DY Chandrachud: कोर्ट से बाहर जाइए, आप मुझे दबा नहीं सकते, SC में क्यों भड़क गए CJI चंद्रचूड़
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DY Chandrachud: कोर्ट से बाहर जाइए, आप मुझे दबा नहीं सकते, SC में क्यों भड़क गए CJI चंद्रचूड़

Supreme Court News: एससीबीए अध्यक्ष ने मामलों के मेंशनिंग के दौरान इस मुद्दे को जस्टिस चंद्रचूड़,जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच के सामने रखना चाहा और कहा कि वह पिछले छह महीने से मामले को लिस्टेड कराने की मशक्कत में लगे हैं.

DY Chandrachud: कोर्ट से बाहर जाइए, आप मुझे दबा नहीं सकते, SC में  क्यों भड़क गए CJI चंद्रचूड़

CJI Chandrachud Family: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वकीलों के चैंबर के लिए एक जमीन आवंटन से जुड़े मामले पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष के बीच तीखी बहस हुई. वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह को चीफ जस्टिस ने आवाज ऊंची न करने और अदालत से बाहर जाने को कह दिया.

एससीबीए अध्यक्ष ने मामलों के मेंशनिंग के दौरान इस मुद्दे को जस्टिस चंद्रचूड़,जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच के सामने रखना चाहा और कहा कि वह पिछले छह महीने से मामले को लिस्टेड कराने की मशक्कत में लगे हैं.

सिंह ने कहा, 'एससीबीए की याचिका पर अप्पू घर की जमीन सुप्रीम कोर्ट को मिली और एससीबीए को बेमन से केवल एक ब्लॉक दिया गया. पूर्व चीफ  जस्टिस एन वी रमण के कार्यकाल में इस जमीन पर निर्माण शुरू होना था. पिछले 6 महीने से हम मामले को लिस्टेड कराने की जद्दोजहद में लगे हैं. मुझे एक साधारण वादी की तरह समझा जाए.' तब चीफ जस्टिस ने कहा, 'आप इस तरह जमीन नहीं मांग सकते. आप हमें एक दिन बताइए जब हम पूरे दिन बेकार बैठे हों.'

...और नाराज हो गए सीजेआई

इस पर सिंह ने कहा, 'मैंने यह नहीं कहा कि आप पूरे दिन बेकार बैठे हैं. मैं केवल मामले को लिस्टेड कराने की कोशिश कर रहा हूं. अगर ऐसा नहीं किया जाता तो मुझे इस मामले को आपके आवास तक ले जाना होगा. मैं नहीं चाहता कि बार इस तरह का व्यवहार करे.' इस पर CJI चंद्रचूड़ नाराज हो गए. उन्होंने कहा, 'चीफ जस्टिस को धमकी मत दीजिए. क्या इस तरह का बर्ताव होना चाहिए? कृपया बैठ जाइए. इसे इस तरह लिस्टेड नहीं किया जाएगा. कृपया मेरी अदालत से जाइए. मैं इस तरह (मामले को) लिस्टेड नहीं करूंगा. आप मुझे दबा नहीं सकते.'

उन्होंने कहा, 'मिस्टर विकास सिंह, अपनी आवाज इतनी ऊंची मत कीजिए. अध्यक्ष के रूप में आपको बार का संरक्षक और नेता होना चाहिए. मुझे दुख है कि आप संवाद का स्तर गिरा रहे हैं. आपने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की है और दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट को आवंटित जमीन चैंबर के निर्माण के लिए बार को दे देनी चाहिए. हम मामले के आने पर इसे देखेंगे. आप अपने हिसाब से हमें चलाने की कोशिश मत कीजिए.'

'मैंने अपना फैसला सुना दिया है'

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'आप कोर्ट को आवंटित एक जमीन बार को देने के लिए कह रहे हैं. मैंने अपना फैसला सुना दिया है. इसे 17 तारीख (मार्च) को लिया जाएगा और यह मुकदमों की सूची में पहले नंबर पर नहीं होगा.' एससीबीए अध्यक्ष ने कहा, 'अगर आप इसे खारिज करना चाहते हैं तो कृपया कर दीजिए, लेकिन ऐसा मत कीजिए कि इसे सूचीबद्ध ही न किया जाए.'

वरिष्ठ अधिवक्ता ने अपनी बात जारी रखी और कहा कि बार ने हमेशा अदालत का समर्थन किया है. उन्होंने कहा,'मैं कभी इस तरह का व्यवहार नहीं चाहता, लेकिन मैं इस मामले में ऐसा करने को बाध्य हूं.' CJI चंद्रचूड़ ने सिंह से कहा, 'मैं चीफ जस्टिस हूं. मैं 29 मार्च, 2000 से यहां हूं. मैं 22 साल से इस पेशे में हूं. मैंने कभी खुद पर बार के किसी सदस्य, वादी या अन्य किसी को दबाव नहीं बनाने दिया है. मैं अपने करियर के आखिरी दो साल में भी ऐसा नहीं करूंगा.'

'यह कोई अक्खड़पन नहीं है'

हालांकि, सिंह ने अपना पक्ष रखना जारी रखा. उन्होंने कहा, 'यह कोई अक्खड़पन नहीं है. अगर एससीबीए इस अदालत के साथ सहयोग कर रहा है तो इसका यह मतलब नहीं कि उसे हल्के में लिया जाना चाहिए. मुझे पुरजोर तरीके से ऐसा लगता है. मैं इस बात को बहुत स्पष्ट करना चाहता हूं.'
CJI ने कहा, 'अपना एजेंडा अदालत कक्ष के बाहर सुलझाइए.' इसके बाद उन्होंने अगले मामले को पेश करने को कहा.

जब मामलों का जिक्र खत्म हुआ तो शिवसेना के एक मामले के लिए कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बार की तरफ से अफसोस जताते हुए कहा, 'सुबह जो हुआ, उसके लिए मुझे खेद है. मैं माफी मांगता हूं. एक लक्ष्मण रेखा है, जिसे हममें से किसी को पार नहीं करना चाहिए. मुझे नहीं लगता कि बार को मर्यादा की सीमाओं को पार करना चाहिए.'

चीफ जस्टिस ने कहा, 'इस तरह के बर्ताव की कोई जरूरत नहीं है. हम यहां पूरे दिन बैठते हैं और हर दिन 70-80 मामलों को लेते हैं. इन सब मामलों के लिए मैं अपने स्टाफ के साथ शाम को बैठता हूं और उन्हें तारीख देता हूं.' वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने भी अफसोस जताते हुए कहा, 'जो कुछ हुआ, उससे हम सभी समान रूप से दुखी हैं.'

(इनपुट-पीटीआई)

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