रविवार को मोदी सरकार 3.0 का शपथ ग्रहण समारोह हुआ. सोमवार को मंत्रालय का बंटवारा हुआ. खबरें इसी के आसपास चल ही रही थी, कि सारा ध्यान खींच लिया संघ प्रमुख मोहन भागवत ने, अपने खरे बयान से. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बिना नाम लिए काफी कुछ कह दिया.
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Congress In Favor Of RSS: रविवार को मोदी सरकार 3.0 का शपथ ग्रहण समारोह हुआ. सोमवार को मंत्रालय का बंटवारा हुआ. खबरें इसी के आसपास चल ही रही थी, कि सारा ध्यान खींच लिया संघ प्रमुख मोहन भागवत ने, अपने खरे बयान से. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बिना नाम लिए काफी कुछ कह दिया. उन्होंने कहा कि जनता ने जो जनादेश दिया, वैसा ही हो रहा, इसमें आरएसएस शामिल नहीं है. इसके बाद उन्होंने मणिपुर मामले पर कड़े शब्दों में कहा कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है. इस पर प्राथमिकता से विचार होना चाहिए. इसके साथ ही भागवत ने केंद्र को कड़ा संदेश दिया तो कांग्रेस के खुशी के ठिकाने नहीं रहे. मध्य प्रदेश कांग्रेस भी मोहन भागवत की तारीफ को मजबूर हो गई. राजनीति में ऐसी मजबूरियां होती है, जब दो लोगों के बीच के मतभेद में तीसरा अपना फायदा देखने लगता है.
आरएसएस के मुरीद
दरअसल एमपी के कांग्रेस नेता आरएसएस के मुरीद होते दिखने लगे, जब मानक अग्रवाल बोले कि मोहन भागवत ने सरकार को आईना दिखा दिया. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के मणिपुर हिंसा को लेकर दिए बयान के बाद कांग्रेस ने आरएसएस के बयान की तारीफ की. कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल ने कहा कि आरएसएस का कदम सराहनीय है. सरकार को आईना दिखा दिया. केंद्र सरकार एक साल से आंख बंद करके बैठी है. तत्काल पीएम मणिपुर जाएं और कदम उठांए. कांग्रेस बोली हम आरएसएस की पहल की सराहना करते हैं.
भागवत की खरी खरी
लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद ये RSS चीफ मोहन भागवत की पहली प्रतिक्रिया थी. नागपुर में एक समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर एक साल से हिंसा की आग में जल रहा है, शांति की राह देख रहा है. इसपर प्राथमिकता होनी चाहिए. इसके अलावा बिना नाम लिए भागवत ने कहा कि काम करें पर इसका अहंकार ना पालें. वही सच्चा सेवक है. चुनाव प्रचार में एक दूसरे को लताड़ना, तकनीक का दुरुपयोग, असत्य प्रसारित करना ठीक नहीं है. चुनाव के आवेश से मुक्त होकर देश के सामने उपस्थित समस्याओं पर विचार करना चाहिए. चुनाव खत्म हुए, रिजल्ट आए और सरकार भी बन गई, लेकिन उसकी चर्चा खत्म नहीं हुई. उन्होंने कहा हजारों सालों के भेदभावपूर्ण बर्ताव ने विभाजन की खाई बनाई और गुस्सा पैदा किया.
भागवत के बयान के कई है मायने
मोहन भागवत ने कहा भगवान ने सबको बनाया है, भगवान की बनाए लोगों के लिए हमारी भावनाएं क्या होनी चाहिए, ये सोचने का विषय है. जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है, गर्व करता है अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है. भागवत के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. खासतौर पर विपक्ष इसे जमकर भुनाने में लगा है. सोशल मीडिया पर मोहन भागवत के इस बयान को पीएम मोदी के खिलाफ बताकर जमकर राजनीति हो रही है. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी इसपर बयानबाजी शुरू कर दी है.