Narmada Jayanti: भारत के लोगों के लिए जितनी गंगा पूजनीय है, उतनी ही मध्य प्रदेश के लिए नर्मदा पूजनीय है. यह राज्य की इकलौती ऐसी नदी है, जिसे गंगा के बराबर मां दर्ज दिया गया है. यही नहीं जिस तरह मां गंगा की विधिवत रूप से आरती की जाती है, उसी तरह मध्य प्रदेश में मां नर्मदा जी की आरती की जाती है. जिसका अपना विशेष महत्व है.
16 फरवरी को मां नर्मदा जयंती आ रही है. नर्मदा जयंती हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है. इस बार सप्तमी तिथि 15, 2024 को सुबह 10 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन फरवरी 16, 2024 को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा. इसलिए नर्मदा जयंती 16 फरवरी को मनाई जाएगी.
मां नर्मदा जिस शहर से गुजरती है वहां हर रोज नर्मदा की आरती की जाती है. अमरकंटक से लेकर ग्वारीघाट तक तो सेठानी घाट से लेकर राजघाट तक हर रोज मां नर्मदा की सुंदर आरती होती है.
अमरकंटक में नर्मदा जन्मोत्सव पर निर्झरिणी महोत्सव का आयोजन किया जाता है. यहां वैसे तो हर रोज आरती होती है, लेकिन इस दिन होने वाली आरती का विशेष महत्व माना गया है. इस आरती में शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
नर्मदापुरम के सेठानी घाट पर हर पूर्णिमा को महाआरती का आयोजन होता है. इस महाआरती में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं, जिनमें पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोग भी रहते हैं. सेठानी घाट पर होने वाली आरती का विशेष महत्व है. यह आरती कोरोना काल में भी बंद नहीं हुई.
जबलपुर के ग्वारीघाट पर बनारस और हरिद्वार की तरह ही मां गंगा की महाआरती की जाती है. इस आरती को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां महाआरती का सिलसिला 2012 में शुरू हो गया था. रोज शाम 7:30 बजे हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुंचकर नर्मदा की आरती करते हैं.
बड़वानी के राजघाट पर भी मांग नर्मदा की आरती पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है. यहां लोग पंचकोसी परिक्रमा के लिए भी आते हैं. अपनी 1,312 की कुल यात्रा के दौरान अनूपपुर के अमरकंटक से लेकर अलीराजपुर के सोंडवा तक नर्मदा अपने 1077 किमी लंबे सफर के दौरान मध्य प्रदेश के 16 जिलों से होकर गुजरती है.
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