Sengol in Parliament: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. जब वह सदन में दाखिल हुईं तो संसद स्टाफ सबसे आगे सेंगोल लेकर चल रहा था. वही सेंगोल जिसे सपा सांसद ने 'राजा का डंडा' कहते हुए इसे संसद से हटाने की मांग की है.
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Parliament Session Today: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. आपने गौर किया होगा कि संसद में उनके मंच के ठीक सामने पवित्र सेंगोल को स्थापित किया गया था. वही सेंगोल, जिसका कनेक्शन सत्ता हस्तांतरण से बताया जाता है और तमिल संस्कृति से इसका सीधा नाता है. दरअसल, संसद में पहले से स्थापित सेंगोल पर नए सत्र में फिर से विवाद हो गया है. सपा सांसद आरके चौधरी ने स्पीकर को चिट्ठी लिखकर सेंगोल को हटाने की मांग की है. उन्होंने इसे 'राजा का डंडा' कह दिया. भाजपा ने करारा जवाब दिया है. आइए समझते हैं पूरा विवाद क्या है.
#WATCH | President Droupadi Murmu leaves from Lok Sabha after concluding her address to a joint session of both Houses of the Parliament.
A Parliament official, carrying Sengol, leads the way. pic.twitter.com/wASuDWePCE
— ANI (@ANI) June 27, 2024
सांसद की इस मांग पर सवाल उठ रहे हैं कि इस मांग के पीछे सपा की मंशा क्या है? सपा सांसद का कहना है कि सेंगोल राज दंड का प्रतीक है. उन्होंने सेंगोल की जगह संविधान की कॉपी लगाने की मांग की है. उधर, शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा है कि सेंगोल पर महाअघाड़ी से चर्चा करेंगे.
राजाओं ने सरेंडर कर दिया तो...
आरके चौधरी मोहनलालगंज से जीते हैं. संसद सत्र की शुरुआत में ही उन्होंने मांग की कि इस देश में 555 राजाओं ने सरेंडर कर दिया. यह देश आजाद हुआ है और अब हर वो व्यक्ति महिला हो या पुरुष, बालिग है तो वोट का अधिकार रखता है. उसके 1-1 वोट से इस देश में शासन-प्रशासन चलेगा. उन्होंने कहा, 'देश संविधान से चलेगा न कि राजा के डंडे से चलेगा.' भाजपा ने सपा पर हमला बोला है. पार्टी नेता शहजाद पूनावाला ने कहा कि सपा ने संसद में सेंगोल का विरोध किया है. उसे 'राजा का दंड' कहा, अगर यह राजा का दंड है तो जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को स्वीकार क्यों किया?
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5 फीट, 800 ग्राम
5 फीट लंबा, 800 ग्राम वजनी सेंगोल पर नंदी की मूर्ति है. नई संसद के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने सेंगोल की स्थापना की थी. उस समय कहा गया था कि सेंगोल को 14 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने सत्ता हस्तांतरण के वक्त नेहरू को सौंपा था. इसके बाद मोदी सरकार ने इतिहासकारों से पड़ताल कराई फिर इसे विधि-विधान से संसद में स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया. उस समय भी विपक्ष ने सवाल उठाए थे. आज नए संसद सत्र के समय भी सेंगोल सुर्खियों में है.
सपा की मंशा क्या है?
सपा सांसद चौधरी ने 'ज़ी न्यूज' से विशेष बातचीत में सेंगोल पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि सेंगोल तमिल भाषा का शब्द है. इसका मतलब होता है- 'राजा का डंडा', राजा की छड़ी. पहले भारत में राजा होते थे. वह दरबार में छड़ी लेकर बैठते थे और फैसला करते थे. ऐसा देखा गया है कि न खाता न बही, राजा साहब ने जो कह दिया डंडा लेकर वही सही. अब भारत में राजतंत्र नहीं, लोकतंत्र है. और लोकतंत्र को मानने के लिए संविधान लागू है. ऐसे में संसद में संविधान की प्रति होनी चाहिए न कि सेंगोल. (पूरा इंटरव्यू नीचे देखिए)
'राजदंड' पर राजनीति प्रचंड! सेंगोल पर विवाद के पीछे SP की मंशा क्या? #Parliament #Sengol #SamajwadiParty | @pratyushkkhare pic.twitter.com/VAuoNC8cAq
— Zee News (@ZeeNews) June 27, 2024
उधर, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि जब प्रधानमंत्री जी ही प्रणाम करना भूल गए तो जरूर उनकी इच्छा भी कुछ और होगी. जब सपा की मंशा पर सवाल किया गया तो ज़ी न्यूज के कार्यक्रम में सपा प्रवक्ता कपीश श्रीवास्तव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि देश के संविधान का इतना विरोध क्यों है. संविधान बड़ा है या राजदंड?
क्या नई पीढ़ी को नहीं जानना चाहिए कि सेंगोल क्या है? इसपर सपा प्रवक्ता कपीश श्रीवास्तव का जवाब सुनिए..#Parliament #Sengol #SamajwadiParty | @pratyushkkhare pic.twitter.com/b967keEJiS
— Zee News (@ZeeNews) June 27, 2024