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Maha Ashtami: रतलाम के कवलका माता मंदिर में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब, काफी दिलचस्प है इतिहास

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि की आज महाअष्टमी है. इस अवसर पर देश भर के देवी मंदिरों में भक्तों का तांता लग रहा है. एमपी के देवी मंदिरों में भी भक्त उत्साह के साथ माता रानी के दर्शन करने आ रहे हैं. महाअष्टमी पर रतलाम जिला मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर सातरुंडा की पहाड़ी पर स्थित माता कवलका में भी भक्तों का जनसैलाब उमड़ रहा है. आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में. 

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आज महाअष्टमी है और श्रद्धालु बड़ी संख्या में मातारानी के प्राचीन सिद्ध मंदिरों में पहुंचकर आशीर्वाद ले रहे हैं. ऐसा ही एक प्राचीन और सुंदर मातारानी का मंदिर रतलाम जिले में हैं.

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माता रानी का ये मंदिर रतलाम जिला मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर सातरुंडा के समीप पहाड़ पर स्थित है. यहां पर चमत्कारी कवलका माता की प्रतिमा विराजित है. 

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बहुत समय पहले इस पहाड़ी पर जब चढ़ने का रास्ता भी नहीं था तब एक संत ने यहां आकर इस मंदिर की जानकारी सबको दी थी, जिसके बाद माता के आसपास के पेड़ों व झाड़ियों को काट कर मंदिर का निर्माण किया गया.

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 यहां सालों से एक ही पुजारी परिवार के वंशज कवलजा माता की पूजा करते आ रहे हैं. मान्यता है की कवलका माता के समक्ष मांगी गई हर मनोकामनाए पूर्ण होती है.

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संतान प्राप्ति के लिए दम्पति द्वारा मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाया जाता है. संतान प्राप्ति होने पर दम्पति माता के समक्ष अपनी मन्नत पूर्ण होने पर पूजा अर्चना कर मंदिर की दीवार पर सीधा स्वास्तिक बनाया जाता है. 

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कहा जाता है कि सातरुंडा कवलका माता की स्थापना पांडवो के अज्ञातवास के दौरान अपनी गाय गुम हो जाने पर भीम ने डेढ़ मुठ्ठी धूल से पहाड़ का निर्माण किया था. इसके बाद इस पर चढ़ अपनी गाय को मांडू में देखी थी.

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जिसके बाद भीम ने कवलका माता की स्थापना इस पहाड़ी पर की. अब इस पहाड़ी पर सीढ़ियों से चढ़कर जाते हुए माता रानी के दर्शन होते ही हालांकि अब यहां ऊपर तक आने जाने के लिए अच्छा रास्ता बन गया है.