भारत में मजबूत हुए अल्पसंख्यक, पाकिस्तान में कितने बुरे हैं अल्पसंख्यकों के हालात... आंकड़ों से समझें
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भारत में मजबूत हुए अल्पसंख्यक, पाकिस्तान में कितने बुरे हैं अल्पसंख्यकों के हालात... आंकड़ों से समझें

आजाद भारत की पहली जनगणना वर्ष 1951 में हुई थी, उस वक्त हिंदू आबादी 84.10 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 9.80 प्रतिशत थी. इसके अलावा अन्य अल्पसंख्यकों को कुल आंकड़ा 6.10 प्रतिशत था. इसी तरह अगर हम भारत की पिछली जनगणना यानी वर्ष 2011 में हुई जनगणना को देखें तो उसके हिसाब से देश में हिंदू आबादी 78.35 प्रतिशत है और मुस्लिम आबादी 14.2 प्रतिशत है.

भारत में मजबूत हुए अल्पसंख्यक, पाकिस्तान में कितने बुरे हैं अल्पसंख्यकों के हालात... आंकड़ों से समझें

Pakistan Minority Condition: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने लंदन दौरे पर अलग-अलग मंचों से भारत की सरकार, लोकतंत्र और यहां के हालात को लेकर बहुत सारी बातें कही थीं. राहुल गांधी ने विदेशी मंच से यहां तक कह दिया था कि भारत में लोकतंत्र खतरे में आ गया है. उनके दौरे को विदेशी मीडिया ने खूब तवज्जो दी. हालांकि, भारत ने इस धारणा को गलत बताया. वर्ल्ड बैंक के साथ बैठक के लिए अमेरिका पहुंचीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भारत में अल्पसंख्यकों के हालात पर सवाल पूछा गया.

वित्त मंत्री से कहा गया कि विदेशी मीडिया, भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की बात करता है. इसको लेकर निर्मला सीतारमण ने विदेशी मीडिया के प्रोपेगेंडा की धज्जियां उड़ा दी. उन्होंने भारत और पड़ोसी पाकिस्तान की अल्पसंख्यक आबादी को लेकर बहुत कुछ ऐसा कहा, जिसकी काट, वहां मौजूद किसी के पास नहीं थी. लेकिन सवाल है कि क्या वाकई में भारत में अल्पसंख्यकों को परेशान किया गया है. आइए आंकड़ों से इसे समझते हैं...

आमतौर पर अल्पसंख्यक समुदाय का जिक्र होते ही, लोग इसे मुस्लिम समुदाय से जोड़ने लगते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. भारत के अल्पसंख्यकों में सिख, ईसाई, जैन, बौध जैसे अन्य समुदाय भी आते हैं. भारत की जनगणना से जुड़ा आंकड़े में भारत में मौजूद हर अल्पसंख्यक से जुड़ा डेटा मौजूद है.

भारत में हिंदू आबादी हुई कम, मुस्लिमों की बढ़ी संख्या

आजाद भारत की पहली जनगणना वर्ष 1951 में हुई थी, उस वक्त हिंदू आबादी 84.10 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 9.80 प्रतिशत थी. इसके अलावा अन्य अल्पसंख्यकों को कुल आंकड़ा 6.10 प्रतिशत था. इसी तरह अगर हम भारत की पिछली जनगणना यानी वर्ष 2011 में हुई जनगणना को देखें तो उसके हिसाब से देश में हिंदू आबादी 78.35 प्रतिशत है और मुस्लिम आबादी 14.2 प्रतिशत है.

ऐसे में देखा जाए तो हिंदू आबादी 1951 की जनगणना के मुकाबले करीब 6 प्रतिशत कम हुई है, जबकि मुस्लिम आबादी करीब 5 प्रतिशत बढ़ी है. तो ऐसे लोग जो मुस्लिम समुदाय को ही एकमात्र अल्पसंख्यक मानते हैं, और ये धारणा बनाकर बैठे हैं, कि उनके खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं.

गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक भी बढ़े

मुस्लिम आबादी ही नहीं, देश में अन्य अल्पसंख्यक समुदाय की कुल आबादी 7.45 प्रतिशत हो गई है, यानी 1951 की पहली जनगणना मुकाबले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों की आबादी भी करीब 1.3 प्रतिशत बढ़ी है. PEW रिसर्च के मुताबिक वर्ष 2050 तक भारत में मुस्लिम आबादी 14.2 प्रतिशत से बढ़कर 18.4 प्रतिशत हो जाएगी. यानी इसमें करीब 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी.

