2 दिसंबर 1984, भोपाल गैस त्रासदी की रात... 40 साल बाद एक बार फिर डर का माहौल, विरोध, प्रदर्शन, हजारों सवाल और उनके जवाब की तलाश... भोपाल गैस कांड के जहरीले कचरे को भोपाल से पीथमपुर ले जाने के निर्णय से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या ये जहरीला कचरा जहां भी जलेगा, सच में वहां की आने वाली पीढ़ी के लिए खतरा होगा. ऐसे कई सवालों के जवाब मध्य प्रदेश सरकार ने दिए.
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Bhopal Gas Tragedy Toxic Waste: 2 दिसंबर 1984 की वो भयावह रात ना सिर्फ भोपाल के लिए बल्कि पूरे देश के लिए वो जख्म थी, जिसका दर्द और निशान 40 साल बाद भी दिखाई दे रहे हैं. 2 दिसंबर की देर रात यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से हुए गैस कांड के बाद 358 मीट्रिक टन कचरा अब 40 साल बाद 1 जनवरी 2025 को भोपाल से निकालकर इंदौर के पास पीथमपुर लेकर गए. 12 कंटेनर, 250 किमी लंबे ग्रीन कॉरिडोर और भारी सुरक्षा बल लेकर जब जहरीला कचरा पीथमपुर के रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज पहुंचा तो कई सवाल उठ खड़े हुए. आम जनता में दहशत फैलने लगी, वो अपने सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं. यहां जानिए 10 बड़े सवाल और उनके जवाब
1. कचरा कहां जलेगा, ये फैसला कैसे हुआ
लंबी प्रक्रिया के बाद 28 जनवरी 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के पीथमपुर में 346 मीट्रिक टन कचरे को जलाने का आदेश दिया. पीथमपुर पहला विकल्प नहीं था. इससे पहले गुजरात, आंध्र प्रदेश, जर्मनी तक कचरा भेजने के प्रस्ताव गए, लेकिन जहां जहां कचरा भेजने की बात हुई, वहां इसी तरह का विरोध होने लगा. 2007 में गुजरात, अक्टूबर 2009 में हैदराबाद, जून 2011 में नागपुर में कचरा डिस्पोज करने के लिए टेंडर की बात हुई, लेकिन विरोध के चलते नहीं हो पाया. यूएस, जर्मनी तक से बात की गई पर विफल रही, फिर कोर्ट से आदेश जारी हुआ.
2. कैसे जलाया जाएगा कचरा
कचरा 1200° की बंद भट्टी में जलाया जाएगा. इसके बाद निकली राख को भी वाटरप्रूफ थैली में रखेंगे. 358 मीट्रिक टन कचरे को रामकी एनवायरो के इंसीनरेटर में 1200° तापमान पर जलाया जाएगा. बताया जा रहा है कि कचरे में 60 प्रतिशत मिट्टी भी है, जो संक्रमित है. कचरे को चूना, एक्टिवेटेड कार्बन और सल्फर की मदद से जलाया जाएगा. करीब 505 मीट्रिक टन चूना, 252.75 टन एक्टिवेटेड कार्बन, 2250 किग्रा सल्फर पाउडर रहेगा. मर्करी और भारी धातुओं को सोखने के लिए चूने के साथ सल्फर पाउडर डाला जाएगा.
3. ये कचरा कितना जहरीला है, क्या आने वाली पीढ़ी के लिए खतरा है
मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने इसका जवाब मीडिया को दिया. उन्होंने कहा 25 साल में कैमिकल की मियाद खत्म हो जाती है. बता दें 2015 में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कचरे की टेस्टिंग की थी. पाया गया कि कचरे में कार्बन अपशिष्ट की मात्रा अभी भी मौजूद है. कचरे में क्लोरीन, सेविन, ऑर्गेनो क्लोरिन कंपाउंड्स, नेफ्थॉल, सेमी वोलेटाइल आर्गेनो कंपाउंड और हैवी मेटल्स भी पाए गए. शुरूआती खतरा इससे जांचा गया कि 2005 तक फैक्ट्री परिसर के आसपास करीब 29 कॉलोनियों का भूजल जहरीला मिला. कई कॉलोनियों के पानी में नाइट्रेट, क्लोराइड और कैडमियम मिला. तुरंत मप्र प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड ने सारे हैंडपम्प सील करवा दिए. लेकिन जहर की ये तीव्रता समय के साथ कम होती गई. सरकार का दावा है कि अब इस तरह का कोई खतरा नहीं है. कचरा जलाने की प्रक्रिया इसे ध्यान में रखकर तय की गई है, जिससे आने वाली जनरेशन को खतरा ना रहे.
