Khichdi Scam: 'बड़ी चालाकी से संजय राउत के भाई और बेटी के खाते में लाखों किए ट्रांसफर', खिचड़ी घोटाले में अहम खुलासा
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Khichdi Scam: 'बड़ी चालाकी से संजय राउत के भाई और बेटी के खाते में लाखों किए ट्रांसफर', खिचड़ी घोटाले में अहम खुलासा

Sanjay Raut Family Khichdi Scam: खिचड़ी घोटाले पर पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. सूत्रों के अनुसार, संजय राउत (Sanjay Raut) के भाई और बेटी के खाते में गलत तरीके से लाखों रुपये ट्रांसफर हुए थे.

Khichdi Scam: 'बड़ी चालाकी से संजय राउत के भाई और बेटी के खाते में लाखों किए ट्रांसफर', खिचड़ी घोटाले में अहम खुलासा

Mumbai Khichdi Scam: जब जनता कोरोना वायरस (Coronvirus) जैसी वैश्विक महामारी जूझ रही थी. लोग मर रहे थे. कोविड के पीरियड में हजारों की संख्या में मजदूर बिना काम के परेशान थे. कमाई नहीं थी तो खाने की भी दिक्कत थी. ऐसे में जब मजदूरों के खाने का इंतजाम किया गया तो नेताओं ने उसमें भी घोटाला कर दिया. और इसके तार शिवसेना उद्धव गुट (UBT) के फायरब्रांड नेता संजय राउत (Sanjay Raut) के परिवार तक पहुंच गए हैं. सूत्रों ने बताया कि खिचड़ी घोटाले में भ्रष्टाचार का पैसा मुख्य आरोपी राजीव सालुंखे के खाते से संजय राउत के करीबी सुजीत पाटकर के खाते में ट्रांसफर किया गया था. और फिर ये पैसा संजय राउत के भाई संदीप राउत और बेटी विधिता राऊत के अकाउंट में ट्रांसफर किया गया था.

खिचड़ी घोटाले का पैसा कैसे किया डायवर्ट?

सूत्रों के अनुसार, खिचड़ी का ठेका पाने वाली सह्याद्री रिफ्रेशमेंट कंपनी के राजीव सालुखे के अकाउंट से सुजीत पाटकर के खाते में लाखों की रकम जमा होने के सबूत सामने आए हैं. खबर है कि सुजीत पाटकर के खाते से वही पैसा संदीप राउत के भाई संदीप राउत और बेटी विधिता राऊत के खाते में जमा किया गया. इस खिचड़ी घोटाले का पैसा कैसे डायवर्ट किया गया. आइए ये भी समझ लेते हैं.

खिचड़ी घोटाले के बड़े खुलासे

1. पुलिस जांच में कोविड के दौरान गलत तरीके से खिचड़ी बनाने का ठेका देकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है.

2. पुलिस की जांच में पता चला कि सुजीत पाटकर के खाते से संदीप राउत के खाते में 7.75 लाख रुपये और विधिता राऊत के खाते में 14.75 लाख रुपये जमा किए गए थे.

3. फर्जी कंपनी के दस्तावेज देकर खिचड़ी बनाने का ठेका लेने का आरोप है.

4. खिचड़ी निर्माण का ठेका संजय राउत के करीबी सहयोगी बाला कदम को वैष्णवी किचन (सह्याद्रि रिफ्रेशमेंट) के नाम से दिया गया.

5. शुरुआत में इस कंपनी का पता गलत दिया गया था. पुलिस की जांच में पता चला कि बातचीत के बाद ठेका दिया गया था, जबकि इस कंपनी के पास खाद्य और प्रबंधन लाइसेंस नहीं था.

6. इतने पर ही नहीं रुकते हुए, जहां मुंबई नगर निगम ने प्रति 300 ग्राम खिचड़ी के लिए 33 रुपये मान्य किए. वहीं हकीकत में 100 ग्राम खिचड़ी बांटते समय उसने 33 रुपये मान्य किए.

7. सूत्रों ने बताया कि मई एमएसपी एसोसिएट के सुजीत पाटकर ने खिचड़ी वितरण का काम पाने और खिचड़ी परामर्श सेवाएं देने में मदद करने के लिए गलत तरीके से धन पाया.

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