आंध्र में जन्म, 10वीं तक पढ़ाई, बस्तर में फ्रंटलाइन नक्सली लीडर, 1 करोड़ के इनामी चलपति की कहानी
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आंध्र में जन्म, 10वीं तक पढ़ाई, बस्तर में फ्रंटलाइन नक्सली लीडर, 1 करोड़ के इनामी चलपति की कहानी

Naxalite Leader Chalpati: छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने 20 नक्सलियों को मार गिराया है, जिनमें टॉप नक्सली कमांडर चलपति भी मारा गया है, जिस पर एक करोड़ का इनाम था. 

नक्सली कमांडर चलपति का एनकाउंटर

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में जिस नक्सली लीडर चलपति का डर पूरे बस्तर इलाके में फैला था, वह अब मौत की गहरी नींद में सो चुका है. छत्तीसगढ़ और ओडिशा की बॉर्डर पर रविवार रात से ही सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया था, जिसमें नक्सली कमांडर चलपति भी मारा गया है. जिस पर एक करोड़ रुपए का इनाम रखा हुआ था, उसकी इनामी रकम से ही उसकी दहशत का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन बस्तर में दहशत के इस नाम का खात्म हो चुका है. सुरक्षाबलों ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया है और उसके शव भी मिल गया है, जिससे चलपति के एनकाउंटर की पुष्टि हो गई है, लेकिन आखिर ऐसा क्या था जिसके चलते उस पर 1 करोड़ रुपए का इनाम रखा हुआ था. 

बस्तर में सीनियर नक्सली लीडर था 'चलपति'

दरअसल, 'चलपति' बस्तर में सीनियर नक्सली लीडर था, जिसका पूरा नाम रामचंद्र रेड्डी, अप्पाराव, रामू था, इसके अलावा उसे जयराम रेड्डी के नाम से भी जाना जाता था, लेकिन उसका सबसे चर्चित नाम चलपति था. उसका जन्म आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में हुआ था, सामान्य परिवार से आने वाले चलपति का बचपन चित्तूर के ग्रामीण इलाके में बीता था और यही से उसने 10वीं तक की पढ़ाई की थी, आंध्र प्रदेश का चित्तूर जिला नक्सल प्रभावित माना जाता है, जहां घना जंगल है, ऐसे में चलपति जल्द ही नक्सलियों के प्रभाव में आ गया. उसने केवल 10वीं तक ही पढ़ाई की थी और इसके बाद वह नक्सल संगठन में शामिल हो गया, लेकिन सामान्य सा रहने वाला 'चलपति' तेजी से नक्सल संगठन में सक्रिए हुआ और उसने अपनी मजबूत पकड़ बना ली थी, वह देखते ही देखते माओवादी रैंक में टॉप कमांडर की भूमिका में पहुंच गया. 

बस्तर में कई बड़े हमलों में शामिल 

चलपति अपनी तेजी से डिसीजन लेने की क्षमता के जरिए माओवादी की संस्था में पहले सेंट्रल कमेटी मेंबर बना और फिर बस्तर कैडर का प्रमुख बन गया. वह बस्तर में कई बड़े हमलों में शामिल रहा है. बताया जाता है कि वह नक्सलियों के प्रतिबंधित संगठन का संचालन करता था, जिसके चलते उस पर 1 करोड़ रुपए का इनाम रखा गया था. चलपति लंबे समय से सुरक्षाबलों के टारगेट पर था, लेकिन गुरिल्ला युद्ध में माहिर चलपति हर बार बचकर निकल जाता था. उसकी उम्र करीब 60 साल थी और उसकी पूरी जवानी इसी बस्तर में गुजरी थी, ऐसे में वह बस्तर के जंगल से पूरी तरह से वाकिफ था, जिसके चलते वह सुरक्षाबलों के हाथ नहीं लग पाता था. 

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चलपति की सुरक्षा में तैनात रहते थे नक्सली 

नक्सलियों के टॉप कमांडर चलपति की सुरक्षा में 8 से 10 नक्सली तैनात रहते थे, क्योंकि उस पर सुरक्षाबलों की नजरे थी, वह नक्सलियों को हथियार उपलब्ध कराने, हमले की योजना बनाने, नए लोगों को भर्ती करने से लेकर सभी उसी की देखरेख में होता था. एके-47 और एसएलआर राइफल जैसे एडवांस हथियार उसके पास थे, जिन्हें चलाने में भी माहिर था, बताया जाता है कि उसके नेतृत्व में बनने वाली रणनीति का पालन सभी नक्सली करते थे. क्योंकि बस्तर जैसे चुनौती वाले इलाके में भी उसने मजबूत पकड़ बना रखी थी, जिससे वह सभी संसाधन जुटा लेता था, इसी के चलते वह नक्सलियों के अलावा पूरे इलाके में कुख्यात था.  

सुरक्षाबलों ने किया ढेर 

सालों से बस्तर के जंगल में खौफ बनकर घूम रहा चलपति अब यहां के लोगों के लिए एक कहानी बनकर रह गया है. क्योंकि सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में उसे ढेर कर दिया गया है. जो सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी और नक्सलियों के लिए अब तक सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है. चलपति के साथ-साथ उसके साथ अब तक 20 नक्सलियों को ढेर करने की बात सामने आई है. इस दौरान सुरक्षाबलों को काफी मात्रा में गोला-बारूद बरामद हुआ है. जबकि यह ऑपरेशन अभी भी जारी है. 

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