क्या है पकड़ौआ विवाह, जिस पर 10 साल बाद आया Patna High Court का फैसला
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क्या है पकड़ौआ विवाह, जिस पर 10 साल बाद आया Patna High Court का फैसला

पटना हाई कोर्ट के जस्टिस पीबी बज्रन्थी और जस्टिस अरुण कुमार झा एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. पटना हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पकड़ुआ विवाह मान्य नहीं है. हिंदू विवाह तब तक मान्य नहीं है जब तक दूल्हा-दुल्हन राजी न हों.

फाइल फोटो

Pakdaua Marriage Bihar: कोर्ट-कचहरी में देर है अंधेर नहीं! करीब 10 साल बाद पटना हाई कोर्ट ने एक केस में अपना फैसला सुनाया जिसे सुनकर पूर्वांचल और बिहार के ज्यादातर कुंवारे लड़कों को राहत मिलेगी. हाई कोर्ट ने 'पकड़ौआ विवाह' की मान्यता को खारिज कर दिया है और कहा है कि जब तक दूल्हा-दुल्हन दोनों राजी नहीं होंगे, तब तक 'काजी' के हां करने से शादी नहीं मानी जाएगी. यानी किसी भी हिंदू शादी को तभी सही ठहराया जाएगा जब वर-वधु दोनों तैयार हों.

'पकड़ौआ विवाह' क्या होता है?

पटना हाई कोर्ट का पूरा केस जानने से पहले... जान लीजिए कि 'पकड़ौआ विवाह' क्या होता है? साल 2019 में आई रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'जबरिया जोड़ी' ने सिनेमा घरों में लोगों को काफी एंटरटेन किया. अपने यूनीक सब्जेक्ट की वजह से भी फिल्म ने काफी नाम कमाया. यहां मेन लीड के तौर पर दिखाई दिए सिद्धार्थ मल्होत्रा और परिणीति चोपड़ा. मूवी में सिद्धार्थ मल्होत्रा का किरदार अभय बंटी सिंह अच्छे-खासे प्रोफेशन के नौजवानों को किडनैप करके उनकी जबरदस्ती शादी कराता था और बदले में उसे लड़की वालों से पैसे मिलते थे. बस यही होता है पकड़ौआ विवाह!

पूर्वांचल और बिहार में पकड़ौआ विवाह के कई मामले

एक वक्त था जब पूर्वांचल और बिहार के कई इलाकों में नौजवान लड़कों के किडनैपिंग की प्रथा धड़ल्ले से चल पड़ी थी और जबरदस्ती उनकी शादी करा दी जाती थी. हालांकि, आगे चलकर दौर बदला और पकड़ौआ विवाह के मामले कम हुए लेकिन इसका अंत पूरी तरह से नहीं हुआ.

पटना हाई कोर्ट ने क्या कहा?

अब आते हैं पटना हाई कोर्ट के फैसले पर. पटना हाई कोर्ट के जस्टिस पीबी बज्रन्थी और जस्टिस अरुण कुमार झा एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. नेवादा के रहने वाले रविकांत ने एक याचिका दर्ज कराई थी. सेना से ताल्लुक रखने वाले रविकांत का 10 साल पहले 'पकड़ौआ विवाह' कराया गया. पटना हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पकड़ुआ विवाह मान्य नहीं है. हिंदू विवाह तब तक मान्य नहीं है जब तक दूल्हा-दुल्हन राजी न हों. इसके अवाला हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक पवित्र अग्नि के सात फेरे लेने के रस्म के साथ विवाह न हो.

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