Akhilesh Yadav in Madhya Pradesh: इस बार बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती पर समाजवादी पार्टी महू में बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है. जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मध्य प्रदेश पहुंचेंगे.
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Akhilesh Yadav in Madhya Pradesh: इस बार 14 अप्रैल को संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Babasaheb Bhimrao Ambedkar) की जयंती पर मध्य प्रदेश के इंदौर के महू में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पहुंचेंगे. बता दें कि बाबा साहब अंबेडकर की जयंती पर महू में समाजवादी पार्टी बड़ा प्रोग्राम करने वाली है.हालांकि, इस कार्यक्रम को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी देखा जा सकता है क्योंकि इसमें समाजवादी पार्टी अकेली नहीं होगी बल्कि भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद, राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे और राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले अपनी ताकत दिखाएंगे.
विधानसभा चुनाव की बदल सकती है तस्वीर
गौरतलब है कि मप्र में अगर सपा, भीम आर्मी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का गठबंधन होता है तो विधानसभा चुनाव की तस्वीर बदल सकती है, क्योंकि राज्य चाहे कोई भी हो, दलित+आदिवासी+ओबीसी को सत्ता की सीढ़ी कहा जाता है.
कोई भी दल सरकार बनाने से चूक सकता है
आपको बता दें कि दैनिक भास्कर के मुताबिक अगर सपा, भीम आर्मी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का गठबंधन होता है तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों की चिंता बढ़ जाएगी क्योंकि चुनावी समीकरण महाकौशल की 46 सीटों, बुंदेलखंड की 26 सीटों, ग्वालियर-चंबल की 22 और विंध्य की 22- 22 सीटों पर बदल सकते हैं. गौरतलब है कि अगर ऐसा होता है तो मप्र में कोई भी दल सरकार बनाने से चूक सकता है.
क्यों बिगाड़ सकता है खेल सपा+भीम आर्मी+GGP का गठबंधन?
बता दें कि 2011 की जनसंख्या के अनुसार मप्र में 1 करोड़ 13 लाख 42 हजार दलित आबादी है. राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति है. वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी या जीजीपी की बात करें तो ये पार्टी मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय और उसकी राजनीति करती है. इसका महाकौशल क्षेत्र पर अच्छा आधार है. बता दें कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 2018 मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया था. इसके साथ ही आदिवासी समूह गेमचेंजर है. जनगणना-2011 के अनुसार मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या 1,53,16,784 है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 21.1% है. इसलिए यह गठबंधन राजनीतिक दलों की चिंता काफी बढ़ा सकता है.