Parliament adjourned: ठप पड़ा है संसद का कामकाज, सभापति बोले- संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं बल्कि रोग...
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Parliament adjourned: ठप पड़ा है संसद का कामकाज, सभापति बोले- संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं बल्कि रोग...

Parliament adjourned: बीते कुछ महीनों से संसद में जारी गतिरोध और काम न होने से खिन्न उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गतिरोध को गलत परंपरा बताते हुए इस सिनेरियो पर चिंता जताते हुए बड़ा बयान दिया है.

Parliament adjourned: ठप पड़ा है संसद का कामकाज, सभापति बोले- संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं बल्कि रोग...

Parliament adjourned News: संसद में आज भी जमकर हंगामा हुआ. प्रियंका गांधी के शपथ ग्रहण के अलावा बाकी समय विपक्ष के सांसद लगातार हंगामा करते रहे. शीतकालीन सत्र की बात करें तो पहले दिन से ही अडानी मामले और संभल में हिंसा को लेकर बवाल मचा है. दूसरी ओर वक्फ संशोधन बिल को लेकर भी तमाम उतार चढ़ाव चल रहा है. संसद ठप होने से देश को होने वाले नुकसान पर चिंता जताते हुए राज्यसभा के सभापति ने चिंता जताई है. 

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश के एक सवाल पर सभापति ने क्या कहा, आइए आप खुद सुन लीजिए.

'अवरोध कोई समाधान नहीं है बल्कि रोग'

सभापति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं है बल्कि यह एक रोग है जो देश की नींव को कमजोर करता है और संसद को अप्रासंगिकता की ओर ले जाता है. धनखड़ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे राज्यसभा की कार्यवाही दोबारा आरंभ हुई. कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्य अदाणी समूह के खिलाफ आरोपों के मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग कर रहे थे.

यह सदन सिर्फ बहस का सदन नहीं 

वहीं राज्यसभा में विपक्षी सांसदों की लगातार नारेबाजी के बीच सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'यह सदन सिर्फ बहस का सदन नहीं है. संसदीय विवाद हमारे लोकतंत्र को कमजोर करता है.'

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शिष्टाचार बनाए रखने की अपील

सदस्यों से अनुशासन और शिष्टाचार बनाए रखने की अपील करते हुए धनखड़ ने कहा कि कल ही संविधान अपनाये जाने के 75 वर्ष पूरे हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह उच्च सदन के लिए एक ऐसा क्षण था, ‘जब हमें राष्ट्रवाद की भावना से प्रेरित होकर 140 करोड़ लोगों को एक शक्तिशाली संदेश देना था. उनकी आकांक्षाओं और सपनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करना था और विकसित भारत की ओर हमारी यात्रा को आगे बढ़ाना था.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह कहते हुए मुझे गहरा दुख हो रहा है कि हम इस ऐतिहासिक अवसर को चूक गए. जहां सदन में रचनात्मक संवाद और सार्थक बातचीत होनी चाहिए थी, वहां हम अपने नागरिकों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके.’

सभापति ने कहा कि यह सदन केवल बहस का मंच नहीं है बल्कि यहां से राष्ट्रीय भावना गूंजनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं है, यह एक रोग है. यह हमारी नींव को कमजोर करता है. यह संसद को अप्रासंगिकता की ओर ले जाता है. हमें अपनी प्रासंगिकता बनाए रखनी होगी. जब हम इस तरह के आचरण में संलग्न होते हैं तो हम संवैधानिक व्यवस्था से भटक जाते हैं. हम अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेते हैं.’

सदन न चलने पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि यह ‘दुर्भाग्यजनक’ है कि विपक्ष संसद का कामकाज नहीं चलने दे रहा और विदेशों में भारत की छवि खराब करने का प्रयास कर रहा है. (एजेंसी इनपुट)

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