Maharashtra Political Crisis: सीएम उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. शिंदे गुट के विधायक आज राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं. वहीं, राज्यपाल ने सीएम ठाकरे से उनके फैसलों की जानकारी मांगी है.
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Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के सियासी संकट में सीएम उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. शिंदे गुट के विधायकों ने उनको घेरने की पूरी तैयार कर ली है. दरअसल, एकनाथ शिंदे गुट के निर्दलीय विधायक आज( मंगलवार) राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात कर सकते हैं. इन विधायकों की राज्यपाल से मुलाकात कब होगी, ये अभी तय नहीं है.
इस बीच, गुवाहाटी में डेरा डाले हुए शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे आज महाराष्ट्र लौट सकते हैं. वह राज्यपाल से मिलकर ठाकरे सरकार से समर्थन वापसी की चिट्ठी सौंप सकते हैं. उधर, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे के फैसलों की जानकारी मांगी है.
राज्यपाल ने चिट्ठी लिखकर मांगी जानकारी
राज्यपाल के प्रमुख सचिव संतोष कुमार ने बताया कि राज्यपाल ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर 22-24 जून तक राज्य सरकार द्वारा जारी सभी सरकारी प्रस्तावों (जीआर) और परिपत्रों की पूरी जानकारी प्रदान करने के लिए कहा है. जानकारी देने का निर्देश सत्ताधारी सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस द्वारा नियंत्रित विभागों द्वारा 22-24 जून तक विभिन्न विकास संबंधी कार्यों के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने के सरकारी आदेश जारी करने के बाद आया है. पत्र के अनुसार, 'राज्यपाल ने 22-24 जून को राज्य सरकार द्वारा जारी जीआर, परिपत्रों के बारे में 'पूरी पृष्ठभूमि की जानकारी' देने को कहा है.....'
सीएम भी ठाकरे एक्शन में
महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी एक्शन में हैं. उन्होंने गुवाहाटी के होटल में ठहरे हुए 9 बागी मंत्रियों के विभाग सोमवार को छीन लिए. शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के खिलाफ शुरू हुई बगावत को एक हफ्ते हो रहा है. उनका 36 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा है. दोनों ही पक्ष अपने रुख पर अड़े हुए हैं और लंबी लड़ाई के लिये तैयार दिख रहे हैं.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, शिंदे के नेतृत्व में गुवाहाटी में डेरा डाले बैठे बागी मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों को इसलिए दिए जा रहे हैं ताकि प्रशासन चलाने में आसानी हो. शिवसेना में अब चार कैबिनेट मंत्री हैं जिनमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अनिल परब और सुभाष देसाई शामिल हैं.
शिंदे के शहरी विकास और सार्वजनिक उपक्रम विभागों को शिवसेना के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई को दिया गया है. उदय सामंत के पास उच्च शिक्षा विभाग था जिसे अब आदित्य ठाकरे को आवंटित किया गया है. वहीं गुलाब राव पाटिल से जल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग लेकर अनिल परब को सौंपा गया है.
संदीपान भुमरे के रोज़मार गारंटी और बागबानी महकमे तथा दादा भूसे के कृषि एवं पूर्व सैनिक कल्याण विभाग शंकरराव गडाख को दिए गए हैं. राज्य मंत्री शम्बुराज देसाई को आवंटित विभागों का जिम्मा संजय बनसोडे (गृह-ग्रामीण) और विश्वजीत कदम (वित्त, योजना एवं कौशल विकास) को सौंपा गया है.
वहीं राज्य मंत्री राजेंद्र पाटिल-यड्रावकर के विभागों को विश्वजीत कदम (लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण), प्रजक्त तानपुरे (मेडिकल शिक्षा एवं कपड़ा), सतेज पाटिल (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) और अदिति तटकरे (सांस्कृतिक गतिविधियां) को सौंपे गए हैं.
अन्य राज्य मंत्री एवं प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता ओमप्रकाश कडू (बच्चू कडू) के महकमों को तटकरे (स्कूल शिक्षा), सतेज पाटिल (जल संसाधन), संजय बनसोडे (महिला एवं बाल विकास) और दत्तात्रेय भरणे (अन्य पिछड़ा वर्ग विकास) को आवंटित किए गए हैं.
इसके अलावा राज्य मंत्री अब्दुल सत्तार के विभागों को तानपुरे (राजस्व), सतेज पाटिल (ग्रामीण विकास) और तटकरे (बंदरगाह) को सौंपे गए हैं. शिवसेना के अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में बगावत से पहले, पार्टी के 10 कैबिनेट मंत्री और चार राज्य मंत्री थे. चारों राज्यमंत्री विरोधी खेमे में शामिल हो गए हैं. एनसीपी और कांग्रेस एमवीए के अन्य प्रमुख घटक हैं.