नक्सल प्रभावित जिले में बच्चों ने रोते हुए कमिश्नर से लगाई गुहार, जवाब मिलते ही लौट आई चेहरे की मुस्कान
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नक्सल प्रभावित जिले में बच्चों ने रोते हुए कमिश्नर से लगाई गुहार, जवाब मिलते ही लौट आई चेहरे की मुस्कान

नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के दौरे पर पहुंचे बस्तर संभाग के कमिश्नर से नक्सल पीड़ित और शहीदों के बच्चों ने एक गुहार लगाई, जिसे सुनते ही कमिश्रर ने बच्चों से कुछ ऐसा कहा जिसे सुनते ही बच्चों के चेहरे की मुस्कान वापस लौट आई. 

नक्सल प्रभावित जिले में बच्चों ने रोते हुए कमिश्नर से लगाई गुहार, जवाब मिलते ही लौट आई चेहरे की मुस्कान

हेमंत संचेती/नारायणपुर। कोरोना काल में दो साल तक स्कूल ठीक से संचालित नहीं हो पाएं जिससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई है. लेकिन अब कोरोना की पाबदियां खत्म होने के बाद इस साल से स्कूलों का संचालन फिर से शुरू किया गया है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिसकी एक तस्वीर छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में देखने को मिली. नारायणपुर जिले के नक्सल पीड़ित और शहीद परिवार के बच्चों ने शुक्रवार को नारायणपुर दौरे पर आए बस्तर कमिश्नर श्याम धावडे के सामने रोते हुए स्कूलों में एडमिशन कराने की गुहार लगाई और कहा कि कोरोना काल के बाद से दो साल होने को है हमारा एडमिशन नहीं होने के चलते हमारी पढ़ाई शुरू ही नहीं हुई है. जिस पर कमिश्नर ने कुछ ऐसा कहा जिससे बच्चों के चेहरे की मुस्कान लौट आई. 

जल्द एडमिशन करा दीजिए 
बच्चों ने कमिश्नर से कहा कि वह रोज कलेक्ट्रेट कार्यालय के चक्कर काट काटकर थक गए है, हमारी गुहार सुनने वाला कोई नहीं है इसलिए आपसे गुहार लगा रहे है.  हमारा भविष्य बर्बाद ना हो इसलिए हमारा एडमिशन करवाकर हमारी पढ़ाई शुरू कराने की कृपा करे. जिस पर बस्तर कमिश्नर ने कलेक्टर को बच्चो का एडमिशन कराकर उनकी पढ़ाई शुरू कराने के निर्देश दिए और बच्चो से कहा की आपकी पढ़ाई बंद नही होगी आपको अच्छी शिक्षा मिलेगी. जिसके बाद रोते हुए बच्चो के चेहरे पर मुस्कान लौट आई जैसे मानों बच्चो को कोई बड़ा खजाना मिल गया हो. कमिश्नर ने कलेक्टर को तत्काल बच्चों का एडमिशन कराने की सलाह दी है. 

दरअसल, नारायणपुर जिले के नक्सल पीड़ित और शहीद परिवार के बच्चो को साल 2017-18 में बाल भविष्य सुरक्षा योजना भाग दो निष्ठा घटक के तहत सहायक आयुक्त आदिवासी विकास नारायणपुर द्वारा राजनादगांव के उत्कृष्ठ विद्यालय सेंटर विसेंट पोलोटी इंटरनेशनल में 33 नक्सल पीड़ित बच्चो को शिक्षा ग्रहण करने के लिए एडमिशन कराया गया था, जहां उनकी पढ़ाई अच्छी हो रही थी. लेकिन इस साल राजनादगांव के स्कूल प्रबंधन ने बच्चो के एडमिशन नहीं होने की बात कही. जिससे यह बच्चे अपनी शिक्षा को लेकर परेशान थे. 

इस मामले पर जब सहायक आयुक्त नारायणपुर संजय चंदेल से मामले पर जानकारी लेनी चाही गई तो उन्होंने कुछ भी कहने मना कर दिया, फिर राजनादगांव के सहायक आयुक्त एसके वाहने से फोन पर चर्चा के दौरान उन्होंने बताया की योजना के बंद हो जाने के कारण बच्चो का एडमिशन नहीं होने की बात कही. जिसके बाद बच्चों को वापस नारायणपुर भेजा गया था. इस खबर के बाद शासन प्रशासन में हलचल मच गई. क्योंकि नक्सल पीड़ित और शहीद परिवारों के बच्चों को शिक्षा की गारंटी दी गई है. 

बच्चों ने की थी यह शिकायत 
पहली से 8वीं तक के बच्चो का एडमिशन जिले के विभिन्न स्कूलों में करा दिया गया, वही 9 से 12वीं के बच्चो का एडमिशन डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल में कराने की बात कही जिस पर बच्चो ने कहा की डीएवी स्कूल में शिक्षक की कमी के चलते पढ़ाई नहीं हो रही है और हमे वहा एडमिशन करवाकर आप हमारी पढ़ाई खराब कराना चाहते है. सीबीएससी पेटेंट पर राजनादगांव में हमें शिक्षा दी गई है उसी पेटेंट पर हमें शिक्षा दी जायेगी तभी तो हम पढ़ पाएंगे नही तो हमारी पढ़ाई तो खराब होगी साथ ही हमारा भविष्य भी बर्बाद हो जाएगा. 

कल शुक्रवार को डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल के बच्चो ने बस्तर कमिश्नर के काफिले को रोककर अपनी समस्याओं से अवगत कराया, उसी दौरान बस्तर कमिश्नर से जी न्यूज के पत्रकार हेमंत संचेती ने बच्चो की मुलाकात कराई जिसके बाद बच्चो ने अपनी पढ़ाई की समस्या रोते हुए बया किया जिस पर बस्तर कमिश्नर ने कलेक्टर को जल्द इनका एडमिशन कराने के निर्देश दिए, उन्होंने बच्चो से कहा की अपने पढ़ाई को लेकर जिस तरह आप संजीदा दिखाई दे रहे है, उसी तरह अच्छे से पढ़कर उच्च पदों पर आसीन होकर देश और राज्य की सेवा कर अपने माता पिता का आप नाम रौशन कर सकते है.  जिसके बाद बच्चो के चेहरे पर आई मुस्कान मानो जैसे उन्हें कोई बड़ा खजाना मिल गया हो वैसा नजारा नजर आया. 

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