ISRO Sun Mission: इसरो के सूर्य मिशन आदित्य-एल1 (Aditya-L1) के लॉन्च के लिए रिहर्सल भी पूरी हो चुकी है. आदित्य-L1 को इसरो का सबसे भरोसेमंद रॉकेट PSLV-C57 धरती की लोअर अर्थ ऑर्बिट में छोड़ेगा. आइए जानते हैं कि आदित्य सूर्य की गर्मी कैसे झेलेगा?
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Aditya-L1 Launch Update: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के लिए आज (शनिवार) का दिन बेहद अहम है. आज इसरो अपने पहले सूर्य मिशन को लॉन्च करेगा. इसरो अपने पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 को लॉन्च करने को लेकर पूरी तरह तैयार है. इस मिशन को आज सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा. आदित्य मिशन को 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर धरती और सूरज के बीच L1 पॉइंट पर पहुंचाया जाना है. L1 पॉइंट तक न केवल पहुंचना मुश्किल है बल्कि वहां बने रहना भी कठिन है. सूर्य के करीब हेलो ऑर्बिट में आदित्य-एल1 को स्थापित करने में 100 से 120 दिन का वक्त लगेगा. इसरो के लिए ये मिशन ना सिर्फ बेहद अहम है बल्कि काफी चुनौती भरा भी है. सोचने वाली बात है कि हम धूप में 2 मिनट भी नहीं खड़े हो पाते तो आदित्य-L1 सूर्य के इतना पास जाकर कैसे बचा रहेगा?
आदित्य-एल1 और मिशन चंद्रयान में अंतर
बता दें कि हेलो ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद आदित्य-एल1 24 घंटे सूर्य का निरीक्षण करेगा. जान लें कि आदित्य-एल1 और मिशन चंद्रयान में बड़ा फर्क है. चंद्रयान के लिए इसरो के पास काफी डेटा और लंबा अनुभव है. लेकिन आदित्य मिशन एक ऐसी उड़ान है जिस तक ISRO ने इससे पहले कभी छलांग नहीं लगाई है. आदित्य-L1 के लॉन्च के साथ भारत का इसरो दुनिया की चुनिंदा अंतरिक्ष एजेंसियों में शामिल हो जाएगा. अबतक नासा, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर ने ही सौर अध्ययन के लिए अभियान भेजा है.
सूर्य पर कितना है तापमान?
गौरतलब है कि सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी Photosphere का तापमान करीब 5 हजार 500 डिग्री सेल्सियस रहता है. उसके केंद्र का अधिकतम तापमान 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस होता है. ऐसे में किसी यान (Spacecraft) का वहां जाना संभव नहीं है. धरती पर इंसानों की बनाई ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है, जो सूरज की इतनी गर्मी बर्दाश्त कर सके. ऐसे में सवाल उठता है कि जब सूरज इतना गर्म है तो आदित्य L-1 वहां कैसे जाएगा.
सूर्य की गर्मी से कैसे बचेगा आदित्य-एल1?
मिशन आदित्य-L1 को भारत के इसरो का ISTRAC तो ट्रैक करेगा ही और साथ में यूरोपीय स्पेस एजेंसी के सैटेलाइट ट्रैकिंग सेंटर भी इसे ट्रैक करेंगे. आदित्य को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज प्वाइंट-1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा. लैग्रेंज प्वाइंट अंतरिक्ष में वो जगह होती है, जहां पर यदि किसी छोटे पिंड को रखा जाए तो वह वहीं पर ठहर जाता है. जिस ऑर्बिट में आदित्य जा रहा है उसकी खास बात ये है कि ये टेलीस्कोप को सूरज के चारों ओर घूमते वक्त धरती की सीध में रहने देती है. ये सैटेलाइट के बड़े सनशील्ड की टेलीस्कोप को सूर्य गर्मी से बचाने में मदद करता है.
आदित्य-एल1 का क्या है मकसद?
बताया जा रहा है कि आदित्य L1 में सात पेलोड होंगे. जिसमें चार पेलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे और तीन पेलोड परिस्थितियों के हिसाब से पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेंगे. पेलोड के जरिए फोटोस्फीयर क्रोमोस्फीयर का अध्ययन किया जाएगा यानी सूर्य की दिखाई देने वाली सतह के ठीक ऊपर की सतह का अध्ययन किया जाएगा. सूर्य के अध्ययन से दूसरे ग्रहों के मौसम और उसके व्यवहार को भी समझा जा सकता है.
जान लें कि सूरज की अपनी Gravity यानी गुरुत्वाकर्षण शक्ति है. धरती की भी अपनी Gravity है. अंतरिक्ष में जहां पर इन दोनों की Gravity आपस में टकराती है. या यूं कहें जहां पर धरती और सूर्य की ग्रैविटी बराबर रहती है. इसी प्वाइंट को Lagrange Point कहते हैं. धरती और सूरज के बीच ऐसे 5 Lagrange Point चिन्हित किए गए हैं. भारत का सूर्ययान Lagrange Point 1 यानी L1 पर जाकर रिसर्च करेगा.