Sawan 2022 : सावन के महीने में भोलेनाथ की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है. लेकिन क्या आपको बता है, कि सावन में होने वाली बारिश के पानी से की गई पूजा का चमत्कारिक और विशेष फलदायी होती है.
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Sawan 2022 : पौराणिक मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी ने जब विषपान किया तो उनके गले से लेकर पूरे शरीर में बेहद जलन होने लगी थी. जब श्रावण मास में हुई तेज बारिश ने भगवान शिव को ठंडक दी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर स्वयं सावन महीने की महिमा बताते हुए कहते हैं कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बाएं चन्द्रमा और अग्नि मध्य नेत्र है.
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जैसा की सब जानते है कि जब सूर्य कर्क राशि में गोचर करता है, तब सावन महीने की शुरुआत होती है. सूर्य गर्म है, जो ऊष्मा देता है, जबकि चंद्रमा ठंडा है जो शीतलता लाता है. इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से झमाझम बारिश आती है और भोलेनाथ को ठंडक और सुकून मिलता है. इसलिए शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है.
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लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि सावन में बारिश के पानी के चमत्कारी उपायों से आप अपनी जिंदगी बदल सकते हैं. अगर आपके जीवन में कोई परेशानी हो चाहे पैसों को लेकर या फिर कोई बीमारी या फिर नौकरी सभी समस्याओं का निदान इस बारिश के पानी में छिपा है.
बारिश के पानी के उपाय
अगर बिजनेस में घाटा हो रहा हो या प्रमोशन में देरी हो रही हो तो बारिश के पानी को पीतल के बर्तन में जमा करें. एकादशी पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का इस बारिश के जल से अभिषेक करें.
घर में नकारात्मक शक्ति का डर हो तो बारिश के पानी को बर्तन में लें और हनुमानजी के सामने रख दें. पूरे सावन हनुमान चालीसा का भी पाठ करें और फिर इस जल को पूरे घर में छिड़क दें.
कर्ज के बोझ से भी ये बारिश का पानी बचा सकता है. बारिश के पानी में दूध मिलाकर भगवान का नाम लेकर जितने दिन हो सके इसी पानी से नहाएं.
आर्थिक समस्याओं से परेशान हैं तो मिट्टी के घड़े में बारिश का पानी जमा कर उत्तर दिशा में रखें. क्योंकि कुबेर जी उत्तर दिशा के स्वामी हैं.
घर में सुख-समृद्धि के लिए एक कटोरी में बारिश का पानी भर लें और फिर उसे धूप में रखने के बाद, अपने इष्टदेव का नाम लेते हुए पानी को आम के पत्तों पर छिड़क दें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है.
लंबी बीमारी से निजात के लिए बारिश के पानी से भगवान शिव का अभिषेक करें.
(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. जिसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें)
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