पिक्चर अभी बाकी है.. महाराष्ट्र में अब गार्जियन मंत्री को लेकर बवाल, एकनाथ शिंदे पर फिर दबाव
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पिक्चर अभी बाकी है.. महाराष्ट्र में अब गार्जियन मंत्री को लेकर बवाल, एकनाथ शिंदे पर फिर दबाव

Guardian Minister: अजित पवार और फडणवीस की जुगलबंदी इन दिनों बहुत बढ़िया चल रही है. शिंदे गुट खुद को अलग थलग पा रहा है. इसी बीच गार्जियन मंत्री को लेकर खींचतान शुरू हो गई है.

पिक्चर अभी बाकी है.. महाराष्ट्र में अब गार्जियन मंत्री को लेकर बवाल, एकनाथ शिंदे पर फिर दबाव

Maharashtra Government: महाराष्ट्र की राजनीति में लगभग रोज रोमांच देखने को मिल रहा है. विधानसभा चुनाव की शुरुआत से लेकर अभी तक ये रोमांच अनवरत जारी है. सीएम पद को लेकर भयंकर उठापटक हुई.. फिर मंत्रालय को लेकर हुई.. अब जब यह लगने लगा कि फडणवीस सरकार पटरी पर दौड़ने वाली है तो इसी बीच गार्जियन मंत्री को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. गार्जियन मंत्री जिसको पालक मंत्री या जिलों के प्रभारी मंत्री भी कहा जाता है. इसको लेकर एकनाथ शिंदे की पार्टी पर दबाव बन रहा है. मलाईदार मंत्रालयों के बंटवारे के बाद अब जिलों के प्रभारी मंत्री पद को लेकर टकराव शुरू हो गया है. 

कई जिलों में बीजेपी-शिवसेना की टकराहट
असल में सरकार में शामिल तीनों ही दल अपने-अपने विधायकों और नेताओं को हाईप्रोफाइल जिलों का पालक मंत्री बनाने की कोशिश में है. ठाणे को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है, वहां बीजेपी और शिवसेना के बीच तकरार देखने को मिल रही है. बीजेपी अपने नेता गणेश नाइक को ठाणे का पालक मंत्री बनाना चाहती है, जबकि शिंदे गुट इस पद पर अपना अधिकार बनाए रखने के लिए पूरा जोर लगा रहा है. गणेश नाइक और शिंदे के बीच पुरानी प्रतिस्पर्धा मानी जाती है, अगर बीजेपी ने यह पद हासिल कर लिया तो यह शिवसेना के लिए बड़ा झटका होगा.

रायगढ़ और छत्रपति संभाजीनगर में भी दावे
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक शिवसेना नेता भरत गोगावले ने रायगढ़ में पालक मंत्री बनने का दावा किया है. लेकिन एनसीपी के अजित पवार गुट की अड़चनें यहां सामने हैं. इतना ही नहीं छत्रपति संभाजीनगर में शिवसेना के संजय शिरसाट और बीजेपी के अतुल सावे आमने-सामने हैं. हालांकि सावे का कहना है कि वे महायुति के वरिष्ठ नेताओं के निर्णय को स्वीकार करेंगे.

क्या होती है पालक मंत्री पद की अहमियत
पालक मंत्री का पद बेहद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि उन्हें जिले के विकास और योजनाओं के लिए फंड आवंटित करने का अधिकार होता है. इसके अलावा, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे कार्यक्रमों की अध्यक्षता भी वही करते हैं. ऐसे में यह पद राजनीतिक दलों के लिए सिर्फ सत्ता ही नहीं बल्कि आगामी चुनावों की तैयारी का भी अहम जरिया बनता है.

मायानगरी मुंबई पर नजर
अगर मुंबई की बात करें तो यहां शिवसेना के किसी मंत्री का प्रतिनिधित्व नहीं है. बीजेपी ने मुंबई शहर और उपनगरों के लिए मंगल प्रभात लोढ़ा और आशीष शेलार को पालक मंत्री बनाने की योजना बनाई है. हालांकि शिवसेना चाहती है कि कम से कम एक पद उसके खाते में जाए. पिछली सरकार में मुंबई के पालक मंत्री के लिए शिवसेना के दीपक केसरकर को चुना गया था.

कई जिलों में प्रतिनिधित्व
फिलहाल पूरे महाराष्ट्र में 42 मंत्री हैं, लेकिन 12 जिलों में किसी मंत्री का प्रतिनिधित्व नहीं है. वहीं कुछ जिलों में कई मंत्री हैं, जिससे यह विवाद और बढ़ गया है. नासिक, सतारा, पुणे और बीड जैसे जिलों में भी पालक मंत्री पद को लेकर तीनों दलों के बीच खींचतान चल रही है.

विवाद सुलझाने की कोशिश
इस मामले में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि सरकार पालक मंत्री पद को लेकर किसी भी तरह के विवाद को रोकने के प्रयास कर रही है. लेकिन एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बताया गया कि शिंदे मुश्किल स्थिति में नजर आ रहे हैं. अजित पवार और फडणवीस की जुगलबंदी इन दिनों बहुत बढ़िया चल रही है. शिंदे गुट खुद को अलग थलग पा रहा है. उनके पास फिलहाल ज्यादा विकल्प नहीं हैं. अब देखना होगा कि आगे क्या होता है. 

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