Mughal History: मुगल शहजादा जिसे कहा जाने लगा था 'पंडित'! मुगल बादशाह ने बेदर्दी से करा दी थी हत्या
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Mughal History: मुगल शहजादा जिसे कहा जाने लगा था 'पंडित'! मुगल बादशाह ने बेदर्दी से करा दी थी हत्या

Mughal Era Facts: ये मुगल शहजादा (Mughal Prince) अपनी रहमदिली के लिए मशहूर था. हिंदू धर्मग्रंथों (Hindu Scriptures) में इसकी काफी रुचि थी. यह बादशाह बनते-बनते रह गया था.

Mughal History: मुगल शहजादा जिसे कहा जाने लगा था 'पंडित'! मुगल बादशाह ने बेदर्दी से करा दी थी हत्या

Mughal Dynasty: मुगलों (Mughals) के वंश में कई ऐसे बादशाह और शहजादे हुए जिनकी क्रूरता के किस्से सब जानते हैं. लेकिन एक मुगल शहजादा ऐसा भी था जिसे लोग पंडित तक कहने लगे थे क्योंकि उसकी इस्लाम (Islam) के धर्मग्रंथों के साथ ही हिंदुओं के धर्मग्रंथों में भी काफी रुचि थी. उसने हिंदू धर्मशास्त्रों का भी अध्ययन किया. इसके अलावा वह धर्माचार्यों को बुलाकर चर्चा भी करता था. उसकी इस बात की वजह से मुस्लिम धर्मगुरु उससे नाराज भी रहते थे. हालांकि, यह मुगल शहजादा अपनी रहमदिली के लिए भी प्रसिद्ध था, लेकिन उसका हश्र बहुत बुरा हुआ. सगे भाई ने ही इस मुगल शहजादे को बादशाह बनने से रोका और बाद में उसकी बेरहमी से हत्या भी करवा दी. आइए जानते हैं कि ऐसा कौन मुगल शहजादा था जिसे लोग पंडित तक कहने लगे थे.

कौन था वो मुगल शहजादा?

बता दें कि ये मुगल शहजादा कोई और नहीं बल्कि शाहजहां का बड़ा बेटा दारा शिकोह (Dara Shikoh) था. दारा शिकोह ने हिंदू धर्मग्रंथों का खूब अध्ययन किया था. इतना ही नहीं उसने इनका फारसी में अनुवाद भी कराया था. दारा शिकोह को उपनिषदों और भारतीय दर्शन की अच्छी जानकारी थी. इस अनुवाद की गईं किताबों को दारा शिकोह ने सिर-ए-अकबर नाम दिया था. इसका मतलब महान रहस्य होता है.

औरंगजेब बना सबसे बड़ा रोड़ा

कई इतिहासकार मानते हैं कि अगर औरंगजेब की जगह दारा शिकोह मुगलकाल में दिल्ली की गद्दी पर बैठा होता तो शायद हिंदुस्तान की तारीख ही कुछ और होती. लेकिन औरंगजेब की सत्ता की हवस ने दारा शिकोह के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी. सगे भाई औरंगजेब की वजह से पहले दारा शिकोह ने राजगद्दी से हाथ धोया और बाद में उन्हें अपनी जान भी गंवानी पड़ी.

औरंगजेब की क्रूरता

जानकारी के मुताबिक, औरंगजेब ने दारा शिकोह के साथ क्रूरता की थी. जिस दिल्ली की गद्दी पर थोड़े दिन पहले तक दारा शिकोह बैठने वाले थे, उसी दिल्ली में उनको जंजीरों में बांधकर घुमाया गया. ये नजारा देखकर लोगों की आंखें भर आई थीं. बाद में दारा शिकोह का सिर कलम कर दिया गया था.

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