कांग्रेस प्रेसीडेंट्स फाइल्स: 352 पेज, 35 अध्याय और कांग्रेस अध्यक्षों पर बड़े दावे...आज के हर राजनीतिक मुद्दों से है उनका गहरा नाता
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कांग्रेस प्रेसीडेंट्स फाइल्स: 352 पेज, 35 अध्याय और कांग्रेस अध्यक्षों पर बड़े दावे...आज के हर राजनीतिक मुद्दों से है उनका गहरा नाता

कांग्रेस अध्यक्षों के दिलचस्प किस्से पर लेखक विष्णु शर्मा की नई किताब ‘कांग्रेस प्रेसीडेंट्स फाइल्स’ आई है. जिसे प्रभात प्रकाश ने प्रकाशित किया है. कुल 352 पेज की इस किताब में 35 अध्याय हैं. हर अध्याय में आपको एक नहीं कहानी पढ़ने को मिलेगी. पढ़िए क्या कुछ होने वाला है इस किताब में.

कांग्रेस प्रेसीडेंट्स फाइल्स: 352 पेज, 35 अध्याय और कांग्रेस अध्यक्षों पर बड़े दावे...आज के हर राजनीतिक मुद्दों से है उनका गहरा नाता

कांग्रेस भारत में ग्रांड ओल्ड पार्टी कही जाती है. अक्सर इसपर परिवारवाद के आरोप भी लगते हैं. ऐसे में कांग्रेस के उन दिग्गजों की कभी चर्चा ही नहीं होती, जो इस परिवार से जुड़े नहीं रहे हैं. अरसे बाद जब कि मल्लिकार्जुन खरगे जैसे इस परिवार से बाहर के नेता ने कांग्रेस की बागडोर संभाली है, ऐसी किसी भी किताब की चर्चा स्वभाविक है, जो उन सभी नींव के पत्थरों की चर्चा करती है, जिनके बिना कांग्रेस रूपी इस इमारत का खड़ा होना मुमकिन ही नहीं था. आमतौर पर कांग्रेस की उत्पत्ति से लेकर गांधीजी के कमान संभालने तक के समय को आज के कांग्रेसी नजरअंदाज करते आए हैं. उनको उदारवादी या नरमदलीय कहकर उनकी चर्चा से परहेज किया जाता रहा है. लेखक विष्णु शर्मा ने उसी अछूते हिस्से में से ऐसी दिलचस्प घटनाओं को रिसर्च के साथ अपनी नई किताब में सहेजा है, जो हैरान कर देनी वाली हैं, और तमाम मुद्दे ऐसे हैं जो आज की राजनीति से उनका सीधा कनेक्शन जोड़ा जा सकता है.

इस किताब में कांग्रेस अधिवेशन की उस घटना का जिक्र है, जो शायद कांग्रेस की तरफ से पहली बार मुस्लिम हितों के लिए अंग्रेजों की सबसे बड़ी अदालत प्रिवी काउंसिल से प्रस्ताव पारित कर अपील की गई थी, कि निजी वक्फ अलल औलाद के प्रावधान को खारिज ना किया जाए. उसी तरह अमेरिका में राहुल ने चीन की तारीफ की, ऐसे में आप उस कांग्रेस अध्यक्ष के बारे में ‘कांग्रेस प्रेसीडेंट्स फाइल्स’ में पढ़ेंगे, जो चीन के लोगों का तब भला सोचता था, जब चीन भी गुलाम था. दो राष्ट्र सिद्धांत, गऊ मांस, खिलाफत, मुस्लिम लीग-कांग्रेस दोस्ती, मोपला से जुड़े तमाम तथ्य को लेकर भी हैरान करने वाले दावे किए गए हैं.

