Congress-NCP Merger News: तीन टुकड़े होने के बाद कांग्रेस को शरद पावर मिलने की उम्मीद
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Congress-NCP Merger News: तीन टुकड़े होने के बाद कांग्रेस को शरद पावर मिलने की उम्मीद

Maharashtra Politics: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस में शरद पवार गुट की एनसीपी का विलय हो सकता है. इसको लेकर शरद पवार ने अपने विधायकों और सांसदों की पुणे में तत्काल बैठक बुलाई है, जिसमें बड़ा निर्णय लेने की संभावना जताई जा रही है.

Congress-NCP Merger News: तीन टुकड़े होने के बाद कांग्रेस को शरद पावर मिलने की उम्मीद

Congress-Sharad Pawar Group NCP Merger Update: क्या शरद पवार 25 साल एक बार फिर कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं? महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम होने की संभावना है. सियासी गलियारों में शरद पवार गुट की एनसीपी के कांग्रेस में विलय की चर्चा जोरों पर है. सूत्रों के अनुसार, दावा किया जा रहा है कि शरद पवार ने अपने विधायकों और सांसदों की पुणे में तत्काल बैठक बुलाई है. इस बैठक में बड़ा निर्णय लेने की संभावना बताई जा रही है. हालांकि, अभी तक कांग्रेस या शरद पवार के गुट की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है. बता दें कि 25 साल पहले शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होने के बाद साल 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की स्थापना की थी. 

निर्णय से पहले लगातार चल रहा बैठकों का दौर

राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) का नाम और चुनाव चिन्ह गंवाने के बाद शरद पवार द्वारा बड़ा निर्णय लेने की बात सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि बीजेपी को राजनीतिक चेकमेट करने के लिए यह फैसला लिया जा सकता है. कल (13 फरवरी) ही कांग्रेस के प्रभारी रमेश चेन्नीथल ने शरद पवार से मुलाकात की थी. इससे पहले कांग्रेस हाईकमान और बड़े नेताओं की बैठक भी बुलाई गई थी.

तीन टुकड़े होने के बाद कांग्रेस को 'पावर' मिलने की उम्मीद!

अगर शरद पवार गुट का विलय कांग्रेस में होता है तो लोकसभा चुनाव से पहले यह कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी राहत की बात होगी, क्योंकि हाल के समय में पार्टी को तीन बड़े झटके लग चुके हैं. हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पूर्व मंत्री बाबा जियाउद्दीन सिद्दीकी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं. अशोक चव्हाण बीजेपी में शामिल हुए हैं, जबकि बाबा सिद्दीकी ने एनसीपी (अजीप पवार गुट) और मिलिंद देवड़ा ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का दामन थाम लिया है.

शरद पवार और एनसीपी का सफर

शरद पवार के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1956 में छात्र नेता के रूप में की थी. इसके बाद 1958 में युवा कांग्रेस में शामिल हो गए. लेकिन, इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले से नाराज होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने जनता पार्टी के सहयोग से महाराष्ट्र में सरकार का गठन कर लिया और खुद सीएम की कुर्सी पर बैठ गए. हालांकि, साल 1980 में इंदिरा गांधी ने सरकार में वापसी की और महाराष्ट्र में पवार सरकार को बर्खास्त कर दिया गया. इसके बाद साल 1983 में शरद पवार ने 'कांग्रेस पार्टी सोशलिस्ट' नाम से एक नए दल का गठन किया.

साल 1987 में राजीव गांधी ने शरद पवार की कांग्रेस में वापसी कराई और उन्हें महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम रहे शंकर राव चव्हाण की जगह मुख्यमंत्री बनाया गया. 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद शरद पवार के पीएम बनने की चर्चा थी, लेकिन नरसिम्हा राव को मौका मिला. साल 1998 आते-आते शरद पवार ने सोनिया गांधी के कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिया, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया. इसके बाद साल 1999 में उन्होंने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया. हालांकि, जुलाई 2023 में शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने बगावत की और कुछ विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए. इसके बाद एनसीपी दो फाड़ में हो गई और तब से इसको लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है.

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