No Electricity in surajpur: सूरजपुर जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेलटिकरी गांव का महादेव पारा है. इस गांव में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण निवास करते हैं. लेकिन आज भी यहां के ग्रामीण ढिबरी युग में जीने को मजबूर हैं.
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सूरजपुर: आज कोई भी व्यक्ति बिजली की बगैर जिंदगी कल्पना भी नहीं कर सकता है. ऐसे में सूरजपुर (Surajpur) जिले से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गांव है. जहां आजादी के बाद से आज तक बिजली (No Electricity) नहीं पहुंच पाई है. आज देश में आजादी का अमृत महोत्सव (azadi ka amrit mahotsav) मनाया जा रहा है लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी यहां के ग्रामीण बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं. कई बार शिकायत करने के बाद भी इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. वहीं मीडिया की दखल के बाद अब संबंधित अधिकारी जल्द ही उस गांव में बिजली पहुंचाने का दावा कर रहे हैं.
दरअसल सूरजपुर जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेलटिकरी गांव का महादेव पारा है. इस गांव में सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण निवास करते हैं. लेकिन आज भी यहां के ग्रामीण ढिबरी युग में जीने को मजबूर हैं. आजादी के 75 साल बाद भी आज तक इस गांव में बिजली नहीं पहुंच सकी है. जिसकी वजह से यहां के ग्रामीणों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
सर्पदंश से गई लोगों की जान
बिजली ना होने की वजह से बच्चों को पढ़ाई की समस्या होती है, वहीं किसान भी इस गांव में पूरी तरह से मौसम पर ही निर्भर हैं. इतना ही नहीं यह गांव जंगल के नजदीक स्थित है. जिसकी वजह से यहां के ग्रामीणों को जंगली जानवरों का भी मुकाबला करना पड़ता है. ग्रामीणों के अनुसार बिजली ना होने की वजह से रात में कई बार यहां के लोग सर्पदंश का शिकार हो गए हैं. जिसमें महिला सहित कई लोगों की जान भी जा चुकी हैं.
बिजली आई लेकिन तार टूटा
गांव में बिजली के लिए पिछले कई सालों से यहां के ग्रामीण तमाम सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं. बावजूद इसके आज भी यह गांव बिजली से मोहताज है. कुछ लोग आधा से एक किलोमीटर की दूरी से लकड़ी के खंबे के सहारे बिजली लेकर तो आए हैं, लेकिन यह तार कई जगह से टूटा हुआ है. जो कभी भी बड़े हादसे को अंजाम दे सकता है.
बिजली आने की बात कही
मीडिया की दखल के बाद संबंधित अधिकारी अब उस गांव में बिजली पहुंचाने की बात तो कह रहे हैं, लेकिन सवाल यही है कि आज तक बिजली विभाग के अधिकारियों की नजर इस गांव पर क्यों नहीं पड़ी? गौरतलब है कि आज हम मंगल ग्रह पर जाने की बात कर रहे हैं. ऐसे में यह गांव हमें आईना दिखाने का काम कर रहा है. राज्य हो या केंद्र की सरकार सभी ग्राम पंचायतों को और ज्यादा क्षमता देने की वकालत करते हैं, लेकिन यह गांव सब की पोल खोलता दिख रहा है.