Mughal Harem Dark Secrets: मुगल हरम के ‘पावर सेंटर’ थे ये लोग, जो बस दो चीजों पर रखते थे पैनी नजर
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Mughal Harem Dark Secrets: मुगल हरम के ‘पावर सेंटर’ थे ये लोग, जो बस दो चीजों पर रखते थे पैनी नजर

History of Mughal Harem: मुगलों ने लंबे समय तक देश में राज किया है. आज भी लोगों को उनके बारे में जानने की गहरी दिलचस्पी है. ऐसे में आज बात मुगल हरम (Mughal Harem) के उन पावर सेंटर्स की जिनका सिक्का पूरे दरबार में चलता था.

सांकेतिक तस्वीर

Mughal Harem Power Center: मुगल काल में जिस कमरे में खास महिलाएं या फिर बेगम रहा करती थीं, उसे हरम कहा जाता था. हरम अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है एक छुपा हुआ कमरा जहां पुरूषों के आने की इजाजत नहीं थी. यहां तक की हरम की सुरक्षा में भी हथियारबंद किन्नर तैनात रहते थे. डच व्यापारी फ्रेंचिस्को पेल्सर्ट (Francisco Pelsaert) जब सत्रहवीं शताब्दी में मुगल दरबार में पहुंचे तो सबसे पहले उनकी नजर किन्नरों पर पड़ी, तब उन्हें ‘ख्वाजासरा’ कह कर बुलाया जाता था.

पावर सेंटर्स जिनकी हरम से लेकर दरबार तक हनक

इस्लामिक सत्ता में किन्नरों की मजबूत भूमिका देखी गई है. हरम के सुरक्षाकर्मियों की दरबार से लेकर हरम तक, उनकी अलग-अलग भूमिकाएं थीं. मशहूर इतिहासकार शादाब बानो (Shadab Bano) ने लिखा है कि बाबर और हुमायूं के राज में मौजूद कहे किन्नरों के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं मौजूद नहीं है. यानी मुगलों की अगली पीढ़ी में जितने बादशाह हुए सबके दरबारों में किन्नरों की खास जगह थी.

इनके आगे झुकते थे लोग

अकबर के दौर में किन्नरों की तूती बोलती थी. अकबर की जीवनी ‘अकबरनामा’ में ऐसे ही एक किन्नर नियामत का जिक्र मिलता है जिसने एक बार बादशाह अकबर के सौतेले भाई अधम खान को हरम में जाने से रोक दिया था. अकबर के शासनकाल में सबसे ताकतवर अफसरों में एक इतिमाद खान (Itimad Khan) भी एक मशहूर किन्नर था. उसको मुगल सल्तनत की आर्थिक व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी मिली थी. इतिमाद दरबार के कामकाज में भी दखल देता था. वहीं ख्वाजा तालिब नाम का किन्नर भी बादशाह का करीबी था जो बादशाह के लिए जासूसी करता था. जावेद नाम के एक किन्नर का भी मुगल इतिहास में बड़ा जलवा रहा है. ऐसे कुछ खास किन्नर अपने आगे दरबार के वजीरों की बात तक नहीं सुनते थे, उल्टा इन किन्नरों की कही बात बाकी दरबारियों को माननी पड़ती थी. 

किन्नरों करते थे ये दो बड़े काम

अकबर के शासनकाल में तो किन्नर एक तरीके से सत्ता का केंद्र बन गए. किन्नर ही तय करते थे कि हरम में किसे और किन परिष्थितियों में एंट्री मिलेगी और किसे नहीं. मशहूर इतिहासकार रूबी लाल अपनी किताब में लिखती हैं कि अकबर के शासन काल में हरम (Mughal Harem) को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया वही हरम के रखवाले थे. यही लोग बादशाहों के लिए गुप्तचर का काम भी करते थे. यही वजह है मुगल काल में किन्नरों की बड़ी मौज थी. तमाम ऐशो-आराम किन्नरों को मिलता था. किन्नरों के पास अच्छे-अच्छे कपड़े, खतरनाक हथियार और ताकतवर घोड़े तक थे.

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