Nagar Nigam Greater News: हैरिटेज निगम के अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा ने मेयर मुनेश गुर्जर, मेयर पति, पार्षदों सहित 15 लोगों के खिलाफ माणक चौक थाने में राजकार्य में बाधा, बंधक बनाने, अपशब्द कहने और धमकाने का आरोप लगाते हुए सात अलग अलग धाराओ में मुकदमा दर्ज करवा दिया हैं.
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Nagar Nigam Greater News: नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज (jaipur heritage nagar nigam) में मेयर और अतिरिक्त आयुक्त में विवाद समान हैं लेकिन प्रदेश सरकार की संजय दृष्टि अलग-अलग नजर आ रही हैं. नगर निगम ग्रेटर में जहां विवाद के अगले दिन मेयर सौम्या (Mayor Saumya Gurjar) को विवाद के अगले निलंबित कर दिया गया था लेकिन निगम हैरिटेज में मेयर मुनेश गुर्जर (Munesh Gurjar) विवाद के 12 दिन बाद भी पद पर कायम हैं और 2 जुलाई से फिर से अतिरिक्त आयुक्त को हटाने की मांग को लेकर धरना देने की तैयारी कर रही हैं.
उधर राज्य सरकार से एक सप्ताह बाद भी एफआईआर दर्ज (FIR) कराने की अनुमति नहीं मिलने और आरएएस से आईएएस में प्रमोशन का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद हैरिटेज निगम के अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा ने मेयर मुनेश गुर्जर, मेयर पति, पार्षदों सहित 15 लोगों के खिलाफ माणक चौक थाने में राजकार्य में बाधा, बंधक बनाने, अपशब्द कहने और धमकाने का आरोप लगाते हुए सात अलग अलग धाराओ में मुकदमा दर्ज करवा दिया हैं.
इस एफआईआर के बाद शहरी सरकार की सियायत गर्मा गई हैं. मेयर मुनेश गुर्जर भी अपने महिला समर्थक पार्षदों के साथ मिलकर अभद्रता करने के मामले में अतिरिक्त आयुक्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की तैयारी कर रही हैं. गौरतलब है कि बकायदा इस मामले की शिकायत राज्य सरकार को अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा ने भेजी हैं लेकिन सरकार ने ग्रेटर निगम की तरह हैरिटेज निगम में मेयर के खिलाफ एक्शन लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. जबकि नगर निगम ग्रेटर के पुराने घटनाक्रम में 4 जून 2021 को मेयर सौम्या का तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव से एक बैठक में विवाद हुआ.
इस विवाद के बाद कमिश्नर ने मेयर की शिकायत सरकार को करते हुए मेयर के खिलाफ ज्योति नगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया. इस घटना के अगले दिन 5 जून को सरकार ने सौम्या गुर्जर और उनके साथ तीन अन्य पार्षदों को पद से निलंबित कर दिया और मामले की न्यायिक जांच शुरू करवा दी. इस दौरान मेयर करीब 8 माह तक कुर्सी से दूर रही और 2 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वापस कुर्सी पर बैठी लेकिन सितम्बर के आखिरी में सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश के बाद सरकार ने उन्हें पद से हमेशा के लिए बर्खास्त करते हुए उनको 6 साल के चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया था.
हेरिटेज निगम मेयर मुनेश गुर्जर का एडिशनल कमिश्नर राजेंद्र वर्मा से विवाद हुए जबकि 12 दिन हो चुके हैं. इस घटनाक्रम के वीडियो भी सामने आ चुके हैं. दरअसल बीते 14 साल में यह 5वीं बार है जब मेयर पार्षद और अफसरों के बीच झगड़े तक नौबत पहुंची है. 2009 में प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से जीतकर ज्योति खंडेलवाल (कांग्रेस) मेयर बनीं. कार्यकाल शुरू होने के एक साल बाद ही तत्कालीन कमिश्नर जगरूप सिंह यादव से विवाद हो गया लेकिन कई कांग्रेस नेता यादव के पक्ष खड़े हो गए. तत्कालीन नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने जयपुर नगर निगम को नरक निगम तक कहा मंत्री की शिकायत ज्योति सोनिया व राहुल गांधी से तक से की.
नगर निगम हैरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर का कहना हैं 2 जुलाई तक कार्रवाई नहीं हुई तो इंटरवेल के बाद फिर से अतिरिक्त आयुक्त को हटाने के लिए धरने की पिच्चर देखने को मिलेगी. अनुशासनहीनता करने वाले अफसर का प्रमोशन नहीं डिमोशन होना चाहिए. अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा किसी भी सीट पर बैठने लायक तक नही हैं. जिन फाइलों में भ्रष्टाचार हुआ और उनको दबाने के लिए वर्मा जाति का सहारा ले रहे हैं. राजकार्य में बाधा का मुकदमा जिस तरह से मेयर और पार्षदों पर किया गया ये मुकदमा तो राजेन्द्र वर्मा पर होना चाहिए. उन्होंने कहा की क्यों राजेन्द्र वर्मा ने अस्थाई बीट्स की फाइल एक पखवाडे तक अपने पास रखी. ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने क्यों 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जबकि घटनाक्रम वाले दिन तो 51 लोग मौजूद थे. 2 जुलाई से पहले मुख्यमंत्री गहलोत, प्रभारी रंधावा से मुलाकात करूंगी. सुनवाई नहीं होती हैं तो फिर से 2 जुलाई से 10 दिन के लिए स्थगित धरना पार्षदों के साथ फिर शुरू होगा.
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दरअसल 16 जून को नगर निगम हैरिटेज में अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा को मेयर मुनेश गुर्जर के ही चैम्बर में पार्षदों ने बुलाकर घेर लिया और उनके फाइल पर साइन नहीं करने पर खूब खरी-खोटी सुनाई. अतिरिक्त आयुक्त ने इस मामले पर मेयर मुनेश गुर्जर, उप-महापौर असलम फारुखी, पार्षद उमर दराज, नीरज अग्रवाल, श. कुरैशी, सुनिता मावर, राबिया गुडऐज, अंजली, पार्षद पति मोहम्मद अस्तर, आयशा सिद्दीकी, फरीद कुरैशी, फूलचंद, पार्षद के रिश्तेदार शाकिर, महापौर के पति सुशील गुर्जर, बसन्त असवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई. इसमें कमिश्नर ने इसके खिलाफ राजकार्य में बाधा डालने और जाति सूचक शब्दों का उपयोग कर आपमानित करने का आरोप लगाया हैं.
बहरहाल, मेयर और पार्षदों के सात दिन धरना देने और आश्ववासन का समय बीतने के बाद भी अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा का निलंबन को नहीं हुआ लेकिन इतना जरूर है की वर्मा आरएएस से आईएएस बन गए हैं. यानि की वर्मा को प्रमोशन का तोहफा जरूर मिला हैं. माना जा रहा है की आश्वासन का पूरा समय होने से पहले तबादला सूची में राजेन्द्र वर्मा का तबादला दूसरी जगह हो सकता हैं, लेकिन इस बीच सवाल ये हैं की जीत किसकी हुई. मेयर मुनेश गुर्जर की या फिर अतिरिक्त आयुक्त की या फिर दोनों की.