Karnataka Polls: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बीच सबकी नजर पिछले 38 सालों से चले आ रहे रिकॉर्ड पर है, क्योंकि कर्नाटक ऐसा राज्य है जहां कोई भी सत्तारूढ़ दल वापसी नहीं कर पाती है.
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Karnataka Assembly Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों जैसे-जैसे पास आ रही हैं, राजनीतिक दलों के बीच बेचैनी बढ़ती जा रही है. एक तरफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता दल (BJP) एक बाद फिर वापसी की कोशिश में लगी है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस सरकार बनाने का दावा कर रही है. इस बीच सबकी नजर कर्नाटक में पिछले 38 सालों से चले आ रहे रिकॉर्ड पर है, क्योंकि कर्नाटक ऐसा राज्य है जहां हर पांच साल में सरकारें बदल जाती हैं और कोई भी सत्तारूढ़ दल वापसी नहीं कर पाती है.
1985 में जनता दल ने की थी वापसी
कर्नाटक में साल 1957 से लेकर 1982 तक कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन 1983 के चुनाव में बड़ा बदलाव हुआ और पार्टी सिर्फ 82 सीट ही जीत पाई. उस साल जनता दल ने बीजेपी और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई. इसके बाद 1985 के चुनाव में जनता दल ने वापसी की और 139 सीटों पर कब्जा किया. रामकृष्ण हेगड़े दोबारा मुख्यमंत्री बने, लेकिन फोन टैपिंग मामले में हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद साल 1988 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और एसआर बोम्मई मुख्यमंत्री बने. लेकिन, बहुमत खोने के बाद उनकी सरकार गिर गई और अप्रैल 1989 में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.
इसके बाद कोई भी पार्टी नहीं कर पाई वापसी
हालांकि, इसके बाद किसी भी पार्टी ने कर्नाटक की सत्ता में वापसी नहीं की. 1989 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 178 सीटों पर जीत दर्ज की और जनता दल को सिर्फ 24 सीटें मिलीं. इसके बाद 1994 के चुनाव में जनता दल ने 115 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी के खाते में 40 सीटें और कांग्रेस ने 34 सीटों पर जीत हासिल की. 1999 के चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और 132 सीटों पर जीत दर्ज की और सत्तारूढ़ जनता दल सिर्फ 28 सीटों पर सिमट गई.
2004 के चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला और कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाई. हालांकि, 2 साल में गठबंधन टूट गया और जेडीएस ने बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया. इसके बाद बीएस येदुयुरप्पा मुख्यमंत्री बने. हालांकि, ये गठबंधन भी सिर्फ 2 साल ही चल पाया और 2008 में हुए चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. भाजपा ने 110 सीटों पर कब्जा जमाया और निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई.
इसके बाद 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने 122 सीटें जीतकर बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया, लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस को बहुमत हासिल नहीं हुआ और पार्टी सिर्फ 80 सीटें ही जीत पाई. बीजेपी ने 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी और राज्यपाल ने बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया और बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने, लेकिन वो सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए. इसके बाद जेडीएस ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई और कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने. 2019 में कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों ने बगावत कर दिया और बीजेपी ने फिर से सरकार बनाई. इसके बाद बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन 2021 में बीजेपी ने उन्हें हटाकर बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बना दिया.
बसवराज बोम्मई के सामने बड़ी चुनौती
अब कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) के सामने बीजेपी को सत्ता में वापस लाने की बड़ी चुनौती है. इसके लिए उन्हें 38 साल से चले आ रहे हर बार सरकार बदलने की परंपरा को तोड़ना होगा. बता दें कि 224 सीटों पर 10 मई को मतदान होगा, जबकि 13 मई को नतीजे घोषित होंगे.