बिना इंटरनेट डिजिटल हुआ Farmers Protest, बनाया खुद का IT Cell, इस तरह किया जा रहा काम
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बिना इंटरनेट डिजिटल हुआ Farmers Protest, बनाया खुद का IT Cell, इस तरह किया जा रहा काम

दिल्ली की सीमाओं पर इंटरनेट सेवा प्रभावित होने के बावजूद बॉर्डर का हर मूवमेंट मिनटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसके पीछे की वजह पता कि तो पता चला कि किसानों ने अपना आईटी सेल बनाया जो दूर बैठकर हर खबर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहा है.  

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: पिछले करीब 75 दिनों से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर किसानों का प्रदर्शन चल रहा है. शुरुआत से ही बॉर्डर की हर छोटी-बड़ी खबर मिनटों में दुनिया भर में फैल जाती थी. हालांकि अब सीमाओं पर इंटरनेट सेवा प्रभावित है. लेकिन फिर भी किसान आंदोलन से जुड़ी हर खबर सोशल मीडिया पर के अलग-अलग प्लेटफार्म पर मिनटों में अपलोड हो रही है.

किसानों ने तैयार किया IT सेल

आपके जहन में भी यह सवाल जरूर आया होगा कि जब बॉर्डर पर इंटरनेट चल ही नहीं रहा तो फिर यह सारी खबरें मिनटों में अपडेट कैसे हो जाती हैं. इसका जवाब है किसानों का आईटी सेल (IT Cell). जी हां, किसानों ने आईटी सेल तैयार किए हैं. इस सेल से जुड़े लोग सभी बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन पर नजर बनाए रखते हैं और जैसे ही कोई घटना होती है उसे तुरंत सभी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपडेट करते हैं.

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दूर बैठकर रखते हैं आंदोलन पर नजर

खास बात यह है कि यह लोग प्रदर्शन की साइड से दूर वहां बैठकर काम करते हैं जहां इंटरनेट सेवा चालू होती है. किसानों का कहना है कि भले ही सरकार ने इंटरनेट स्लो कर दिया हो, लेकिन किसान आंदोलन से जुड़ी हर खबर मिनटों में अपने प्लेटफार्म पर अपडेट कर देते हैं. आईटी सेल के लोगों के पास हर बॉर्डर से वीडियो, फोटो और अपडेट्स आते हैं जिसे वह बिना देर किए सोशल मीडिया तक पहुंचा देते हैं. आई टी सेल के जरिए किसानों को इस बात की सूचना दी जाती है कि आंदोलन आगे किस तरह से बढ़ेगा.

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डिजिटल हुआ किसानों का आंदोलन

किसान आंदोलन (Farmers Protest) में अब चिट्ठी और मुनादी के जरिए लोगों को आंदोलन की सूचना देने वाली तस्वीरें आपको जरूर याद होगी. लेकिन उन तस्वीरों की छाप लोगों के दिमाग पर छोड़ने और सोशल नेटवर्किंग साइट (Social Networking Sites) तक पहुंचाने का काम दफ्तर बैठे आईटी सेल के लोग कर रहे हैं. यानी अब किसान आंदोलन सिर्फ बॉर्डर या सड़क तक सीमित नहीं है बल्कि अब यह आंदोलन डिजिटल आंदोलन बन गया है.

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