Belpatra Rules: सावन में इस विधि से चढ़ाएं भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, मिलेगा इतने कन्यादान का फल
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Belpatra Rules: सावन में इस विधि से चढ़ाएं भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, मिलेगा इतने कन्यादान का फल

Belpatra Chadhane Ke Niyam: सावन के महीने में भोलेनाथ को बेलपत्र चढ़ाना काफी शुभ होता है. बेलपत्र को लेकर काशी के ज्योतिष मर्मज्ञ श्रीनाथ प्रपन्नाचार्य कहते हैं कि इस महीने में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से महापुण्य की प्राप्ति होती है. 

Belpatra Rules: सावन में इस विधि से चढ़ाएं भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र, मिलेगा इतने कन्यादान का फल

Belpatra Rules: इस समय सावन (Sawan ke upay) का महीना चल रहा है. हिंदू धर्म में सावन के महीने का काफी ज्यादा महत्व होता है. इस महीने में लोग भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं और शिवलिंग पर बेलपत्र भांग और धतूरा के साथ जलाभिषेक करते हैं. इससे लोगों को कई पुण्यफल प्राप्त होते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य की मानें तो सावन के महीने में बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग की पूजा करने और बेलपत्र चढ़ाने से 1 करोड़ कन्यादान का फल प्राप्त होता है. इसके अलावा ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि पूजा करते समय शिवतांडव का स्त्रोत करने से काफी ज्यादा पुण्य मिलता है.  इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाने का क्या महत्व है यहां जानें.

बेलपत्र की मान्यता 
वेदों और पुराणों में मान्यता है कि बेला का वृक्ष संपूर्ण सिद्धियों का सबसे पावन स्थल के रूप में गिना जाता है. कहा जाता है कि इस वृक्ष के नीचे भगवान भोलेनाथ की आराधना करने से कई गुना फल प्राप्त होता है. इसके अलावा सावन के महीने नें इस वृक्ष के नीचे बैठकर तांत्रिक और ज्योतिष मंत्र सिद्धि करते हैं. साथ ही साथ कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस महीने में जलाभिषेक करने से पहले शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाता है उसे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. उसके घर में आर्थिक सामाजिक संपन्नता आती है.

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इन बातों का रखें ध्यान
बेलपत्र चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. अगर आपको सोमवार के दिन बेलपत्र चढ़ाना है तो इसे एक दिन पहले तोड़कर रख लें. बेलपत्र तोड़ते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि बेल पत्र तीन पत्तों वाला हो साथ ही साथ बेलपत्र में कोई निशान न लगा हो यानि की कहीं से कटा पिटा न हो. इसके अलावा अगर आपको पांच पत्तों वाला बेलपत्र मिल जाता है तो यह काफी शुभ होता है.

 

 

मां पार्वती का स्वरूप 
बेलपत्र को लेकर के कहा जाता है कि इस पत्र में मां सरस्वती का सभी स्वरूप होता है. स्कंद पुराण के अनुसार मान्यता है कि माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचंल पर्वत पर गिर गई थी जिसकी वजह से बेल का पेड़ निकल आया था. माता पार्वती का पसीना गिरने के स्वरूप इस पेड़ की उत्पत्ति हुई जिसकी वजह से कहा जाता है कि इसमें मां पार्वती का सभी स्वरूप बसता है. इसके अलावा बताया जाता है कि इस वृक्ष के तनों में माहेश्वरी के स्वरुप में  शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं, फलों में कात्यायनी स्वरूप में निवास करती हैं, इसके फूलों में गौरी स्वरूप,  इसके साथ ही इसमें मां लक्ष्मी भी सभी स्वरूप में निवास करती हैं. मां पार्वती के सभी स्वरूपों का निवास होने की वजह से बेलपत्र शिव जी को चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामना पूरी करते हैं. सावन के महीने में आप ये अपना सकते हैं. 

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Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न लेखों और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. ZEE MEDIA इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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