Aurangzeb Harem: हिजड़े के साथ सालिहा बगीचे में पहुंची और जैसे ही उसकी नजर शख्स पर पड़ी, उसके होश उड़ गए. वह दौड़ी और अपने भांजे का सिर गोद में रख लिया और दासियों से पंखा करने को कहा. कुछ देर बाद जब औरंगजेब को होश आया तो अपनी मौसी को देखा. मौसी ने पूछा कि यह किस तरह की बीमारी है?
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Mughal Dark Secrets: मुगलिया हुकूमत का जिक्र हो और औरंगजेब का नाम न आए, ऐसा तो हो नहीं सकता. करीब 15 साल बाद लश्कर लेकर औरंगजेब फिर दकन में था. वहां की सूरत बहुत बदल गई थी. जबसे उसने होश संभाला था, यह पहला मौका था, जब वह अपनी मौसी सालिहा बानो के यहां आया था. करीब सवा पांच फुट का औरंगजेब महल के बगीचे में अचानक गिर पड़ा.
पूरे महल में यह खबर आग की तरह फैल गई. हीराबाई, हरम की बाकी महिलाएं और हिजड़े सालिहा के पास पहुंचे और कहा कि एक जहीन सा नजर आने वाला शख्स बगीचे में बेहोश हो गया है. बड़ी हैरानी से सालिहा ने कारण पूछा तो हिजड़े ने बताया कि उसको हीराबाई ने छेड़ दिया और रिझाने के लिए एक आम भी पेड़ से तोड़ दिया.यह सुनकर सालिहा हैरान रह गई. उसने कहा, 'बगीचे से तो आम तोड़ना सबके लिए ही मना है. उनको खासतौर से श्रीलंका से मंगवाकर लगवाया गया है, हमारे भांजे औरंगजेब के लिए.' हिजड़े ने कहा,'यह तो सबको पता है लेकिन हीराबाई से यह बात कौन कहे.' सालिहा ने इतना सुनकर कहा, 'चलो देखते हैं, वो शख्स कहां पड़ा है.'
...जब मौसी औरंगजेब को देख कांप उठी
हिजड़े के साथ सालिहा बगीचे में पहुंची और जैसे ही उसकी नजर शख्स पर पड़ी, उसके होश उड़ गए. वह दौड़ी और अपने भांजे का सिर गोद में रख लिया और दासियों से पंखा करने को कहा. कुछ देर बाद जब औरंगजेब को होश आया तो अपनी मौसी को देखा. मौसी ने पूछा कि यह किस तरह की बीमारी है? क्या पहले भी उसके साथ ऐसा हुआ है? लेकिन औरंगजेब मुंह में दही जमाकर बैठ गया.
आधी रात के वक्त उसकी मौसी ने फिर उससे वजह पूछी. औरंगजेब ने कहा कि मैं अगर वजह बता दूं तो क्या वह उसका हल ढूंढ पाएंगी? मौसी ने हां में जवाब दिया. औरंगजेब ने कहा, 'मुझे हीराबाई चाहिए.'
बेहद गुस्सैल था औरंगजेब का मौसा
मौसी ने इतना सुना और उनका पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया. दरअसल हीराबाई औरंगजेब के मौसा खान जमां उर्फ मीर खलील के हरम में थी. वह ईसाई थी, जिसको उसने खरीदा था और फिर इस्लाम कबूल कराया. मीर खलील जाना-माना जंगबाज था. किला फतह करने से लेकर शाहजहां की फौज में उसने 500 सवार और शामिल कराए थे.मिजाज से बेहद गुस्सैल था.
मौसी ने कहा, 'अगर तेरे मौसा को यह बात पता चल गई तो वह मुझे मार देगा फिर हीराबाई की जान ले लेगा और आखिर में तेरी.' इतना सुनना था कि औरंगजेब उसी वक्त मौसी-मौसा का घर छोड़ चला गया. औरंगजेब जैसे-तैसे कैंप में पहुंचा. एकदम निढाल, थका हुआ. वहां उसका दोस्त, अकाउंटेंट और सेक्रेटरी मुर्शिद कुली खान खड़ा था.
दोस्त मुर्शिद से कही दिल की बात
औरंगजेब दोबारा दकन के दरवाजे तक इसलिए आया था क्योंकि कई सरदारों ने टैक्स भरने से इनकार कर दिया था. अफगानिस्तान के खुरासान मुर्शिद के अर्थ प्रबंधन के कायल औरंगजेब के पिता भी थे. उसने दूर से आते हुए औरंगजेब को देखा. ऐसी हालत उसने औरंगजेब की पहले कभी नहीं देखी थी. आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था. मुर्शिद से औरंगजेब ने दिल की बात कह दी.
काफी सोचने के बाद मुर्शिद ने औरंगजेब से कहा, 'अगर मैं मीर खलील को खत्म कर दूं तब उसका हरम आपका हो जाएगा. भले ही उसके बाद मुझे मौत दे दी जाएगी लेकिन हीराबाई आपकी हो जाएगी.' लेकिन औरंगजेब ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह अपनी मौसी को विधवा नहीं बना सकता. फिर उसने कोई दूसरा रास्ता तलाशने को कहा.
मुर्शिद मीर खलील के पास पहुंचा और फिर...
सुबह हुई. मुर्शिद कुली खान पहुंचा मीर खलील के दरवाजे पर. फिर उसने वह वजह बताई, जिस कारण उसका आना हुआ. सुनकर मीर खलील आगबबूला हो गया. औरंगजेब से जंग करने तक पर उतारू हो गया. लेकिन मुर्शिद भी काबिल था. उसने रात भर में मालूम कर लिया था कि मीर खलील औरंगजेब के हरम की किस महिला पर लट्टू है. उसने तुरंत ऑफर दिया कि हरम की महिलाओं की अदला-बदली की जा सकती है. इतना सुना तो मीर खलील का रवैया नरम पड़ा.
मुर्शिद ने कहा कि छतरबाई आपके हरम का हिस्सा हो सकती है. खलील ने काफी सोचा और हामी भर दी. मुर्शिद ने यह खबर पहले सालिहा बानो तक पहुंचाई और एक संदेशवाहक बुरहानपुर महल भिजवाया ताकि छतरबाई को मीर खलील के पास लाया जा सके. औरतों की अदला-बदली में पूरे 24 घंटे लग गए.
औरंगजेब के लिए थी जीत
फिर क्या था अब हीराबाई औरंगजेब के हरम में आ चुकी थी. रस्म तो ये थी कि पहले हीराबाई की पेशी दिलरस बानो के सामने होती. वह उसको नियम-कायदे समझाती. लेकिन औरंगजेब कुछ ज्यादा ही बेचैन था. इसलिए इस रस्म को टाल दिया गया. हीराबाई को औरंगजेब के कमरे में लाया गया. यह औरंगजेब के लिए बड़ी जीत थी. उसने तीन साल तक सफवियों से जंग लड़ी थी लेकिन सिर्फ एक दिन में ही हीराबाई उसके कमरे में थी.