DMRC: दिल्ली मेट्रो लगातार राजधानी में अपना नेटवर्क बढ़ाने में जुटी है. तीनों चरणों में डीएमआरसी ने ऐसी नई-नई तकनीकों और उपकरणों का इस्तेमाल किया है, जिन्हें देखकर लोग हैरान रह गए. अब फेज-4 में भी डीएमआरसी इसी नक्शेकदम पर चल रही है. पुरानी दिल्ली में निर्माण हमेशा से दिल्ली मेट्रो के लिए बेहद चुनौती भरा रहा है. पुरानी दिल्ली से फेज-4 में भी मेट्रो गुजरेगी. इसलिए कंस्ट्रक्शन की चुनौतियों को देखते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन यहां भी एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही है.
दिल्ली मेट्रो लगातार राजधानी में अपना नेटवर्क बढ़ाने में जुटी है. तीनों चरणों में डीएमआरसी ने ऐसी नई-नई तकनीकों और उपकरणों का इस्तेमाल किया है, जिन्हें देखकर लोग हैरान रह गए. अब फेज-4 में भी डीएमआरसी इसी नक्शेकदम पर चल रही है. पुरानी दिल्ली में निर्माण हमेशा से दिल्ली मेट्रो के लिए बेहद चुनौती भरा रहा है. पुरानी दिल्ली से फेज-4 में भी मेट्रो गुजरेगी. इसलिए कंस्ट्रक्शन की चुनौतियों को देखते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन यहां भी एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रही है.
फेज-4 के सदर बाजार मेट्रो स्टेशन को बनाने में इसी भीमकाय मशीन का उपयोग हो रहा है, जिसको ट्रेंच कटर कहा जाता है. लेकिन इसके इस्तेमाल के पीछे भी एक कारण है.दरअसल जिस जगह पर सदन बाजार मेट्रो स्टेशन का निर्माण हो रहा है, वहां की मिट्टी में सख्त चट्टानें हैं. इन चट्टानों को काट पाना आम मशीनों के लिए आसान नहीं है. इसलिए कंस्ट्रक्शन साइट पर मेट्रो की डायफ्राम वॉल को बनाने के लिए इस ट्रेंच कटर का उपयोग हो रहा है.
दिल्ली मेट्रो की हिस्ट्री में पहली बार किसी मेट्रो स्टेशन की बाहर की दीवार को बनाने के लिए ऐसी भीमकाय मशीन का इस्तेमाल किया गया है. यह मशीन चेन्नई से आई है. चेन्नई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने डीएमआरसी से पहले इस मशीन का इस्तेमाल किया है. यूं तो डायफ्राम वॉल की कंस्ट्रक्शन हाइड्रोलिक ग्रैब डी वॉल मशीन से होती है. लेकिन सदर बाजार इलाके की भौगोलिक स्थिति अलग है. इसलिए वहां ट्रेंच कटर को लगाया गया है.
यह मशीन जमीन में गहराई तक खुदाई करने में काम आती है. यह रिवर्स सर्कुलेशन पर काम करती है. लोहे के एक भारी फ्रेम पर यह बनी होती है. इसके निचले हिस्से में दो गियर बॉक्स होते हैं, जिसके जरिए लोहे के वजनदार पहिए जुड़े होते हैं. इनका जो बाहरी हिस्सा होता है, उस पर धारदार नुकीले दांत होते हैं. इनके जरिए मजबूत चट्टान को सावधानी से काटा जाता है. इसमें लगे दो पहिए एक दूसरे के विपरीत दिशा में घूमते हैं और मिट्टी को तोड़ते हैं. फिर ये उसे बेंटोनाइट (एक तरह की मिट्टी) के घोल के साथ मिलाया जाता रहता है.
जमीन में जैसे-जैसे कटर जमीन के अंदर जाता है, वह बेंटोनाइट, चट्टान और मिट्टी के मिश्रण को बाहर निकालकर बॉक्स की ओपनिंग की तरफ ले जाता है.
यहां से कटर के फ्रेम में एक पाइप जुड़ा होता है, जिसे मशीन के ऊपरी हिस्से से बाहर निकालकर डी-सैंडिंग वाले प्लांट भेजा जाता है. वहां बेंटोनाइट से चट्टान, मिट्टी के कणों को हटाया जाता है. फिर उसे ट्रेंच में वापस डाल दिया जाता है या फिर इस्तेमाल के लिए स्टोर कर दिया जाता है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़