Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी पर करें ये उपाय, भगवान विष्णु करेंगे मालामाल
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Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी पर करें ये उपाय, भगवान विष्णु करेंगे मालामाल

Shattila Ekadashi 2023 Date: माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के नाम से जानते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने और तिल का दान करने से हमारे सभी कष्ट दूर होते हैं. 

Shattila Ekadashi 2023: षटतिला एकादशी पर करें ये उपाय, भगवान विष्णु करेंगे मालामाल

Magh Month Ekadashi 2023 Date: हिंदू धर्म में हर माह पड़ने वाली एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. वहीं माघ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली षटतिला एकादशी का अपना अलग महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की को तिल का भोग लगाकर पूजा किया जाता है. इसलिए इसे षटतिला एकादशी के नाम से जानते हैं. आइए जानते हैं कब है षटतिला एकादशी का व्रत, क्या पूजा का सही विधि और शुभ मुहूर्त

कब है षटतिला एकादशी का व्रत
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष के एकादशी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी की शाम 06 बजकर 20 मिनट से हो रही है. तिथि का समापन 18 जनवरी शाम 04 बजकर 18 मिनट पर होगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि सर्वमान्य होती है. इसलिए एकादशी का व्रत 18 जनवरी को रखा जाएगा. 

तिल का लगाएं भोग
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की तिल से पूजा करनी चाहिए. धार्मिक मान्यतानुसार जो व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने में तिल का भोग लगाता है. साथ ही तिल गरीबों में तिल का दान करात है. उसके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है. साथ मृत्यु पश्चात स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. 

षटतिला एकादशी पूजा विधि
षटतिला एकादशी के दिन सुबह जल्दी जगकर सबसे पहले अपनी नित्य क्रियाएं करें. उसके बाद गंगा स्नान करें.  फिर साफ-सूथरे वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. उसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उस पर गंगा जल में तिल मिलाकर अर्पित करें. इसके साथ ही पुष्प व धूप भी अर्पित करें. इसके बाद भगवान श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें. फिर भगवान को तिल के लड्डू का भोग लगाएं. इस दिन व्रत रखने के बाद रात्रि में जागरण व हवन जरुर करें और द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें. फिर भगवान विष्णु को भोग लगाएं.

एकादशी व्रत पारण विधि
एकादशी व्रत का पारण 19 नवंबर को सुबह 07 बजकर 02 मिनट से 09 बजकर 09 मिनट तक है. इस दिन व्रत खोलने से पहले ब्राम्हण को भोजन कराएं. उसके बाद स्वंय भोजन कर लें. 

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्ताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. ZEE MEDIA इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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