जयपुर: नगर निगम ग्रेटर में पट्टों में खेल,जेडीए और नगर निगम से एक मकान के जारी हुए अलग अलग पट्टे
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जयपुर: नगर निगम ग्रेटर में पट्टों में खेल,जेडीए और नगर निगम से एक मकान के जारी हुए अलग अलग पट्टे

जयपुर न्यूज: जेडीए और नगर निगम से एक मकान के जारी अलग अलग पट्टे जारी हो गए.मेयर डॉ.सौम्या और DC आयोजना-2 के हस्ताक्षर से पट्टा जारी हुआ.सवाल ये की निगम ग्रेटर के डिस्पेच रजिस्ट्रेशन में कैसे दर्ज हुआ.

 

जयपुर: नगर निगम ग्रेटर में पट्टों में खेल,जेडीए और नगर निगम से एक मकान के जारी हुए अलग अलग पट्टे

Jaipur: सरकार प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत रियायत देकर आमजन को फायदा पहुंचाने का काम कर रही हैं लेकिन इस अभियान की आड़ में लोग बड़े-बड़े खेल कर रहे हैं. नगर निगम ग्रेटर जयपुर में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जेडीए से पहले जारी पट्‌टे के बाद भी नगर निगम के अधिकारियों ने दूसरा पट्टा जारी कर दिया. बकायदा उस पट्टे पर मेयर सौम्या गुर्जर, डिप्टी कमिश्नर प्लानिंग के हस्ताक्षर है. शिकायत जब मेयर और डिप्टी कमिश्नर को मिली तो उन्होंने पट्‌टे पर जारी हस्ताक्षर खुद के होने नहीं बताए है.

ऐसे में अब नगर निगम प्रशासन में इस पट्‌टे को लेकर हड़कंप मचा हुआ है. इधर नगर निगम प्रशासन ने अब जेडीए से रिकॉर्ड मंगवाया है, ताकि ये देख सके कि इस प्लॉट का पहला पट्‌टा क्या सही में जेडीए से जारी हुआ है या नहीं. पूरा मामला निवारू रोड स्थित डिफेंस कॉलोनी के भूखण्ड संख्या 40 का है. मोती भवन निर्माण सहकारी समिति की बसाई इस कॉलोनी में प्लॉट नंबर 40 सबसे पहले ले. कर्नल रविन्द्र कुमार के नाम सितम्बर 1991 में जारी हुआ था.

उसके बाद इस प्लॉट का दो बार बेचान हुआ और साल 2007 में जेडीए ने आखिरी खरीददार शांति देवी के नाम से इस प्लॉट का पट्‌टा जारी कर दिया. इस प्लॉट को बाद में मधु अग्रवाल ने साल 2007 में ही खरीद लिया और नाम ट्रांसफर करवा लिया और 2007 में मधु अग्रवाल ने इस प्लॉट की रजिस्ट्री खुद के नाम करवाई.

पीड़ित परिवार का कहना हैं कि विकास शर्मा ने जीए से आवंटित पट्टे के प्लॉट का फर्जी पट्टा नगर निगम से हासिल कर लिया. फिर प्लॉट पर कब्जा करने की नियत से प्लॉट की ब्राउंडीवाल को बुलडोजर से ध्वस्त किया. नगर निगम ग्रेटर ने विकास शर्मा के नाम से 3 मार्च 2023 इसी भूखण्ड का फ्री होल्ड पट्टा जारी कर दिया. बड़ी बात ये है कि पट्‌टा जारी करने के लिए डिस्पेच रजिस्टर में एंट्री होती है वो तो है लेकिन मूल फाइल जिसमें आवेदन और अन्य दस्तावेज होते है वह प्लानिंग शाखा में नहीं है. ऐसे में नगर निगम कमिश्नर महेन्द्र सोनी ने इस पूरे मामले की जांच शुरू करवा दी.

इधर नगर निगम प्रशासन ने पत्र लिखकर जेडीए के जोन 7 उपायुक्त से इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी.नगर निगम अधिकारियों के पास इस प्लॉट की मूल फाइल नहीं है. निगम अधिकारी ये जांच करवाना चाहते थे कि क्या जेडीए से इस प्लॉट का पट्टा जारी हुआ है या नहीं. इस पर जेडीए के जोन 7 उपायुक्त ने प्लॉट की मूल फाइल दोपहर बाद नगर निगम भिजवाई. जिसमें 2007 में शांति देवी के नाम से पट्‌टा जारी होना बताया है.

इस कॉलोनी को जेडीए ने पिछले कुछ साल पहले नगर निगम को ट्रांसफर करते हुए पूरा रिकॉर्ड ट्रांसफर किया था. इस रिकॉर्ड में कॉलोनी की जो सूची जेडीए से आई है उसमें इस प्लॉट का जिक्र ही नहीं है और न ही प्लॉट की फाइल जेडीए से नगर निगम को मिली है. ऐसे में इसे लेकर भी नगर निगम के अधिकारी हैरान है. आयुक्त महेन्द्र सोनी का कहना हैं की पूरे प्रकरण की जांच कराने के साथ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी. नगर निगम ग्रेटर से पट्टा जारी कैसे हुआ. डिस्पैच रजिस्टर में एंट्री कैसे हुई इसकी भी जांच की जा रही हैं. जो भी दोषी होगा उस पर एक्शन होगा. साथ में जांच के बाद पट्टा निरस्त की कार्रवाई भी होगी.

बहरहाल, इस पूरे प्रकरण के बाद सवाल ये है की कौन सच्चा कौन झूठा. जेडीए से 16 साल पहले पट्टा जारी होने के बाद नगर निगम ग्रेटर की महापौर डॉ.सौम्या गुर्जर और उपायुक्त आयोजना के नाम से पट्टा कैसे जारी हो गया. यदि हस्ताक्षर उनके नहीं हैं तो फिर डिस्पैच रजिस्टर में एंट्री कैसे हुई. 10 मई को पीडित परिवार शिकायत दर्ज करवा चुका है तो पांच दिन का समय बीतने के बाद भी फर्जी हस्ताक्षर और पट्टे की एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई.

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