यूक्रेन संकट पर भारत के रुख के साथ खड़ा है क्वाड, समर्थन में ऑस्ट्रेलिया ने कही बड़ी बात
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यूक्रेन संकट पर भारत के रुख के साथ खड़ा है क्वाड, समर्थन में ऑस्ट्रेलिया ने कही बड़ी बात

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग (Russia Ukraine War) में भारत ने अब तक किसी भी देश का पक्ष नहीं लिया है. इस मुद्दे पर क्वाड के अहम सदस्य देश ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने रविवार को बड़ा बयान दिया. 

भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने रविवार को कहा कि ‘क्वाड’ के सदस्य देशों ने यूक्रेन संकट पर भारत के रुख को स्वीकार कर लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन में संघर्ष को खत्म करने की अपील करने के लिए अपने संपर्कों का उपयोग कर रहे हैं.

  1. सोमवार को भारत-ऑस्ट्रेलिया में डिजिटल समिट
  2. क्वाड देशों ने भारत के रुख को स्वीकार किया
  3. क्या नेहरू की विदेश नीति पर चल रहा भारत?

सोमवार को भारत-ऑस्ट्रेलिया में डिजिटल समिट

भारत में नियुक्त ऑस्ट्रेलियाई हाई कमिश्नर बैरी ओ फारेल ने यह बयान दिया है. उनका यह बयान पीएम मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की सोमवार को होने वाली डिजिटल समिट (India-Australia Digital Summit 2022) से एक दिन पहले आया है. इस समिट में दोनों नेताओं के बीच यूक्रेन (Russia Ukraine War) के हालात पर चर्चा होने की संभावना है.

क्वाड देशों ने भारत के रुख को स्वीकार किया

ऑस्ट्रेलियाई हाई कमिश्नर ने मीडिया से कहा, ‘क्वाड देशों (Quad) ने भारत के रुख को स्वीकार किया है. हम समझते हैं कि हर देश का एक द्विपक्षीय संबंध है. यह भारतीय विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री मोदी की इन टिप्पणियों से स्पष्ट है कि उन्होंने संकट को खत्म करने की अपील करने के लिए अपने संपर्कों का उपयोग किया है.’ 

दरअसल, यूक्रेन में रूस के स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन (Russia Ukraine War) पर भारत के रुख से पश्चिमी देशों में बेचैनी है. रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल खरीदने के भारत के फैसले से उनकी यह बेचैनी बढ़ गई है. इन दोनों मुद्दों पर रविवार को ऑस्ट्रेलियाई हाई कमिश्नर से सवाल किया गया था. जिस पर उन्होंने मीडिया को अपना जवाब दिया.

क्या नेहरू की विदेश नीति पर चल रहा भारत?

ऑस्ट्रेलियाई हाई कमिश्नर की टिप्पणी से अलग हटकर देखें तो यूक्रेन मामले में भारत का रुख 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनाई गई नीति से प्रेरित नजर आता है. उस नेहरू नीति के अंतर्गत दो या ज्यादा देशों में युद्ध होने पर भारत किसी एक का पक्ष नहीं लेता था और न ही किसी की निंदा करता था. इसके बजाय वह संबंधित पक्षों को बातचीत के लिए प्रोत्साहित कर समाधान निकालने का प्रयास करता था. 

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एक सूत्र ने कहा, ‘यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है उसका समर्थन करने का भारत पर किसी ने आरोप नहीं लगाया है. भारत जो कुछ करने की कोशिश करता नजर आ रहा है वह 65 साल पहले नेहरू द्वारा तैयार की गई नीति के अंतर्गत ही है.’

बताते चलें कि भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा नहीं की है, जबकि क्वाड के अन्य सदस्य देशों--अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मास्को की इस सैन्य कार्रवाई की निंदा की है. भारत का यह कहना है कि संकट का हल वार्ता और कूटनीति के जरिए किया जाना चाहिए.

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