झांसी अग्निकांड: खुद के कपड़े जले, फिर भी नर्स ने हिम्मत नहीं हारी; बचाई 15 बच्चों की जान
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झांसी अग्निकांड: खुद के कपड़े जले, फिर भी नर्स ने हिम्मत नहीं हारी; बचाई 15 बच्चों की जान

Jhansi Hospital Fire: नर्स मेघा जेम्स झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में उस समय ड्यूटी पर थीं, नवजात शिशु चिकित्सा इकाई (NICU) में अचानक आग लग गई. मेघा ने अपनी जान की परवाह न करते हुए करीब 15 बच्चों को बचाने में सफलता हासिल की.

झांसी अग्निकांड: खुद के कपड़े जले, फिर भी नर्स ने हिम्मत नहीं हारी; बचाई 15 बच्चों की जान

Jhansi Medical College Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज (Maharani Laxmi Bai Medical College) के शिशु वार्ड (एसएनसीयू) में शुक्रवार (15 नवंबर) रात लगी आग में 10 मासूमों की मौत हो गई. जबकि, 37 बच्चों को सुरक्षित निकाला गया. इस हादसे ने लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया, लेकिन हादसे के दौरान एक नर्स के जज्बे ने लोगों को दिल जीत लिया और अब उसकी जमकर तारीफ हो रही है. मेघा जेम्स नाम की नर्स के खुद के कपड़े जल गए, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और स्टाफकर्मियों की मदद से 15 बच्चों की जान बचाई.

जान की परवाह न करते हुए बच्चों को बचाया

आग लगने के बाद मेघा जेम्स ने स्टाफकर्मियों की मदद से 15 बच्चों को बचाकर बाहर निकालने में सफलता हासिल की. झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को हुई घटना के वक्त नर्स मेघा जेम्स ड्यूटी पर थीं. अस्पताल के नवजात शिशु चिकित्सा इकाई (NICU) में अचानक आग लगने पर अफरा-तफरी मच गई, लेकिन, मेघा ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अन्य स्टाफकर्मियों की मदद से करीब 15 बच्चों को बचाने में सफलता हासिल की.

खुद के कपड़े जल गए, लेकिन हिम्मत नहीं हारी

बच्चों को बचाते वक्त मेघा के कपड़ों का एक हिस्सा जल गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. मेघा ने घटना का जिक्र करते हुए कहा, 'मैं एक बच्चे को टीका लगाने के लिए सिरिंज लेने गई थी. जब मैं वापस आई तो मैंने देखा कि (ऑक्सीजन) कंसंट्रेटर में आग लगी हुई थी. मैंने वार्ड बॉय को बुलाया. वह आग बुझाने वाले यंत्र को लाया और आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन तब तक आग फैल चुकी थी.'

मेघा ने बताया, 'मेरी चप्पल में आग लग गई और मेरा पैर जल गया. फिर मेरी सलवार में आग लग गई. किसी तरह दूसरी सलवार पहनकर मैं बचाव अभियान में जुट गई. बहुत धुआं था और एक बार जब लाइट चली गई तो हम कुछ भी नहीं देख पाए. फिर भी मैं और स्टाफ के कुछ साथी कम से कम 14 से 15 बच्चों को बचाकर बाहर लाए. वार्ड में 11 बेड थे, जिन पर 23-24 बच्चे थे.' मेघा ने बताया कि अगर लाइट नहीं गई होती तो और भी बच्चों को बचाया जा सकता था. उन्होंने कहा, 'यह सब बहुत अचानक हुआ. हममें से किसी ने भी इसकी उम्मीद नहीं की थी.'

मेघा जेम्स की बहादूरी की हो रही तारीफ

सहायक नर्सिंग अधीक्षक नलिनी सूद ने नर्स मेघा जेम्स की बहादुरी की सराहना की. उन्होंने बताया, 'अस्पताल के कर्मचारियों ने बच्चों को बाहर निकालने के लिए एनआईसीयू वार्ड के शीशे तोड़ दिए. इस बीच नर्स मेघा के कपड़ों में आग लग गई, लेकिन इससे विचलित हुए बगैर वह बच्चों को बचाने के लिए डटी रहीं.' सूद ने बताया कि मेघा का अभी उसी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है.

नर्सिंग अधीक्षक ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि वह (मेघा) आग में कितनी बुरी तरह झुलसी हैं. मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अंशुल जैन ने दावा किया कि अस्पताल ने प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया था, जिसकी वजह से कई लोगों की जान बचायी जा सकी. झांसी के जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि आग से बचाए गए एक नवजात की रविवार को बीमारी के कारण मौत हो गई.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)

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