Gurugram Private School News: गुरुग्राम के एक निजी स्कूल पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की. दरअसल स्कूल ने एक ही नाम की दो छात्राओं के नंबर को शिक्षा बोर्ड की साइट पर अपलोड किया जिसमें एक छात्रा को जीरो नंबर दिए थे.खास बात यह थी कि एक छात्रा स्कूल पहले ही छोड़ चुकी थी.
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Gurugram News: आखिर कौन सा छात्र एग्जाम में शानदार नंबर नहीं हासिल करना चाहता. अच्छे नंबर के लिए कमरतोड़ पढ़ाई, एकाग्रता की जरूरत होती है तब जाकर कहीं मार्कशीट पर 80 फीसद, 90 फीसद, 95 फीसद की छाप पड़ती है. कभी कभी ऐसा भी होता है कि आपने पढ़ाई शानदार की हो लेकिन एग्जाम के ठीक पहले किसी बीमारी या पारिवारिक समस्या से से पेपर अच्छा न हो पाया हो. हालांकि अगर स्कूल ही मार्किंग सिस्टम में गड़बड़ी कर दें तो क्या कहेंगे. मामला हरियाणा के गुरुग्राम के स्कूल से जुड़ा हुआ है. दरअसल हुआ ये कि 10वीं बोर्ड की परीक्षा में स्कूल ने एक ही नाम की दो छात्रों के मार्क्स में गलती की. एक छात्र को जीरो नंबर दे दिया.
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला
इस मामले की जानकारी के बाद पीड़ित छात्रा के परिजनों ने शिकायत की तो स्कूल ने अपनी गलती मानने से इनकार कर दिया. पीड़ित छात्र की जब सभी उम्मीदें टूट गईं तो उसने पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट का रुख किया. हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि स्कूल की गलती से ना सिर्फ याची के भविष्य पर असर पड़ा बल्कि शिक्षा बोर्ड को भी शर्मसार होना पड़ा. इन टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने स्कूल पर 30 हजार का जुर्माना भी लगाते हुए बोर्ड को भुगतान करने का आदेश दिया.
स्कूल पर मनमानी का आरोप
छात्रा ने अपनी अर्जी में जिक्र किया था कि कोविड के दौरान स्कूल बंद रहे. स्कूल ने ही इंटरनल असेसमेंट के नंबर बोर्ड को भेजे थे. स्कूल ने एक ही नाम की दो छात्राओं के नंबर को बोर्ड की साइट पर अपलोड किए. बड़ी बात यह कि जो दूसरी छात्रा थी वो स्कूल एक साल पहले ही छोड़ चुकी थी. स्कूल की गलती का असर यह हुआ कि बोर्ड ने दोबारा से संशोधित रिजल्ट नहीं जारी किया. पीड़ित छात्रा का कहना है कि अदालत के फैसले के बाद वो राहत महसूस कर रही है. उसके सामने बड़ी परेशानी यह थी कि ना सिर्फ उसके मार्क्स पर असर पड़ा बल्कि आगे एडमिशन में भी दिक्कत आई. उसने कई दफा स्कूल के चक्कर भी लगाए. लेकिन स्कूल वाले अपनी गलती मानने के लिए तैयार नहीं थे. वो हमें ही कसूरवार ठहराते थे. जब नाउम्मीदी बढ़ गई तो अदालत में अर्जी लगाने की जगह उसके सामने कोई चारा नहीं बचा.