3 जिलों में बंटा अलवर, जहां से मिलती थी रेवेन्यू अब हुए अलग, व्यापारी संघ इस मांग को लेकर हुए एकजुट
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3 जिलों में बंटा अलवर, जहां से मिलती थी रेवेन्यू अब हुए अलग, व्यापारी संघ इस मांग को लेकर हुए एकजुट

अलवर को सबसे ज्यादा रेवेन्यू मिलती थी वह हिस्से अलवर से अलग कर दिए गए. अलवर जिले को बहरोड़ और खैरथल को नए जिले के रूप में अलग किया गया है. शहर के व्यापारियों ने एक बड़ा कदम उठाया. उन्होंने एक बैठक की और इसके लिए अलवर संभाग बनाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया.

3 जिलों में बंटा अलवर, जहां से मिलती थी रेवेन्यू अब हुए अलग, व्यापारी संघ इस मांग को लेकर हुए एकजुट

 

Alwar News: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा नए जिलों के गठन के बाद अलवर जिले को तीन हिस्सों में बांट दिया गया. जिन हिस्सों से अलवर को सबसे ज्यादा रेवेन्यू मिलती थी वह हिस्से अलवर से अलग कर दिए गए. अलवर जिले को बहरोड़ और खैरथल को नए जिले के रूप में अलग किया गया है.

अलवर जिला तीन हिस्सों में बंट गया 

खैरथल में भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र, बहरोड़ में नीमराणा औद्योगिक क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है. यह अलवर की औद्योगिक विकास की लाइफ लाइन है. जो सबसे ज्यादा रेवेन्यू देते थे. अलवर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे. जब इन हिस्सों को अलवर से अलग कर दिया गया तो अब निश्चित रूप से अलवर में रेवेन्यू ना के बराबर प्राप्त होगी. अगर सरकार ने प्रयास नहीं किए तो निश्चित रूप से एनसीआर में शामिल अलवर विकास की दृष्टि से पूरी तरह पिछड़ जाएगा. जिस तरह अलवर का बंटवारा किया गया है उससे अलवर का भविष्य भी विकास की दृष्टि से चौपट होता दिखाई दे रहा है.

अलवर को सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाला इलाका

अलवर के मिनी सचिवालय के उद्घाटन अवसर पर आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह और राजस्थान सरकार के मंत्री टीकाराम जूली ने अलवर को संभाग बनाने की मांग की, लेकिन मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर अब संभाग बनाया गया तो अलवर को प्राथमिकता दी जाएगी. लेकिन अलवर को बिल्कुल भी प्राथमिकता नहीं दी गई.

बहरोड़ और खैरथल अलग

ऐसे में अलवर को विकास की पटरी पर लाने के लिए अलवर शहर के व्यापारियों ने एक बड़ा कदम उठाया. अलवर के जितने भी व्यापारिक संगठन थे सब एक मंच पर आए. आज उन्होंने एक बैठक की और इसके लिए अलवर संभाग बनाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया.

अलवर संभाग बनाओ संघर्ष समिति का गठन

इस समिति में सभी व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारी शामिल हैं और पुरजोर ढंग से मांग की गई कि जब तक अलवर को संभाग नहीं बनाया जाएगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा. व्यापार संघ के राज कुमार गोयल ने बताया कि आज व्यापारी एकता के कारण अलवर संभाग बनाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया है.

उन्होंने कहा कि संभाग बनाने में अलवर की अपेक्षा की गई है. ऐसा व्यापारी सोचता है. इस संबंध में कल जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया जाएगा. समिति जो भी रणनीति तय करेगी वह आंदोलन किया जाएगा. चाहे व्यापारियों का अलवर बंद हो. धरना प्रदर्शन हो या रैली निकालनी हो. समिति को व्यापारियों का पूर्ण समर्थन रहेगा. इसी तरह व्यापारी नेता मुकेश विजय ने बताया कि अलवर जिले के तीन हिस्से तो कर दिए गए लेकिन अलवर के महत्वपूर्ण हिस्सों को हटा दिया गया. जिससे अलवर की रेवेन्यू शून्य हो रही है. ऐसे में सभी व्यापारी वर्ग ने अलवर को संभाग बनाने की पुरजोर मांग की है.

संभाग बनाने की मांग 

इसी तरह संयुक्त व्यापार महासंघ के रमेश जुनेजा ने बताया कि अलवर जिले के तीन टुकड़े होने के बाद अलवर का विकास का पहिए थम सा जाएगा. यह अच्छी बात है कि नए-नए जिलों का गठन किया गया है, लेकिन जो अलवर को सम्मान दिया जाना चाहिए था वह नहीं दिया गया. इस संबंध में अलवर की पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, राजस्थान सरकार के मंत्री टीकाराम जूली ने अपनी बात रखी लेकिन यह शर्मनाक बात है कि सरकार ने उनकी मांगों को तवज्जो नहीं दी.

व्यापारी नेता सुरेश गुप्ता ने बताया कि अलवर से दो-दो मंत्री होने के बावजूद भी अलवर की अपेक्षा की गई. यह शर्मनाक स्थिति है .अब व्यापारी सुनिश्चित करेंगे कि किस तरह आंदोलन चलाया जाए. अलवर को संभाग बनाया जाए.

आंदोलन चलाया जाएगा- व्यापारी नेता 

इसी तरह मंडी व्यापारी सुरेश जलालपुरिया ने बताया कि अलवर देश ही नहीं विश्व के मानचित्र पर शीर्ष पटल पर स्थित है.अलवर जिले का विभाजन कर दिया गया, लेकिन अलवर को संभाग नहीं बनाया गया, यह शर्मनाक स्थिति है. अलवर का औद्योगिक विकास किस तरह हो या शहर का विकास किस तरीके से हो इसको सुनिश्चित करने के लिए व्यापारियों ने अच्छा कदम उठाया है और अलवर को संभाग बनाने के लिए पूर्व में भी मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया था.

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सामाजिक कार्यकर्ता राजेश ज्ञागिक ने कहा कि कहीं ना कहीं राजनीतिक नेतृत्व की पैरवी कमजोर रही है. वरना 15 साल पहले ही अलवर को संभाग बन जाना चाहिए था. अब शीघ्र पक्ष और विपक्ष एक साथ दिखेगा और ऐसी स्थिति में अलवर के विकास जरूरी होगा.ऐसी स्थिति में संभाग बनाया जाना जरूरी है.

 

 

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