Bikaner News: राजस्थान के बीकानेर के रहने वाले 8 साल के सबसे छोटे रेसर के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. फार्मूला वन कार चलाना हर रेसर का सपना होता है.
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Bikaner News: रेसिंग की वो दुनिया जिसकी शुरुआत भी आसान नहीं है. गो-कार्टिंग उसका ही पहला पायदान है और ऐसा भी कहा जाता है कि जिसने इसको आसानी से सफलतापूर्वक कर दिया. वो एफ1 तक के रेसिंग ट्रेक तक का भी सपना साकार कर सकता है. कुछ ऐसा ही कीर्तिमान स्थापित किया है बीकानेर के रहने वाले रुद्र प्रताप सिंह शेखावत है, जिनकी अभी उम्र 8 साल है लेकिन जब रुद्र 4 साल 6 माह के थे तभी से गोकार्टिंग शुरू कर दी और सबसे कम उम्र में गो- कर्टिंग करने वाले रेसिंग करने वाले स्पोर्ट्स पर्सन बने, जिन्हें लाइसेंस मिला.
वहीं, महज सात साल की उम्र में ही मॉरिशियस 2024 में चौथा स्थान हासिल कर सभी को हैरत में डाल दिया. वही देश में भी नेशनल गेम्स में 9वां स्थान प्राप्त कर कीर्तिमान स्थापित किया.
रुद्र ने अभी तक दुनिया के कई देशों में इसको लेकर अभ्यास किया है अगर बात की जाये तो इंडिया, यूएई, इटली, मलेशिया और ओमान जैसे देशों में अपनी गेम्स की पॉवर दिखा चुके हैं. ऐसे में इसे F1 फार्मूला वन रेसिंग की दुनिया में पहुंचने का पहला कदम माना जा रहा है. अगर तकनीकी रूप से आम भाषा में कहे तो रुद्र अपनी कार को 98 KM रफ्तार से चला चुके हैं, जिसका आरपीएम 10 हजार प्लस तक रहता है.
वहीं, रुद्र इंटरनेशनल लेवल को हासिल करने के लिए वो सब मेहनत कर रहे हैं, जो उन्हें उस लेवल तक ले जाए, जिसे वो हासिल करना चाहते हैं. रेयान फरनानडो जो की विराट कोहली के पौष्टिकता है, उनकी अपनी पोषकता प्राप्त कर रहे हैं, जो की उस पैमाने को हासिल करने में उसकी मदद कर सके.
अब बताते कि आखिर रुद्र के इतनी कम उम्र में इतना कीर्तिमान हासिल करने की पीछे की वजह उनका परिवार है. रुद्र के पिता कुश शेखावत खुद गाड़ियों के शौकीन है और उन्होंने जिस सपने को देखा उसे अब रुद्र पूरा कर रहे हैं. उनके पिता का कहना है कि रुद्र में वो दक्षता और क्षमता है, जिससे वो आने वाले समय में देश का नेतृत्व उच्च स्तर तक कर सकते हैं. वहीं, उनका मानना है कि F1 कार की दुनिया में देश को अभी बहुत कुछ करने और आगे बढ़ने की जरूरत है, जिसे वो उच्चाइयों तक ले जाना चाहते हैं. वहीं, रुद्र का कहना है कि वो देश के लिए खेलकर अपना सपना साकार करना चाहते हैं.
रुद्र के इस कारनामे ने ये साफ कर दिया की टैलेंट उम्र का मोहताज नहीं होता. इतनी कम उम्र में इतना बड़ा करनामा कर देश के बच्चों के लिए एक एक्जाम्पल सेट किया है, जो अपने आप में काबिले तारीफ है.