल राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल पद से हाल ही में 31 मई को ही सेवानिवृत हुए है. वही डीजे संगीता शर्मा और डीजे देवेन्द्र शर्मा क्रमश: मेड़ता और भरतपुर में जिला न्यायाधीश के पद पर सेवारत हैं.
राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा मई 2020 में भेजे गये 20 नाम में से अब तक कुल 9 जज बनाए जा चुके है. वहीं 11 नाम में से 50 प्रतिशत अभी भी सुप्रीम कोर्ट से लेकर केन्द्र सरकार के पास पेडिंग है. एडवोकेट कोटे से भेजे गये गणेश मीणा, मनीष शर्मा के नाम केन्द्र सरकार के पास पेडिंग है. गणेश मीणा राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में अतिरिक्त महाधिवक्ता हैं तो वही मनीष शर्मा राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ में प्रेक्टिसरत एडवोकेट हैं.
राजस्थान हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पदों को भरने के हाईकोर्ट कॉलेजियम की 10—11 फरवरी 2022 को बैठक हुई. तत्कालिन चीफ जस्टिस अकील कुरैशी की अध्यक्षता में हाईकोर्ट कॉलेजियम ने 16 नए नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेज दी. भेजी गयी सिफारिश में एडवोकेट कोटे से अनिल उपमन, राजेश महर्षि, सुनिल समदड़िया, अंगद मिर्धा, नुपूर भाटी, संदीप शाह, संजय नाहर और दिपक मेनारिया का नाम शामिल हैं.
डीजे कोटे से राजस्थान हाईकोर्ट ने 8 नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजी हैं. जिसमें डीजे राजेन्द्र सोनी, डीजे अशोक जैन, डीजे एस पी काकड़ा, डीजे योगेन्द्र पुरोहित, डीजे भुवन गोयल, डीजे प्रवीर भटनागर, डीजे मदनलाल भाटी और आशुतोष मिश्रा के नाम शामिल हैं.
राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा भेजे गये इन सभी 16 नाम पर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा जुलाई माह में बैठक किये जाने की संभावना है.
राजस्थान हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के मामले में कभी भी सफल नही रहा हैं. जजों की संख्या लगातार बढती रही है. लेकिन कभी भी 100 प्रतिशत जज इस हाईकोर्ट में नियुक्त ही नही किये जा सके. राजस्थान हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा कि गयी सिफारिशें भी अक्सर चर्चा का विषय बनी रही हैं. कभी रिश्तेदारों के नाम तो कभी कुछ वर्ग विशेष से जुड़े नामों की संख्या को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं.
हाल ये है कि हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा 2018 और 2020 में भेजी गयी सिफारिशों में से 50 प्रतिशत नाम भी सफल नहीं हो पाये हैं. देश के दूसरे हाईकोर्ट द्वारा कॉलेजियम की बैठको के इतर राजस्थान हाईकोर्ट में कॉलेजियम के दौरान बरती जाने वाली प्रक्रिया पर ही बार एसोसिएशन और उसके सदस्य सवाल खड़े करते रहे हैं. जिसके चलते कई बार भेजे जाने वाले नामों के खिलाफ शिकायतों की बाढ सी आ जाती हैं.
इसके साथ ही हाईकोर्ट द्वारा भेजे जाने वाले नामों की सूची में उच्च वर्ग से आने वाले नामों की संख्या को लेकर भी एक तिरछी निगाह कॉलेजियम पर बनी रहती हैं. राजस्थान हाईकोर्ट कॉलेजियम ने फरवरी 2022 में एडवोकेट कोटे से जिन नामों की सिफारिश कि गयी हैं उनमें सभी वर्ग को प्रतिनिधित्व दिये जाने की बात कही जा रही हैं, लेकिन 16 नाम में से केवल एक महिला नाम का नाम भेजा जाना कॉलेजियम की रवैये में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नही दिखाता.
फरवरी 2022 में जस्टिस अकील कुरैशी की अध्यक्षता में हुए कॉलेजियम द्वारा भेजे गये अधिवक्ता कोटे के नाम को लेकर फिलहाल कवायद जारी है. सभी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की जुलाई में होने वाली बैठकों का इंतजार हैं.
अपने जिले की खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें