Muslim princess became Kuldevi of Hindus: भारत में इस्लामिक शासन के दौरान सुलतान हिंदू लड़कियों से जबरन निकाह करना अपना शौक समझते थे लेकिन अपनी बेटियों की शादी हिंदुओं में नहीं करते थे. लेकिन एक मुस्लिम शहजादी ने कुछ ऐसा किया कि वह हिंदुओं की कुलदेवी बन गई.
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Govindram Mandloi Princess Jaitunnisha Love Story: भारत पर कब्जा कर सैकड़ों सालों तक राज करने वाले इस्लामिक हमलावरों का इतिहास अजब-गजब चीजों से भरा हुआ है. ऐसी ही एक घटना थी मुस्लिम शहजादी का सती हो जाने के बाद हिंदुओं की कुलदेवी बन जाना. ऐसा कैसे हुआ और ये मुस्लिम शहजादी कौन थी. आज हम आपको इस अनोखी घटना के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
MP के मांड जिले में था खिलजी का राज
बात 15वीं शताब्दी की है. उस वक्त आज के मध्य प्रदेश के धार जिले में नसीरुद्दीन खिलजी की मांडू सल्तनत का राज था. उसने मनावर क्षेत्र में तोजी यानी टैक्स वसूली का जिम्मा अपने वफादार गोविंदराम मंडलोई (Govindram Mandloi) को सौंप रखा था. एक दिन की बात है. गोविंदराम मंडलोई बैलगाड़ी पर कर की रकम लेकर राजभवन जा रहे थे. तभी रास्ते में उन पर दो शेरों ने हमला कर दिया. गोविंदराम अपने साहस के बल पर दोनों शेरों को भगाने में कामयाब रहे. इसके बाद वे कर की रकम लेकर राजभवन पहुंचे.
गोविंदराम पर मोहित हो गई मुस्लिम शहजादी
उनकी बहादुर का किस्सा सुल्तान नसीरुद्दीन और उनकी बेटी शहजादी जैतुन्निशा (Princess Jaitunnisha) तक पहुंच चुका था. नसीरुद्दीन खिलजी गोविंदराम की वीरता पर बहुत खुश हुआ और उसे दरबार में सम्मानित किया. जब शहजादी जैतुन्निशा ने गोविंदराम को देखा तो वह उस पर मोहित हो गईं. उसने दासी के हाथों अपना प्रेम पत्र गोविंदराज को भिजवा दिया. नसीरुद्दीन को जब इसका पता चला तो वह खूब नाराज हुआ.
बेटी के निकाह के फैसले से सुल्तान हुआ नाराज
उनसे बेटी को खूब समझाया कि गोविंदराम (Govindram Mandloi) उनका एक छोटा सा मुलाजिम है. उसके साथ रिश्ते बढ़ाना ठीक नहीं है लेकिन जैतुन्निशा (Princess Jaitunnisha) ने कुछ भी सुनने से इनकार कर दिया. हारकर खिलजी ने गोविंदराम को बुलाया और उसे सारी बात बताई. सुल्तान की मंशा समझते हुए गोविंदराम ने भी निकाह से इनकार करते हुए कहा कि वह दरबार जैसी सुख-सुविधा नहीं दे सकेगा. लेकिन जैतुन्निशा ने कहा कि बिना सुविधा के ही रह लेगी और अगर गोविंदराम से उसकी शादी नहीं हुई तो वह उसकी तलवार से विवाह कर लेगी और उसी को आजीवन पति मानकर रहेगी.
विवाह के बाद शहजादी ने बदल लिया अपना नाम
आखिरकार नसीरुद्दीन खिलजी को झुकना पड़ा. उसने दोनों का गंधर्व विवाह करवा दिया. इस शादी के बाद जैतुन्निशा का नाम बेसरबाई रखा गया. हालांकि सुल्तान की शर्त की वजह से जैतुन्निशा (Princess Jaitunnisha) को शादी के बाद भी राजमहल में ही रहना पड़ा. इस विवाह के कुछ दिनों बाद गोविंदराम (Govindram Mandloi) वापस मनावर लौट गए. वहां पर सांप के काटने की वजह से उनकी मौत हो गई. जिसके बाद उन्हें दफना दिया गया.
पति की मौत के बाद छोड़ दिया राजमहल
अपने पति की मौत की सूचना जब बेसरबाई (Besarbai) तक पहुंची तो वह घोड़े पर सवार होकर निकल पड़ी. मनावर पहुंचने पर उसने हिंदू सुहागिनों की तरह 16 शृंगार किए. इसके बाद वह सती होने के लिए चल पड़ी. लोगों को जब मुस्लिम शहजादी के इस तरह सती होने के फैसले का पता चला तो वे हैरान रह गए. उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की तो बेसरबाई ने उन्हें गोविंदराम मंडलोई (Govindram Mandloi) से अपने गंधर्व विवाह के बारे में जानकारी दी.
नदी किनारे जाकर विधि विधान से हो गई सती
इसके बाद बेसरबाई ने गोविंदराम (Govindram Mandloi) की पगड़ी मांगी और मान नदी के किनारे पहुंची. वहां पर योग माया से बेसरबाई (Besarbai) ने आग जलाई और फिर उसमें सती हो गई. इस घटना के बाद वे मध्य प्रदेश के मंडलोई ब्राह्मणों की कुलदेवी बन गईं. इस समाज के लोग आज भी एमपी के खंडवा, इंदौर और धार जिले में रहते हैं. इन मंडलोई ब्राह्मणों के घरों में आज भी जब कोई मांगलिक कार्य होता है तो बेसरबाई को भोग जरूर लगाया जाता है.
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