Monsoon Rain Update 2023: गर्मियों के महीनों के दौरान भूमि गर्म हो जाती है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है जो समुद्र से नम हवा खींचता है, जिसके परिणामस्वरूप बारिश होती है. ऐसे में चिंताएं हैं कि लंबे समय तक चल रहे बारिश दौर के कारण भूमि का ठंडा होना मानसून को प्रभावित कर सकता है.
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Monsoon Forecast 2023: अप्रैल और मई में हुई बेमौसम बारिश (Rain) ने भले ही गर्मी से परेशान लोगों के चेहरे खिला दिए हों लेकिन उन किसानों के चेहरों की हवाइयां उड़ी हुई हैं जो अपनी फसल खराब होने से परेशान हैं. ऐसे में जब इस बारिश की वजह से जमीन ठंडी हो गई है तो क्या इसका असर अगली फसल और इस साल के मानसून 2023 पर पड़ेगा, इसे लेकर मौसम वैज्ञानिकों ने जो कहा है उसके बारे में सभी को जानना बेहद जरूरी है.
मई की बारिश से मानसून आने में होगी देरी?
देशभर के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिकों ने मंगलवार को कहा कि भारत के बड़े हिस्से में बारिश का दौर असामान्य है, लेकिन इसके कारण जमीन ठंडी होने से मानसून के आने में देरी नहीं होगी. मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक भारतीय भूभाग पर आने वाला मानसून भारत की भूमि और हिंद महासागर के बीच तापमान तथा दबाव के अंतर से संचालित होता है.
गर्मियों के महीनों के दौरान जमीन (धरती) गर्म हो जाती है, जिससे कम दबाव का क्षेत्र बन जाता है जो समुद्र से नम हवा को खींचता है, जिसके परिणामस्वरूप बारिश होती है. इसलिए इस बार ऐसी चिंताएं जताई जा रही हैं कि लंबे समय तक चल रहे बारिश दौर के कारण जमीन का ठंडा होना कम दबाव वाले क्षेत्र को कमजोर कर सकता है और इससे समुद्र से नमी से भरी हवा को खींचने वाले बल में कमी होगी. जिसका नतीजा ये हो सकता है कि, मानसून की बारिश के आगमन में देरी हो सकती है.
दरअसल मौसम विज्ञान (IMD) के आंकड़ों के मुताबिक, बीते तीन दिन से लगातार पूरे देश का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे बना हुआ है. जहां तेज बारिश हुई या हो रही है वहां ये 29 डिग्री तक नीचे खिसक गया. पर धीरे धीरे ये दौर खत्म होगा और गर्मी एक बार फिर अपना असर दिखाएगी.
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक, ‘इस तरह का कोई संबंध नहीं है (चल रही बारिश के कारण जमीन के ठंडे होने और मानसूनी हवाओं के कमजोर होने के बीच) ऐसे में जमीन के गर्म होने के लिए अभी पर्याप्त समय है.
स्काईमेट वेदर का पूर्वानुमान
वहीं इस मामले को लेकर निजी मौसम-पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर के अध्यक्ष (मौसम विज्ञान) जी पी शर्मा का कहना है कि ‘हालांकि देश के बड़े हिस्से में एक साथ लंबे समय तक बारिश बहुत कम होती है, लेकिन यह मानसून के आगमन को प्रभावित नहीं करेगी. अगर हम सामान्य तिथि (मानसून के आगमन के लिए) यानी एक जून को देखें तो अभी भी एक महीना बाकी है. यह बहुत लंबा समय है. ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं है’. जीपी शर्मा ने ये भी कहा, ‘हालिया बारिश का ये दौर शायद एक हफ्ते तक और खिच सकता है. इसके बाद मानसून-पूर्व मौसम की सामान्य स्थिति- गर्मी और आंधी-तूफान शुरू हो जाएगा.’
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