Seoni Keolari Vidhan Sabha Seat History: मध्य प्रदेश के सिवनी में केवलारी विधानसभा सीट की बात करें तो यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होता है. 2018 के चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की, लेकिन इस सीट का इतिहास दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर का गवाह है.
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Seoni Keolari Vidhan Sabha Seat Analysis: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की चार विधानसभा सीटों में से दो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. महाकौशल के कद्दावर नेता ठाकुर हरवंश सिंह का क्षेत्र कही जाने वाली केवलारी सीट भी आरक्षित है. चार सीटों में से दो पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है, जबकि केवलारी सीट सहित अन्य दो पर कांग्रेस का कब्जा है.
पिछले कुछ चुनाव के नतीजे
2018 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो केवलारी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में बीजेपी विजयी रही. भाजपा के राकेश पाल सिंह ने कुल 85,839 वोट हासिल किए और कांग्रेस के रजनीश हरवंश सिंह को मात दी थी, जिन्होंने 79,160 वोट हासिल किए और दूसरा स्थान हासिल किया. जबकि, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राजेंद्र राय 21,694 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. 2013 के चुनाव में, कांग्रेस की इस सीट पर विजय हुई थी, पार्टी के प्रत्याशी को कुल 72,669 वोट मिले थे. कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार रजनीश हरबंश सिंह थे. दूसरी ओर, भाजपा के डॉ. ढाल सिंह बिसेन को 67,866 वोट मिले थे. हालांकि कड़े मुकाबले के बावजूद उन्हें जीत नहीं मिली थी. 2008 के चुनाव पर नजर डालें तो कांग्रेस के हरवंश सिंह ने 57,180 वोटों के साथ जीत हासिल की थी. थे. इसके विपरीत, भाजपा को 51,202 वोट मिले, पार्टी के उम्मीदवार डॉ. ढाल सिंह बिसेन चुनाव हार गए थे.
विधानसभा सीट के मतदाता
पिछले चुनाव, केवलारी सीट पर कुल 2,34,191 पात्र मतदाता थे, जिनमें 1,19,710 पुरुष मतदाता और 1,14,479 महिला मतदाता थे. इनमें से 1,96,971 मतदाताओं (85.0%) ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. अब तक, इस विधानसभा सीट पर 2,36,072 पंजीकृत मतदाता हैं.
राजनीतिक इतिहास
केवलारी विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो गौरतलब है कि बीजेपी ने इस सीट पर तीन बार जीत हासिल की है, जबकि चार बार कांग्रेस के प्रत्याशी को जनता ने चुना. हरवंश सिंह ने पहली बार 1993 में यह सीट जीती और उसके बाद तीन बार फिर से चुनाव जीते. उनके दुर्भाग्यपूर्ण निधन के बाद उनके बेटे रजनीश हरवंश सिंह ने 2013 के विधानसभा चुनाव में विधायक बनकर परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया. हालांकि, 2018 के चुनाव में बीजेपी के राकेश पाल सिंह विजयी रहे, जबकि रजनीश को हार का सामना करना पड़ा. ठाकुर हरवंश सिंह मध्य प्रदेश और महाकौशल की राजनीति में प्रमुख नेता थे , उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया और दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री पद संभाला था.
बता दें कि विमला वर्मा इस सीट से प्रदेश की एक कद्दावर नेता निकलीं. जिन्होंने 1967 से 1985 तक लगातार कई बार केवलारी विधानसभा सीट से चुनाव जीत विधायक बनीं. विमला वर्मा राज्य स्तर पर स्वास्थ्य, सिंचाई और ऊर्जा सहित कई महत्वपूर्ण विभागों में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्होंने 1991 में 10वीं लोकसभा के लिए सिवनी लोकसभा सीट से सांसद का चुनाव जीता. इसके बाद 1998 में भी फिर से चुनाव में जीत हासिल वो संसद पहुंची. उन्हें केंद्र में भी मंत्री पद की जिम्मेदारी मिली.
केवलारी विधानसभा सीट के विधायकों की सूची
1967: विमला के.पी. वर्मा (कांग्रेस)
1972: विमला के.पी. वर्मा (कांग्रेस)
1977: विमला के.पी. वर्मा (कांग्रेस)
1980: विमला के.पी. वर्मा (कांग्रेस)
1985: विमला के.पी. वर्मा (कांग्रेस)
1990: नेहा सिंह (भारतीय जनता पार्टी)
1993: ठाकुर हरवंश सिंह (कांग्रेस)
1998: ठाकुर हरवंश सिंह (कांग्रेस)
2003: ठाकुर हरवंश सिंह (कांग्रेस)
2008: ठाकुर हरवंश सिंह (कांग्रेस)
2013: रजनीश हरवंश सिंह (कांग्रेस)
2018: राकेश पाल सिंह (BJP)