ISRO ने लॉन्च किया नए जमाने का नेविगेशन सैटेलाइट, भारतीयों को मिलेगा ये बड़ा फायदा
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ISRO ने लॉन्च किया नए जमाने का नेविगेशन सैटेलाइट, भारतीयों को मिलेगा ये बड़ा फायदा

NVS-01 Satellite: सैटेलाइट NVS-01 को लॉन्च करने का काउंटडाउन रविवार सुबह 7 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो गया था. फिर ठीक साढ़े 27 घंटे बाद यानी सुबह 10 बजकर 42 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया.

ISRO ने लॉन्च किया नए जमाने का नेविगेशन सैटेलाइट, भारतीयों को मिलेगा ये बड़ा फायदा

Second Generation Navigation Satellite: इसरो (ISRO) ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से नए जमाने का नेविगेशन सैटेलाइट को सुबह 10:42 बजे लॉन्च किया गया. इस सैटेलाइट का नाम NVS-01 है, जिसे GSLV-F12 रॉकेट के जरिए लॉन्च पैड-2 से छोड़ा गया. बता दें कि ये सैटेलाइट 2016 में लॉन्च की गई IRNSS-1G सैटेलाइट को रिप्लेस करेगी. IRNSS-1G सैटेलाइट इसरो के रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम NavIC की सातवीं सैटेलाइट है. जान लें कि जब 1999 में कारगिल वॉर के दौरान भारत सरकार ने घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों की पोजीशन जानने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी तब अमेरिका ने GPS सपोर्ट देने से मना कर दिया था. इसके बाद से ही भारत अपना नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम बनाने में जुट गया था.

NVS-01 नेविगेशन सैटेलाइट से क्या होगा फायदा?

बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने NVS-01 नेविगेशन उपग्रह लॉन्च किया है. इसमें श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से सेवाओं को चौड़ा करने के लिए अतिरिक्त रूप से L1 बैंड सिग्नल शामिल हैं.

सेकेंड जनरेशन नेविगेशन सैटेलाइट का सफर

गौरतलब है कि NavIC को 2006 में अप्रूव किया गया था. इसके साल 2011 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन ये 2018 में ऑपरेशनल हो पाया. अब इस नेटवर्क को लगातार बेहतर किया जा रहा है. अंतरिक्ष की दुनिया में कई कामयाबी के झंडे गाड़ चुके इसरो के लिए आज एक और अहम दिन है. इसरो ने आज अपनी सेकेंड जनरेशन नेविगेशन सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया.

NVS-01 कैसे हुआ लॉन्च?

जान लें कि नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल यानी GSLV-F12 से अंतरिक्ष में भेजा गया. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 10:42 बजे GSLV ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी. लॉन्च के करीब 18 मिनट बाद रॉकेट से पेलोड अलग हो गया. ये एनवीएस-1 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में डिप्लॉय करेगा. इसके बाद इंजीनियर सैटेलाइट को सही ऑर्बिट में प्लेस करने के लिए ऑर्बिट-रेजिंग मैनुवर परफॉर्म करेंगे.

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