Naxal Affected Abujhmad: नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ इलाके की जिंदगी अब बदल रही है. गारपा गांव में 40 साल बाद खुशी की लहर दिख रही है.
नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके में आने वाले गारपा गांव में 40 साल बाद साप्ताहिक बाजार खुला है. अब ग्रामीणों अपनी रोजमर्रा की जरूरत की सामग्री के लिए लंबा सफर तय नहीं करना होगा और उन्हें यही सब मिल जाएगा. व्यापारियों ने कहा कि यहां के ग्रामीणों को अपने वनोपज बेचने के लिए कावड़ में बोहकर 25 किलोमीटर दूर सोनपुर आना पड़ता था अब उन्हें इतनी दूरी नहीं तय करनी पड़ेगी.
नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके में 80 के दशक में लाल आतंक का साया पूरे अबूझमाड़ में छाने लगा था, गारपा गांव सहित अन्य गांवों से सबसे पहले लाल आतंक ने ग्रामीणों को शासन प्रशासन से दूर करने के साथ ही देश दुनिया से अलग करने के लिए गांव तक सभी के आने जाने पर रोक लगाने का काम किया, फिर वहां लगने वाले बाजारों को बंद कराया ताकि ग्रामीण सुविधाओं से महरूम हो जाए. लेकिन अब स्थिति बदल रही है.
सालों तक गांव जाने के लिए आवाजाही बंद थी, कच्ची सड़कें भी जर्जर होने के साथ ही जंगल में झाड़ियों के साथ सड़कें कहा चली गई ये लोगों को भी पता नहीं चला. लेकिन अब ये तस्वीर पुलिस जवानों ने बदलकर यहां के ग्रामीणों को नक्सल दहशत से दूर करने के साथ ही गांव तक चौड़ी सड़कों का निर्माण कर ग्रामीणों को सौगात दी है, जिसके चलते अब गांव में विकास भी पहुंच रहा है और दशकों से बंद बाजार भी गांव में शुरू होने से ग्रामीणों को अब मिलो का सफर तय नहीं करना पड़ेगा.
गारपा में दशकों बाद साप्ताहिक बाजार की शुरुआत होने से युवाओं से लेकर बुजुर्ग ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई है, क्योंकि अब उनकी जिंदगी थोड़ी आसान जरूर होगी. गांव के बुजुर्ग ने जी मीडिया से बात करते हुए बताया कि वो जब लगभग 17 साल के थे तब घोटूल में बाजार लगता था अब 40 साल बाद बाजार फिर शुरू हुआ है तो अच्छा लग रहा है.
ग्रामीणों का कहना है जो उन्होंने झेला है, अब उनकी आने वाली पीढ़ी को वो दहशत और परेशानी नहीं झेलनी होगी. वही गांव के युवा ने कहा कि बाजार शुरू होने से गांव के सभी लोगों को लाभ मिलेगा, जबकि गारपा तक सड़क निर्माण में काम करने वाले यूपी के मजदूर ने कहा कि यहां पहले साइकिल चलाने लायक सड़क नहीं थ, यहां तक सड़क बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन ग्रामीणों की खुशी के आगे सारी दिक्कतें भूल गए है.
अबूझमाड़ में पुलिस कैंप के विस्तार से नक्सलियों के आधार इलाके के ग्रामीणों में सुरक्षा की भावना के साथ ही बदलाव की बयार उनकी आंखों में नजर आने लगी है, क्योंकि कैंप के साथ ही गांव तक पहुंच मार्ग का निर्माण भी तेजी से होने लगा है, जहां जाने को लोग कतराते थे वहां अब लोग बैखौफ जाने लगे है जो अबूझमाड़ से लाल आतंक के खत्म होने की शुरुआत है.
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