4. कचरा जलेगा, उससे उठे धुंए से फिर प्रदूषण होगा
सराकर ने भरोसा दिलाया है कि जिस प्रक्रिया से कचरा जलाया जाएगा, उससे न तो धुआं उठेगा और न ही दूषित पानी निकलेगा. सीएम यादव ने कहा इसे लेकर पहले ‘राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग और अनुसंधान संस्थान नागपुर, राष्ट्रीय भूभौतिकीय संस्थान हैदराबाद, भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे विभिन्न केंद्रीय संस्थानों ने ये अध्ययन किया है, तब काम शुरू हुआ है.
5. कचरा जलने में कितना समय लगेगा
अंदेशा लगाया जा रहा है कि पूरा कचरा जलाने में करीब 9 महीने का समय लग सकता है. स्वतंत्र सिंह ने पीटीआई-भाषा को बताया 'अगर सब कुछ ठीक रहा तो कचरे को तीन महीने में जला दिया जाएगा. वर्ना 9 माह तक का समय भी लग सकता है.'
6. क्या एक साथ सारा कचरा जलेगा
भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि पहले थोड़े कचरे को जलाएंगे. निकली राख की जांच की जाएगी. कोई हानिकारक तत्व तो नहीं निकल रहा, ये जांचेंगे. कचरे से निकलने वाले धुएं को 4 परत फिल्टर से निकालेंगे. पुष्टि होने के बाद कि है कि जहरीले तत्वों का कोई निशान नहीं बचा है. उसके बाद राख को 2 परत वाली झिल्ली से ढक दिया जाएगा. सब सही रहने के बाद आगे के कचरे को जलाएंगे.
7. सर्दियों में ही गैस कांड हुआ तो फिर सर्दी में ही क्यों जलाया जा रहा कचरा
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फटकार लगाई थी. कहा गया कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी काम क्यों नहीं हो रहा. 3 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद यूनियन कार्बाइड साइट को खाली क्यों नहीं किया. कोर्ट ने कचरे को ट्रांसफर करने के लिए 4 हफ्ते की समय सीमा तय की. हाईकोर्ट की पीठ ने सरकार को निर्देश का पालन नहीं करने पर अवमानना कार्यवाही की चेतावनी भी दे डाली. सरकार को कचरे का निष्पादन शपथ पत्र कोर्ट में पेश करना है. 6 जनवरी को मामले में सरकार की पेशी भी है.
8. क्या अब भोपाल से त्रासदी की सारी समस्या खत्म हो गई
शायद नहीं. दावा किया जा रहा है कि इस 350 टन के अलावा अभी 1 लाख टन से ज्यादा संक्रमित मिट्टी और कैमिकल तालाब और फैक्ट्री में दबा हुआ है. वो भी सरकार और आमजन के लिए चिंता का विषय है.
9. सब ठीक है तो विरोध क्यों
सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार का विरोध इसलिए है क्योंकि उनका मानन है कि भोपाल गैस कांड का जहरीला कचरा पीथमपुर के सीने पर लाकर रख देना गलत है. वो कचरा वापस ले जाने की मांग कर रहे हैं. विधायक जी बैठे हैं, तो आम जनता भी साथ हो ली है. हाथ में पर्यावरण बचाओ, पीथमपुर बचाओ की तख्तियां ली हुई हैं. विरोध में चिंता का भाव कम और राजनीतिक महक ज्यादा महसूस हो रही है.