जानें वो 5 सटीक कारण जिसके चलते जनता पर नहीं चल सका अशोक गहलोत का 'जादू'!
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जानें वो 5 सटीक कारण जिसके चलते जनता पर नहीं चल सका अशोक गहलोत का 'जादू'!

Rajasthan Chunav Result 2023 Winner list: राजस्थान की सियासत के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत का जादू राजस्थान की जनता पर नहीं चल पाया और कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ा.

जानें वो 5 सटीक कारण जिसके चलते जनता पर नहीं चल सका अशोक गहलोत का 'जादू'!

 Rajasthan Chunav Result Winner List: राजस्थान की सियासत के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत का जादू राजस्थान की जनता पर नहीं चल पाया और कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ा. कांग्रेस की करारी हार को लेकर अब महामंथन का दौर शुरू हो गया है और उन वजहों को टटोला जा रहा है कि आखिर इतना सब कुछ करने के बावजूद कांग्रेस राजस्थान में सरकार रिपीट क्यों नहीं कर पाई. चलिए इन पांच बिंदुओं से समझते हैं कि आखिर राजस्थान में कांग्रेस की वापसी क्यों ना क्यों नहीं हो सकी.

कांग्रेस संगठन 

जमीनी स्तर पर देखा जाए तो भाजपा का बूथ लेवल तक एक स्ट्रांग होल्ड है, तो वहीं कांग्रेस ग्राउंड लेवल पर गायब नजर आती है. कांग्रेस के पास सेवा दल, महिला कांग्रेस, सर्वोदय, यूथ कांग्रेस जैसे संगठन है, लेकिन पार्टी इन संगठनों  को बूथ लेवल पर पकड़ बनाने में नाकामयाब साबित होती आई है. पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने साल 2020 में ही कांग्रेस की कमान संभाल ली थी, लेकिन 3 साल में भी डोटासरा पूरे प्रदेश में एक मजबूत संगठन नहीं खड़ा कर सके.

आलाकमान से मतभेद 

पिछले 5 साल के दौरान राजस्थान कांग्रेस और कांग्रेस आलाकमान के बीच कई मर्तबा बड़े विवाद की स्थिति उपज गई, जिसकी सबसे बड़ी बानगी 25 दिसंबर की घटना है, जब राजस्थान विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान के फैसले को मानने से इनकार कर दिया था और स्थिति बगावत तक पहुंच गई थी, वहीं टिकट वितरण के दौरान भी कई ऐसे किस्से सामने आए, जब आलाकमान से मतभेद उभरते दिखाई दिए.

बड़ी गुटबाजी 

साल 2018 में कांग्रेस की जीत के साथ ही पार्टी के अंदरखाने बड़ी गुटबाजी ने जन्म ले लिया था. जिसके चलते साल 2020 में सचिन पायलट को बगावत कर मानेसर जाना पड़ा और सरकार 35 दिनों तक बाड़ेबंदी में रही. हालांकि बाद में पैचअप कराया गया, लेकिन वक्त बेवक्त उसकी सिलाई उधड़ती रही.

जनता तक नहीं पहुंच पाई आवाज

कांग्रेस का ना सिर्फ प्रदेश संगठन कमजोर रहा बल्कि कांग्रेस आला कमान और प्रदेश नेतृत्व की आवाज भी जनता के कानों तक पूरी तरह नहीं पहुंच सकी, प्रदेश में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने दौरे तो किए लेकिन इसके बावजूद पूरे चुनाव में अशोक गहलोत ही अकेले चुनाव लड़ते नजर आए. साथ ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी जनता से संवाद स्थापित नहीं कर सके. उनके प्रचार प्रसार के दौरान भी जनता से कनेक्टिविटी नजर नहीं आई, जबकि भाजपा ने पूरे देशभर से नेताओं को राजस्थान भेज दिया था और हर इलाके में ताबड़तोड़ सभाएं और रेलियां की.

राजस्थान पर निगाहें लेकिन मोदी पर निशाना 

राहुल और प्रियंका गांधी ने अपनी रेलियों के दौरान स्थानीय मुद्दों को तवज्जों देने की बजाय सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लिया. यहां तक कि राहुल गांधी ने एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पनौती तो दूसरी रैली में झूठों का सरदार तक बता दिया था. माना जा रहा है कि इस तरह की बयान बाजी के चलते भी कांग्रेस को नुकसान हुआ और भाजपा को सीधे तौर पर इसका फायदा मिला.

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