बीकानेर में दिखेगा 500 साल पुरानी डोलची मार होली का रंग, पीठ पर पड़ते ही होता है तेज दर्द
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बीकानेर में दिखेगा 500 साल पुरानी डोलची मार होली का रंग, पीठ पर पड़ते ही होता है तेज दर्द

Bikaner Dolchi Mar Holi: बरसाना की लठमार होली के बाद बीकानेर में पानी से डोलची मार लोगों को याद रहती है जो अपने आप में अनूठी है. इस होली के रसिये इस डोलचीमार होली का जम कर आनंद लेते है, इसमें रंग की बजाय केवल पानी से होली खेली जाती है.

बीकानेर में दिखेगा 500 साल पुरानी डोलची मार होली का रंग, पीठ पर पड़ते ही होता है तेज दर्द

Bikaner Dolchi Mar Holi: बीकानेर में होली पर डोलची से होली( Dolchi Mar Hol) खेलने की परंपरा है जिसमें एक दूसरे पर पानी का वार करके होली खेली जाती है. जहां जितना तेज प्रहार होगा और दर्द होगा उतना ही प्यार बढ़ेगा. यह परंपरा लगभग 500 साल पुरानी है, बरसों से चली आ रहीं इस परंपरा को आज भी बीकानेर में वैसे ही मनाया जाता है. होली के इस मौके पर बड़े - बड़े कडाव(बर्तन) को पानी से भरा जाता है.

 इस खेल में काफी पानी लगता है. उसके लिए यहां पहले से तैयारिया की जाती है और अगर पानी कम पड़ जाये तो पानी के टैंकर मंगवाए जाते है और सैकड़ों की संख्या में लोग इस खेल में एक दूसरे की पीठ पर डोलची से पानी मारते है और होली खेलते है.

इस खेल में दो लोग आपस में खेलते है, चमड़े से बनी इस डोलची में खेलने वाला पानी भरता है और सामने खड़े अपने साथी की पीठ पर जोर से पानी से वार करता है और फिर उसे भी जवाब देने का मोका मिलता है जितनी तेज़ आवाज़ होती है उतना ही खेल का मज़ा आता है और जोश बढ़ता है. इतिहास के मुताबिक़ ये खेल सालो पहले दो जातियों हर्ष-व्यास के बीच शुरू हुआ जिसे अब हर वर्ग ओर जात के लोग खेलते है.

महिलाएं और बच्चे अपने घरों की छत से इस खेल के नज़ारे को देखती है और आखिर में खेल का अंत लाल गुलाल उड़ाकर और पारंपरिक गीत गाकर किया जाता है.इस खेल में बच्चें, बूढ़े, जवान हर जाति धर्म के लोग हिस्सा लेते है. होली के रसिये साल भर इस डोलची मार होली का इंतजार करते है और जम कर खेलते है यह पानी का खेल.ऐसे में होली के रसियों पर होली की खुमारी अभी से ही देखने को मिल रही हैं.

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