पहले PM की उंगली पकड़ी फिर कांग्रेस के दौर का जिक्र... Nitish Kumar के इस अंदाज की इतनी चर्चा क्यों है?
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पहले PM की उंगली पकड़ी फिर कांग्रेस के दौर का जिक्र... Nitish Kumar के इस अंदाज की इतनी चर्चा क्यों है?

Nitish Kumar PM Modi Video: नीतीश कुमार जब से एनडीए सरकार में शामिल हुए हैं, काफी चर्चा में है. विपक्ष चुटकी ले रहा है और सोशल मीडिया पर उनके हावभाव को पढ़ा जा रहा है. ऐसे ही दो वीडियो खूब चर्चा में हैं. 

पहले PM की उंगली पकड़ी फिर कांग्रेस के दौर का जिक्र... Nitish Kumar के इस अंदाज की इतनी चर्चा क्यों है?

Nitish Kumar On Congress: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया. बाद में उसी कार्यक्रम से दो तस्वीरें वायरल हुईं. पहले एक वीडियो आया जिसमें नीतीश कुमार बगल में बैठे पीएम मोदी की उंगलियों को पकड़ते और वोट देने के बाद लगी स्याही को देखते नजर आते हैं. वह पीएम से कुछ कहते हैं, अपनी उंगली दिखाते हैं फिर मुस्कुराने लगते हैं. दूसरा वीडियो, उसी कार्यक्रम में नीतीश कुमार का दिया भाषण था. सोशल मीडिया पर नीतीश के दोनों वीडियो शेयर करते हुए विपक्षी खूब मौज ले रहे हैं. 

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने उंगली पकड़ने वाला वीडियो शेयर करते हुए तंज कसा, 'बड़े बुजुर्ग कहते हैं ना कि कुछ लोगों से हाथ मिलाने के बाद अपनी उंगलियां गिन लेनी चाहिए!' पहले वायरल वीडियो देखिए. 

कल नालंदा विश्वविद्यालय के आधुनिक रूप में आने की कहानी बताते हुए नीतीश कुमार ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का जिक्र किया. उस समय मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़े ध्यान से उन्हें सुन रहे थे. दरअसल, जब से नीतीश कुमार एनडीए सरकार में शामिल हुए हैं, कांग्रेस की अगुआई वाला गठबंधन लगातार निशाना साध रहा है. कई बार उनके पलटी मारने के कारण लगातार आशंकाएं बनी रहती हैं.  

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मोदी के सामने यूपीए सरकार की चर्चा 

हां, पहले तो नीतीश कुमार ने पीएम का राजगीर में स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें बड़ी खुशी हो रही है. फिर उन्होंने बताया कि जब यहां काम शुरू किया जा रहा था तब वह (नीतीश) 2008 में देखने आए थे. आगे कहा कि इन सब चीजों को बता देना जरूरी है ताकि सब लोग जान लीजिए. पुरानी बातों को भी जान लीजिए. कैसे बना, किस तरह से बना. नीतीश यह कहते हुए पीएम की तरफ देखने लगे तो प्रधानमंत्री भी सिर हिलाते नजर आए. 

नीतीश ने कहा, 'फिर 2010 में हमारे अनुरोध पर नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु लोकसभा में बिल पारित किया गया. जब बहुत बार-बार हम कह रहे थे तब अंत में... उस समय सरकार दूसरे की थी. लेकिन हम लोग इतना ज्यादा कहते रहे. (पीएम की तरफ देखते हुए) उसके बाद फिर एक बार वो लोग वहां पर लाए. इसके बाद राज्य सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय के लिए जमीन और सभी चीजें केंद्र सरकार को ट्रांसफर कर दिया. इस तरह विश्वविद्यालय का काम धीरे-धीरे बढ़ता रहा.'

प्रणब मुखर्जी की भी चर्चा

इसके बाद नीतीश कुमार ने मोदी सरकार के कार्यकाल का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से थोड़ी पढ़ाई शुरू हो गई यहां. जब इनकी, आदरणीय प्रधानमंत्री जी की सरकार बन गई थी तब इन्होंने और काम करवाया. यह सुनते ही सभा में लोग तालियां बजाने लगे. नीतीश ने बताया कि 2016 में इस विश्वविद्यालय के भवनों का तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शिलान्यास किया. उन्होंने बताया कि अब बढ़िया से बन गया है और इस समय 17 देशों के 400 स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं. 

सारा खेल क्रेडिट का है

दरअसल, आमतौर पर इस तरह के इवेंट का सत्तापक्ष क्रेडिट लेता है. बीजेपी के नेता उद्घाटन होते ही अयोध्या में 500 साल के संघर्ष के बाद मंदिर और 800 साल के बाद नालंदा विश्वविद्यालय का गौरव लौटाने के लिए पीएम मोदी को क्रेडिट देना शुरू कर चुके थे. नीतीश कुमार का वीडियो आया तो कांग्रेस, सपा और दूसरे दलों के नेताओं ने इसे हाथोंहाथ लिया. 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय के विस्तार में अगर राज्य सरकार की मदद की जरूरत पड़ेगी तो वह पूरी तरह से तैयार है. उन्होंने कहा, ‘वह (पीएम मोदी) पहली बार राजगीर पधारे हैं. मैं उनका स्वागत करता हूं. प्रधानमंत्री जी ने पौराणिक नालंदा विश्वविद्यालय का पूरा भ्रमण करके देखा है. आपने देखा कि पुराने विश्वविद्यालय का कैंपस कितना बड़ा था. पुराने समय में आसपास के 20-25 किलोमीटर तक के गांव यहां से जुड़े रहते थे.’ 

1200 ईस्वी में यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया था. सीएम नीतीश ने कहा कि मार्च 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम बिहार आए थे तब उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की बात कही थी. उन्होंने कहा, ‘उसी समय से हमलोगों ने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की पहल शुरू की और इसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया लेकिन किसी कारणवश कार्य में विलंब होने पर राज्य सरकार ने इसके लिए नया कानून बनाया और विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना के लिए 455 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया.’ 

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