Swimming Pool में पार्टी करने गई लड़की के साथ हुआ ऐसा हादसा, अब जीवनभर रहेगा मलाल
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Swimming Pool में पार्टी करने गई लड़की के साथ हुआ ऐसा हादसा, अब जीवनभर रहेगा मलाल

Girl Paralyzed during Swimming: 26 साल की एक युवती MBA पूरी करने के बाद अपने दोस्तों के साथ पूल पार्टी कर रही थी, लेकिन स्विमिंग पूल की पहली ही छलांग उसके जीवन की सबसे भारी गलती साबित हुई. लड़की का सिर पूल की जमीन से टकरा कर झटका खा गया.

Swimming Pool में पार्टी करने गई लड़की के साथ हुआ ऐसा हादसा, अब जीवनभर रहेगा मलाल

Story of a Paralyzed Woman: अगर आपने कभी स्विमिंग की, कलाबाजी की है या आप बिना सीट बेल्ट तेज स्पीड की गाड़ी की सवारी करते हैं तो ये खबर आपको सावधान करने के लिए है. एक स्विमिंग पूल पार्टी कैसे पैरालिसिस तक पहुंचा सकती है, इसका दर्दनाक उदाहरण दिल्ली में सामने आया है. 26 साल की एक युवती MBA पूरी करने के बाद अपने दोस्तों के साथ पूल पार्टी कर रही थी, लेकिन स्विमिंग पूल की पहली ही छलांग उसके जीवन की सबसे भारी गलती साबित हुई. लड़की का सिर पूल की जमीन से टकरा कर झटका खा गया. उसकी गर्दन में चोट लगी और कुछ सेकेंड्स में ही युवती बेहोश हो गई.

दोस्तों ने पहुंचाया हॉस्पिटल

दोस्तों ने लड़की को अस्पताल पहुंचाया तो पता चला कि लड़की को गर्दन के हिस्से में रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर है. ऐसा फ्रैक्चर जिसकी वजह से उसके शरीर को मूवमेंट देने वाली नर्व्स यानी धमनियां भी खराब हो चुकी थी. डॉक्टर्स ने उसकी सर्जरी की और पहले फ्रैक्चर को ठीक किया. लेकिन लड़की के शरीर में गर्दन से नीचे के पूरे हिस्से में कोई हरकत नहीं है. 

क्या अपाहिज बन जाएगी लड़की?

ऐसे में सवाल ये है कि क्या स्विमिंग पूरे जीवन के लिए लड़की को अपाहिज बना देगी? डॉक्टर अब इस चुनौती से जूझ रहे हैं. स्पाइनल इंजरी सेंटर के स्पाइन सर्जन डॉ गुरुराज के मुताबिक अचानक गर्दन में झटका लगने पर गर्दन में मौजूद डिस्क में चोट लग सकती है. गर्दन में C 1 से लेकर C 7 तक डिस्क होती हैं. ये पूरी रीढ़ का सबसे अहम और नाजुक हिस्सा होता है. C -5 या उससे ऊपर के हिस्से में चोट लग जाए तो कई बार मरीज जीवन भर के लिए दूसरों पर आश्रित होने को मजबूर हो जाता है.

इन तीन बातों का रखें खास ख्याल

ऐसे एक्सीडेंट में मरीज को अस्पताल तक कैसे पहुंचाया जा रहा है ये बहुत अहम हो जाता है. गर्दन में चोट लगे तो मरीज को तीन लोगों को मिलकर उठाना चाहिए. पहला आदमी गर्दन और सिर के नीचे, दूसरा आदमी कमर के निचले हिस्से और तीसरा आदमी टांगो को सपोर्ट देकर मरीज को स्ट्रैचर या गाड़ी में शिफ्ट करे. कई मरीजों को सांस लेने के लिए कुछ दिनों से लेकर दो साल तक वेंटिलेटर पर रहना पड़ सकता है. हालांकि दिल्ली की 26 साल की इस लड़की की किस्मत अच्छी रही कि ये एक दिन ही वेंटिलेटर पर रही, इसकी सांस लेने की ताकत सही सलामत बनी रही. दरअसल रीढ की हड्डी की चोट में नुकसान कितना हुआ है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि कितनी नर्व बर्बाद हुई या हड्डी के नीचे दब गई. वो ठीक हो पाएंगी या नहीं.

ऐसी हो जाती है हालत

सर्जरी के बाद मरीज को महीनों तक रिहैबिलिटेशन यानी फिजियोथेरेपी दी जाती है. रिहैबिलिटेशन एक्सपर्ट डॉ चित्रा कटारिया के मुताबिक कई बार कुछ मरीज कड़ी मेहनत के दम पर थोड़ा मूवमेंट ला पाते हैं. लेकिन ऐसे मरीजों का मल मूत्र पर कंट्रोल नहीं रह जाता. हाथों में जान ना होने की वजह उन्हें नित्यकर्म के लिए दूसरे व्यक्ति की सहायता लेनी पड़ती है. लेकिन वे खुद से खाना खा सकें इसके लिए उन्हें खास डिवाइस दिए जाते हैं. विशेष ग्ल्वस, चम्मच से उन्हें खुद से खाना सिखाया जा सकता है. पैरों के मूवमेंट की ट्रेनिंग दी जाती है जिससे खून ना जमे.

मेडिकल टेक्नोलोजी के मजबूत होने के बाद स्टिम्यूलेशन थेरेपी से महीनों की मेहनत के बाद हाथों में थोड़ी बहुत हरकत भी आ सकती है. इसलिए गर्दन की चोट से बचना चाहिए. डॉक्टरों के मुताबिक इस तरह के हादसों का शिकार होने वाले लोग 15 साल से 45 साल के बीच के युवा होते हैं. जो आमतौर पर खेल या एडवेंचर से जुड़े रहते हैं. इसलिए सावधान रहना जरूरी है.

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