Motivational Story: अन्नपूर्णा पर्वत पर 270 फीट खाई में गिरा, फेफड़े-किडनी-हार्ट छोड़ गए साथ; फिर भी जीता जिंदगी की जंग
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Motivational Story: अन्नपूर्णा पर्वत पर 270 फीट खाई में गिरा, फेफड़े-किडनी-हार्ट छोड़ गए साथ; फिर भी जीता जिंदगी की जंग

Motivational Story of Anurag Malu: राजस्थान के रहने वाले 34 वर्षीय अनुराग मालू ने मौत को इतने करीब से देख लिया है, जितनी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. इसके बावजूद अपने जीवट की वजह से वे 10 महीने बाद जीवित बचने में कामयाब रहे. 

Motivational Story: अन्नपूर्णा पर्वत पर 270 फीट खाई में गिरा, फेफड़े-किडनी-हार्ट छोड़ गए साथ; फिर भी जीता जिंदगी की जंग

Motivational Story of Anurag Malu: 34 साल के अनुराग मालू को पर्वतारोहण का शौक है. 6 कामयाब एक्सपीडिशन करने के बाद अनुराग ने दुनिया की दसवीं सबसे ऊंची चोटी नेपाल में मौजूद अन्नपूर्णा पर्वत को चुना. 8000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने में अभी 2000 मीटर बाकी थे. अनुराग मालू 6000 मीटर की ऊंचाई तय कर चुके थे तो वहां पर पहाड़ चढ़ते समय उन्होंने गलत रस्सी चुन ली और सीधे 270 फीट नीचे एक खाई में जाकर गिर गए. 

बर्फ की दरारों में हो गए कैद

तीन दिन तक अनुराग के साथी उसे तलाशते रहे. इस दौरान 34 साल के अनुराग (Motivational story of Anurag Malu) बर्फ की दरारों में कैद थे. अनुराग मालू के सामने मौत बर्फ के रूप में सामने खड़ी थी, इसके बावजूद अनुराग ने अपना धैर्य नहीं खोया और बच निकलने की उम्मीद बनाए रखी. इस दौरान अनुराग का कैमरा उनकी हालत को कैप्चर करता रहा. अनुराग को उन वीडियो के अलावा कुछ भी याद नहीं है.

दिल की धड़कनें हो चुकी थी बंद
 
तीन दिन बाद दो पॉलिश पर्वतारोहियों ने अनुराग को रेस्क्यू कर और नेपाल के एक अस्पताल में पहुंचाया. अनुराग को तीन से चार घंटे तक लगातार सीपीआर दिया गया क्योंकि जब वह पहली बार अस्पताल पहुंचे तो उनके दिल की धड़कनें बंद हो चुकी थी. 10 दिन नेपाल में गुजारने के बाद वहां के डॉक्टरों ने दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों से संपर्क किया.

काठमांडू से दिल्ली किया गया शिफ्ट

अनुराग (Motivational story of Anurag Malu) की हालत सुनने के बाद एम्स के डॉक्टर भी कशमकश में थे कि यह मरीज नेपाल से एम्स तक का सफर भी पूरा कर पाएगा या नहीं. किसी तरह एयरलिफ्ट करके अनुराग को एम्स लाया गया. 174 दिन तक चले इलाज और 6 सर्जरी के बाद अनुराग पूरी तरह फिट हो गए, जिसके बाद 31 अक्टूबर 2023 को उन्हें डिस्चार्ज कर किया गया.

किडनी और फेफड़े हो चुके थे डैमेज

एम्स के प्लास्टिक डिपार्टमेंट के अध्यक्ष डॉ मनीष सिंघल के मुताबिक जब अनुराग (Motivational story of Anurag Malu) को एम्स ट्रॉमा सेंटर में देखा गया तो उनकी किडनी और फेफड़े काम नहीं कर रहे थे. दाहिनी ओर के शरीर के हिस्से, खास तौर पर हाथों और पैरों पर फ्रास्ट-बाइट थी. कई दिनों तक अनुराग का ब्लड प्रेशर उसके इन्फेक्शन को बढ़ाता रहा. इस दौरान किडनी और हार्ट के लेवल को इस लायक बनाने का काम किया गया कि अनुराग सर्जरी के लिए तैयार हो सके.

गले में डाली गई ट्यूब

इसके बाद अनुराग (Motivational story of Anurag Malu) की जांघ से त्वचा निकालकर हाथ- पैरों की सर्जरी की गई. हालांकि अनुराग के दाहिने पैर के अंगूठे और दाहिने हाथ के अंगूठे को भी काटना पड़ा. इसके अलावा अनुराग की मांसपेशियों में कोई हरकत नहीं थी, वह चलना लगभग भूल चुका थी. इन पर भी काम किया गया. लंबे इलाज की वजह से गले में ट्यूब डाली गई, जिसे ट्रेकियोस्टॉमी कहते हैं. जिसकी वजह से कई महीनों तक यह पर्वतारोही बोल भी नहीं सकता था.

10 महीने बाद फिट हो गए अनुराग

हालांकि एम्स के डॉक्टरों और नर्सो ने मिलकर वह चमत्कार कर दिखाया कि अब अनुराग (Motivational story of Anurag Malu) फिर से अपने पैरों पर खड़े हैं और अगर हो सका तो आगे फिर पहाड़ पर चढ़ने के लिए तैयार होंगे. एम्स के डॉक्टर शुभाशीष दास ने इतने महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहे अपने इस खास मरीज को पेंटिंग भी तोहफे में दी  है. 34 साल के अनुराग राजस्थान के किशनगढ़ के रहने वाले हैं और स्टार्टअप की दुनिया से जुड़े हैं.

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