Foreign birds in Bharatpur: केवलादेव नेशनल पार्क विदेशी पक्षियों से हुआ गुलजार, पर्यटकों की संख्या में इजाफा
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Foreign birds in Bharatpur: केवलादेव नेशनल पार्क विदेशी पक्षियों से हुआ गुलजार, पर्यटकों की संख्या में इजाफा

भरतपुर केवलादेव नेशनल पार्क पक्षियों  के लिए दुनिया भर में मशहूर है. इसीलिए इसे पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है. सीजन के शुरुआती 3 माह में 22 हजार से ज्यादा के पर्यटक आ चुके हैं. इन दिनों विदेशी पक्षियों से केवलादेव नेशनल पार्क गुलजार हो गया है.

 

पर्यटकों का आना शुरू.

Foreign birds in Bharatpur: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों और पर्यटकों को देख उद्यान प्रशासन और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोग उत्साहित हैं. सर्दियों के बढ़ने के साथ ही उद्यान में लोगों की चहलकदमी देखते ही बनती है. बी​ते तीन माह में उद्यान में 22 से हजार से ज्यादा पर्यटक पहुंचे हैं. भरतपुर केवलादेव नेशनल पार्क पक्षियों  के लिए दुनिया भर में मशहूर है. इसीलिए इसे पक्षियों का स्वर्ग भी कहा जाता है. सीजन के शुरुआती 3 माह में 22 हजार से ज्यादा के पर्यटक आ चुके हैं. इन दिनों विदेशी पक्षियों से केवलादेव नेशनल पार्क गुलजार हो गया है.

तीन माह में 22 हजार से अधिक पर्यटक

उद्यान के आंकड़ो पर नजर डालें तो सितंबर माह से ही पर्यटकों का आना शुरू हो गया है. सर्दी बढ़ने के साथ ही लगातार पर्यटकों की संख्या बढ़ रही (More tourists in winter in Keoladeo National Park) है. उद्यान में सितंबर में 3735 पर्यटक, अक्टूबर में 8154 पर्यटक और नवंबर में 10,335 पर्यटक पहुंचे. इनमें विदेशी पर्यटक क्रमशः 216, 537 और 693 शामिल हैं. बीते माह में घना पहुंचे पर्यटकों से उद्यान को करीब 29 लाख रूप से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है.

दिसंबर अंत तक पेलिकन के पहुंचने की संभावना

सेवानिवृत्त रेंजर भोलू अबरार ने बताया कि उद्यान में करीब 370 प्रजाति के देसी-विदेशी पक्षी पहुंचते हैं इनमें से अधिकतर प्रजाति के पक्षी यहां पहुंच चुके (migratory birds in Keoladeo National Park) हैं. दिसंबर अंत तक पेलिकन भी पहुंच जाएंगे. फिलहाल पक्षी जलाशयों में दूरी पर हैं. लेकिन धीरे-धीरे ये नजदीक आते जायेंगे और पर्यटकों को और आसानी से नजर आने लगेंगे.

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सेवनिवर्त रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि सर्दियों की छुट्टियों में उद्यान में बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. उद्यान के करीब 150 रिक्शों के अलावा पूरे शहर के रिक्शे यहां लगा दिए जाते हैं फिर भी कम पड़ जाते हैं. नेचर गाइड और रिक्शा चालकों को बड़े दिन की छुट्टियों का इंतजार रहता है. फिलहाल वीकेंड में एनसीआर क्षेत्र के पर्यटक काफी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं.

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