रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब कभी नोटबंदी पर चर्चा के दौरान कांग्रेस को अहसास हुआ कि हम एक के बाद एक तथ्य पेश कर रहे हैं, जिनसे कांग्रेस पार्टी असजह हो जाती थी, वे संसद से बाहर चले जाते थे
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नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच घमासान जारी है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि हम कांग्रेस से पूछना चाहते हैं कि राहुल गांधी कितने समय संसद में रहते हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जब कभी नोटबंदी पर चर्चा के दौरान कांग्रेस को अहसास हुआ कि हम एक के बाद एक तथ्य पेश कर रहे हैं, जिनसे कांग्रेस पार्टी असजह हो जाती थी, वे संसद से बाहर चले जाते थे.
वहीं दूसरी तरफ संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार संसद का शीतकालीन सत्र दिसंबर में बुलाएगी और इसकी तिथि जल्द घोषित की जाएगी. उन्होंने इस संदर्भ में संप्रग सरकार के दौरान बुलाये सत्र का जिक्र किया और सत्र बुलाने में देरी के कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया. कुमार ने कहा कि विपक्षी दल ‘चुनिंदा विस्मृति’ से पीड़ित है क्योंकि 2008 और 2013 में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने भी शीतकालीन सत्र दिसंबर में बुलाया था. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि आमतौर पर इस बात का ध्यान रखा जाता है कि संसद सत्र और विधानसभा चुनाव एक साथ नहीं आए . पहले भी ऐसा हुआ है . उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस हताशा में यह आरोप लगा रही है क्योंकि गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में उसका पत्ता साफ होने वाला है.
इससे पहले संसद सत्र को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली के बीच सोमवार को वाक्युद्ध देखने को मिला. सोनिया ने पार्टी की निर्णय करने वाली सर्वोच्च इकाई सीडब्ल्यूसी की बैठक में कहा, ‘‘मोदी सरकार ने कमजोर आधार पर संसद के शीतकालीन सत्र में व्यवधान पैदा करके अपने अहंकार में भारत के संसदीय लोकतंत्र पर काली छाया डाल दी है.’’
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सोनिया के आरोपों का खंडन करते हुए जेटली ने कहा कि संसद सत्र का कार्यक्रम अक्सर पुनर्निर्धारित किया जाता रहा है ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि ये चुनावों से मेल नहीं खाएं और कांग्रेस ने खुद ऐसा कई बार किया है. जेटली ने कहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी ने सत्ता में रहने के दौरान 2011 में एक सत्र को विलंबित किया था और ऐसा पहले भी किया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसद सत्र की तारीख और चुनाव प्रचार एक ही वक्त में नहीं हों.
उन्होंने राजकोट में कहा, ‘‘यह परंपरा रही है और ऐसा कई बार हो चुका है जब चुनाव के दौरान संसद के सत्र पुनर्निर्धारित किए गए हैं.’’ जेटली ने यह भी कहा कि सत्र का आयोजन निश्चित तौर पर होगा और कांग्रेस ‘‘पूरी तरह बेनकाब’’ हो जाएगी.