आर्थिक रूप से भी देश के अल्पसंख्यक मजबूत 

भारत में अल्पसंख्यकों की केवल आबादी ही नहीं बढ़ी है, बल्कि आर्थिक रूप से भी देश के अल्पसंख्यक मजबूत हुए हैं. नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे 2016 के मुताबिक हिंदुओं की कुल आबादी में केवल 19.3 प्रतिशत परिवार समृद्ध हैं, जबकि मुस्लिमों की कुल आबादी में करीब 18.2 प्रतिशत समृद्ध परिवार हैं. इसी तरह से कुल ईसाई आबादी में 29.10 प्रतिशत, सिखों की कुल आबादी में 59.60 प्रतिशत, जैन समुदाय की कुल आबादी में 70.6 प्रतिशत परिवार समृद्ध बताए गए हैं.

इस तरह से देखा जाए तो भारत में रहने वाले अल्पसंख्यक, कई अन्य देशों के अल्पसंख्यकों के मुकाबले कहीं ज्यादा समृद्ध और सुखी हैं. निर्मला सीतारमण ने यही बात पड़ोसी देश पाकिस्तान का उदाहरण देकर समझाया. अक्सर ये देखा गया है कि भारत के खिलाफ चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा के पीछे पाकिस्तान होता है. कई मौकों पर भारत के अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय को लेकर, पाकिस्तान ही दुनियाभर में भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाता है.

पाकिस्तान में मुस्लिमों के हालात खराब

पाकिस्तान के लिए अल्पसंख्यक मतलब मुस्लिम आबादी ही है. इसमें भी पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिम, हजारा, इस्लाइली और बंटवारे के समय भारत से मुस्लिमों को,पाकिस्तानी मुस्लिमों जैसा दर्जा नहीं दिया जाता है. इन लोगों के हालात तो पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों से भी बुरे हैं.

पाकिस्तान में वर्ष 1951 में हुई जनगणना के हिसाब से हिंदू आबादी थी 12.9 प्रतिशत. इसके बाद वर्ष 1961 में हुई जनगणना में हिंदू आबादी घटकर 10.7 प्रतिशत हो गई. पाकिस्तान की पिछली जनगणना यानी वर्ष 2017 की जनगणना में हिंदू आबादी 1.60 प्रतिशत थी. यानी पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों में विशेषतौर पर हिंदुओं की आबादी लगातार कम हुई है. वर्ष 1951 के मुकाबले आज वहां हिंदुओं की आबादी में 11.3 प्रतिशत घट चुकी है.

लेकिन वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के अंदर वर्ष 1951 में मुस्लिम आबादी 85.80 प्रतिशत थी, जो वर्ष 2017 में बढ़कर 96.57 प्रतिशत हो गई है. इस आंकड़े में भी ज्यादा संख्या सुन्नी और शिया मुस्लिमों की है.

पाकिस्तान में मुस्लिम खुद को मुस्लिम बता दें तो जाना पड़ता है जेल

पाकिस्तान में मौजूद अहमदिया, बोहरा, हजारा और ईस्माइली मुस्लिमों की आबादी, कुल मुस्लिम जनसंख्या में से मात्र 4 प्रतिशत से भी कम रह गई है. पाकिस्तान में इन मुस्लिम समुदायों पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिससे इनकी आबादी कम हुई है. जबकि ये लोग मुस्लिम समुदाय का ही हिस्सा हैं.

पाकिस्तान में स्थिति ये है कि अगर अहमदिया मुस्लिम, खुद को मुसलमान कह दें तो उन्हें जेल हो सकती है. आप समझ सकते हैं कि जब पाकिस्तान में कुछ मुस्लिम समुदाय ही खतरे में हैं, तो अल्पसंख्यकों खासकर गैर मुस्लिमों के हालात क्या होंगे.

ये आंकड़ा बताता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के क्या हालात है. खासतौर से हिंदुओं की स्थिति कितनी बुरी है. दुनियाभर के देश जानते हैं कि भारत, अगले कुछ दशकों में एक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है. ये देखते हुए कई दुश्मन देशों की परेशानी बढ़ गई है.

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