किताब में क्या है खास
सबसे दिलचस्प है उस शपथ का एक-एक शब्द जानना, जो कांग्रेस अधिवेशनों में अंग्रेजी राज की वफादारी के लिए पढ़ी जाती थी, इसे ‘लॉयलिटी ऑफ ओथ’ कहा जाता था. इस किताब में ऐसे तमाम तथ्य हैं, जो आम पाठकों को तो हैरान ही कर देंगे जैसे कोई अध्यक्ष टीपू सुल्तान का वंशज था तो किसी का खानदान बाबर संग भारत आया था, और जिन्ना संग पाकिस्तान चला गया. एक के पुरखे औरंगजेब के शिक्षक रहे थे तो सावरकर को काला पानी की सजा सुनाने वाला जज भी कांग्रेस अध्यक्ष था. एक ने ब्रिटेन की महारानी को अवतार घोषित कर दिया था तो एक ने विक्टोरिया मेमोरियल बनवाया था.

वो कांग्रेस अध्यक्ष, जिनपर मूवी ला रहे हैं अक्षय कुमार
इन्हीं में से एक कांग्रेस अध्यक्ष पर तो अक्षय कुमार भी मूवी बनाने जा रहे हैं, जिनके नाती कभी मनमोहन सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे. इस व्यक्ति को इसलिए माना जाता है कि इस कांग्रेस अध्यक्ष ने लंदन जाकर जनरल डायर के खिलाफ केस लड़ा था. लेकिन विष्णु शर्मा की किताब इस दावे ‘ए केस दैट शुक द एम्पायर’ पर ही कई सवाल उठा देती है, वो ये भी बताती है कि इसी अध्यक्ष ने कभी गांधीजी को लेकर एक किताब लिखी ‘गांधी एंड अनार्की’.

किताब की शुरुआत
ऐसा नहीं है कि नेहरू गांधी परिवार का जिक्र ही नहीं बल्कि इस किताब में आप कांग्रेस में उनकी एंट्री की कहानी पढ़ेंगे कि कैसे गांधीजी के साथ मोतीलाल नेहरू का लव-हेट का रिश्ता रहा. ये भी कि कैसे फीरोज गांधी से भी पहले नेहरू परिवार में किसी दूसरे धर्म के पत्रकार ने उनके परिवार की बेटी के दिल में जगह बना ली थी और गांधीजी की मदद से ही वो इस रिश्ते को रोक पाए थे. ये मानकर चलिए कि आप कितना भी पढ़ने लिखने वाले हों, आपको सौ से लेकर पांच सौ नए तथ्य मिलने वाले हैं, इसलिए विष्णु शर्मा ने अपनी बुक की टैगलाइन रखी है, ‘तथ्यों का खजाना, जो कांग्रेस के बारे में आपकी राय बदल देगा’.

कहां से खरीद सकते हैं किताब
कुल 352 पेज की इस किताब में 35 अध्याय हैं. हर अध्याय में आपको एक नई कहानी पढ़ने को मिलेगी. अभी ‘कांग्रेस प्रेसीडेंट फाइल्स’ प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित हुई है और अमेजन व फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है, जोकि 321 से 350 रुपए तक उपलब्ध है. किंडल एडीशन और पेपर बैक दो संस्करणों में फिलहाल उपलब्ध है.

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कौन हैं किताब के लेखक
इस पुस्तक के लेखक विष्णु शर्मा इतिहास से एमफिल, नेट क्वालीफाइड हैं. इससे पहले भी वह तीन किताबें ‘इंदिरा फाइल्स’, ‘इतिहास के 50 वायरल सच’ औऱ ‘गुमनाम नायकों की गौरवशाली गाथाएं’ लिख चुके हैं. इसके साथ ही वह फिल्म समीक्षक भी हैं. इंटनेशनल फिल्म फेस्टीवल, गोवा (IFFI) की ज्यूरी में दो साल रह चुके हैं. पत्रकारिता क्षेत्र में लगभग 25 साल से सक्रिय हैं. कई साहित्य समारोहों एवं टीवी बहस का भी हिस्सा रहते आए हैं. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से ठीक पहले अनु मलिक के संगीत से सजा उनका लिखा एक गीत ‘श्रीराम विराजेंगे जन्मभूमि में..’ जी म्यूजिक ने जारी किया था. बच्चों की एक एनिमेशन फिल्म '4th ईडियट' के गीत व डायलॉग लिख चुके हैं.

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